यूपी चुनाव में किसी को भी वोट करें लेकिन भाजपा को वोट न करें: केजरीवाल

arvind-kejriwal_1482074847आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मानते हैं कि संघ परिवार चुनाव में भाजपा को जीत दिलाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। इसके लिए वह दंगा कराने में भी गुरेज नहीं करता।
 आम आदमी पार्टी यूपी में चुनाव नहीं लड़ने जा रही है लेकिन नोटबंदी के षड्यंत्र के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए जनसभाएं होती रहेंगी।
केजरीवाल कहते हैं कि मुख्य धारा का मीडिया मोदी सरकार के दबाव में है, इसलिए उनकी जनसभाएं और सोशल मीडिया ही सच्चाई जनता के सामने ला सकता है। अरविंद केजरीवाल के राजधानी आने पर यूपी चुनाव और भविष्य की रणनीति के बारे में विस्तार से बातचीत हुई:सवाल : यूपी में विधानसभा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी की क्या तैयारियां हैं?
जवाब : पांच राज्यों में एक साथ चुनाव होने हैं। हमारे पास न तो इतने संसाधन हैं और न ही लोग कि सभी जगह चुनाव लड़ सकें। फिलहाल, हमनें पंजाब और गोवा में ही चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है।

‘चुनाव लड़ने के लिए धनबल व जनबल चाहिए’

सवाल : आपकी पार्टी के ही वरिष्ठ नेता कुमार विश्वास ने कहा कि यूपी में चुनाव नहीं लड़ेंगे?
जवाब : उन्होंने ठीक कहा है। जहां तक है, यहां चुनाव नहीं ही लड़ेंगे।
सवाल : बनारस समेत तमाम जगहों पर आप जनसभाएं कर रहे हैं? इसका क्या मतलब निकाला जाए?
जवाब : जनसभा करने का मेरा एक ही एजेंडा है कि नोटबंदी के पीछे का षड्यंत्र आम लोगों तक पहुंचाया जाए, क्योंकि मुख्य धारा का मीडिया यह काम नहीं करेगा। जनसभाओं का चुनाव से कोई संबंध नहीं है।

सवाल : कहीं यूपी की जातिवादी राजनीति में खुद को अनफिट तो नहीं पा रहे हैं?
जवाब : ऐसा नहीं है। हमारी छोटी सी पार्टी है। समझना चाहिए कि चुनाव लड़ने के लिए धन और जनबल की जरूरत होती है।

सवाल : खुद चुनाव न लड़ने की स्थिति में किस दल का समर्थन करेंगे?
जवाब : किसी दल का नहीं। लोगों से एक ही अपील है कि किसी को वोट दे दो, पर भाजपा को मत जिताना।

‘नोटबंदी से खराब हो सकती है कानून-व्यवस्‍था’

सवाल : आप गुजरात में संघर्ष करने वाले लोगों को एक मंच पर लाने की बात करते हैं। क्या यूपी में भी ऐसी ही कुछ ताकतों को छांटा है?
जवाब : नहीं, यूपी में अभी ऐसे जुझारू नेता हमें नहीं मिले हैं।
सवाल : आप अपने भाषणों में सिर्फ मोदी पर ही निशाना क्यों साध रहे हैं?
जवाब : देखिए, नोटबंदी के फैसले से देश का विकास थम गया है। अगर जल्दी ही इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो देश में कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो जाएगी। वेनेजुएला में भी नोटबंदी हुई थी, मगर दिक्कतों को देखते हुए वापस ले ली गई। लेकिन, हमारे पीएम कुछ सुनने को तैयार ही नहीं हैं।

सवाल : आप विकल्प की राजनीति की बात करते हैं। ‘विकल्प’ से आपका क्या आशय है?
जवाब : भ्रष्टाचार व सांप्रदायिकता मुक्त भारत और गरीबों के लिए समर्पित व्यवस्था ही विकल्प की राजनीति है।

‘जो मुश्किलें खत्म करे हम उसी विचारधारा के साथ’

सवाल : केंद्र की भाजपा सरकार भी तो यही कहती है और अपने हर कदम को गरीब हितैषी बता रही है?
जवाब : भाजपा और आरएसएस बहुत ही निचले दर्जे के लोग हैं। यह चुनाव में जीत हासिल करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। दंगा कराने से भी वे बाज नहीं आते। वे विरोधियों को सीबीआई का डर दिखाकर दबाते हैं। मेरे खिलाफ अभी तक कुछ मिला नहीं, वरना सीबीआई से मेरी गर्दन मरोड़ने में भी देरी नहीं करती।
सवाल : वाम या दक्षिणपंथ, आपका झुकाव किस ओर है?
जवाब : हम इंसानियत और मुद्दों में यकीन रखते हैं। अगर पानी की समस्या है, तो जो विचारधारा उसे हल कर देगी, हम उसी के साथ होंगे।

सवाल : आपके कुछ साथियों ने आपको घमंडी और जिद्दी कहते हुए आपका साथ छोड़ दिया?
जवाब : मनमुटाव तो होता ही रहता है। अगर मैं घमंडी और जिद्दी होता तो इतने बड़े-बड़े और काबिल लोग मेरे साथ नहीं होते।

‘वापस नहीं लिया मोदी के फर्जी डिग्री का आरोप’

सवाल : क्या आपने नरेंद्र मोदी की डिग्रियों के फर्जी होने का आरोप वापस ले लिया है?
जवाब : ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। केंद्रीय सूचना आयोग ने डिग्रियां दिखाने के लिए कहा था, मगर मोदी ने उस आदेश के खिलाफ गुजरात हाईकोर्ट से स्टे ले लिया। मेरी डिग्री तो आईआईटी खडगपुर से लोग लगातार मांगते रहते हैं, मैंने कभी नहीं कहा, मत दो। अगर मोदी की डिग्रियां असली होतीं तो उन्हें कोर्ट से स्टे लेने की जरूरत न पड़ती।
 

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