नई दिल्ली: बॉलीवुड की विवादास्पद हीरोइन रहीं ममता कुलकर्णी पूरे सोलह साल बाद कैमरे पर आईं हैं. ममता कुलकर्णी ने बॉलीवुड-अंडरवर्ल्ड को लेकर कई बड़े खुलासे किए हैं. ममता कुलकर्णी ने खुद पर लगे ड्रग्स रैकेट के आरोपों पर भी बात की है. ममता ने ड्रग्स रैकेट के सरगना विकी गोस्वामी पर भी बड़े खुलासे किये हैं
ममता कुलकर्णी का पूरा इंटरव्यू
सवाल – मुझे भी ऐसा लगा ममता जब मैं आपसे तीन – चार दिन पहले पहली बार मिली. आपसे लगातार बातचीत हो रही है तो मुझे भी ऐसा लगा कि आप आपने पास्ट को पीछे छोड़ कर आई हैं. आपका जो स्टारडम था वो पिछले चार दिन में मुझे नजर नहीं आया. लेकिन मेरे मन में एक सवाल आया कि — जिस मुंबई ने, जिस जनता ने, जिस भारत देश ने आपको बतौर हीरोईन इतना प्यार दिया. आपको स्टारडम दिलाया, वही शहर में, वही महाराष्ट्र में आप पर एक संगीन आरोप भी लगता है. आपकी फीलिंग कैसी है आपको लगता है कि आपने जो कमाया वो पल भर में चला गया ?
जवाब- मुझे इस चीज से तकलीफ नहीं होती क्योंकि मुझे पता है मेरे अंदरका जो मेरा परमात्मा है कि मैं सच हूं और मैं नहीं समझती कि यह मुझे परेशान करता है और लोग मेरे बारे में क्या सोचते हैं..आपको आखिरकार ऊपर ही जाना है ऊपर जाकर सामना करना ही है..जो भी मेरे बारे में अफवाहें हैं, ये अफवाहें हैं जो फैलाई जा रही है जानबूझकर की जा रही है किसी मतलब से फैलाई जा रही है.. मैं तो यही कहना चाहूंगी कि यहां हमारे कर्मों का कानून है.. आप किसी को गलत ढंग से किसी सच्चे व्यक्ति का नाम मत लो क्योंकि आपको इसी जन्म में आप अपना ये शरीर छोड़ोगे आपको किसी को अपनी शक्ल और सूरत और जो भी आपने इस जीवन में कर्म किया वो सब आपको लेकर उपर जाना है..आपको किसी का सामना करना है वहां जाकर अपनी जिंदगी के बाद भी.. तो मैं कहती हूं कुछ भी ऐसा मत करो जो तुम्हारे पीछे जाए. तुम्हे वो करना चाहिए जो सही है
सवाल- आपने अपनी किताब ऑटोबायोग्रॉफी ऑफ योगीनी में लिखा था कि आप कभी बॉलीवुड़ में नहीं आती लेकिन कहीं आपकी माता के मन में एक इच्छा थी जो आपके जरिए पूरी हुई?
जवाब- हां.. तुम देखोगी जैसा मैनें अपनी किताब में लिखा है कि मैं मध्यवर्गीय परिवार से आती हूं.. मिडिल क्लास में ब्राह्मण परिवार से..मेरा पूरा बचपन पूजापाठ में ही बीता.. महाराष्ट्र में ब्राह्मण का मतलब ब्राह्मण में उच्च और नीच.. और मैं उच्च कुल से आती हूं.. हम जनेउ, धोती, पूजापाठ, यज्ञ और हवन मेरा ये सब देख के गुजरा और मां का तो 1940 और 1950 में गुजरा उस वक्त के लोगों में इस सब को लेकर इच्छा होती थी क्योकि उस वक्त अच्छे परिवार की लड़कियों को सिनेमा में जाने की इजाजत नही होती थी तो वो सब मम्मी की इच्छा थी वो लता मंगेशकर की बड़ी फैन थी.. यहां तक कि जब वो लताजी से मिली वो उनके लिए ऐतिहासिक था और वो रो रही थी.. मैं भूल गई थी मेरे लिए लता जी सामान्य थी.. मैने उनके गानों को सुनती थी मेरे लिए ये सही था.. मै देख सकती थी कि वो आंसूओं से भीग गई थी जैसे कि वो मरने वाली हो अगले ही पल में.. मेरी मां की आवाज अच्छी थी वो अक्सर ट्रेन में गाती थी उनके लिए लता मंगेशकर भगवान थी.. आप समझ सकती हो उनकी इच्छा थी कि कोई कुछ खास करे.. ये सब मेरे लिए इस तरह से आया और मै एक पीड़ित थी.. और मुझ पर विश्वास करो कि मुझे फिल्म में कोई दिलचस्पी नहीं है..
सवाल- आपको अपना पहला ऑडिशन याद है?
जवाब- हां मुझे मेरा पहला ऑडिशन याद है..
सवाल- पहले ऑडिशन में पास हो गए थे आप?
जवाब- नहीं.. नहीं हुई… मेरा ऑडिशन दूसरे तरीके से हुआ था उस वक्त और मैं वो पास नही पा सकी थी क्योकिं आप देखोगे कि इस इंडस्ट्री में आपको बहुत तरीके से प्रभावित करना होता है आप जानते है.. और मैं गैर फिल्मी परिवार से आती हूं.. लेकिन अच्छा वक्त था लोग मेरे पास आ रहे थे.. मेरे ऑडिशन पर जाने की बजाय मेरे पास ज्यादा आ रहे थे मैने महसूस किया.. मैं ऑडिशन पर जाती थी फिर अचानक ही मेरे पास ढेर सारे ऑफर आने लगे
सवाल- पहली फिल्म आपकी तमिल थी?
जवाब- मेरी पहली पिक्चर तमिल थी और वो भी सुपरहिट थी.. ये उस साल की सबसे बड़ी हिट फिल्म थी और लोगों ने तो मेरा नाम भी उनके हाथ में क्या उसको बोले टैटू किया था और मुझे करीब 60 फिल्मों का ऑफर मिला था.. उसी वक्त बॉलीवुड में मेरी फिल्म आशिक आवारा ने अच्छा किया था इसलिए मुझे बॉलीवुड़ से भी ऑफर मिल रहे थे तो मुझे अच्छा लगा.. तमिल मैं बोल नही सकती थी ये सीखने में काफी वक्त लगता तो मैने बॉलीवुड़ को चुना और मैं दोनों जगह सफल रही.. मद्रास में अक्सर हमारे बॉलीवुड़ एक्टर को कोई नही पूछता पर जब भी मैं जाती हूं तो उस हिट फिल्म की वहज से लोग मुझे काफी जानते है.. वो सुपरहिट फिल्म थी और लोग मुझे जानते है
सवाल- उस समय में मैने आपका परिचय करवाया था तो मैने बिंदास कहा कि उसी समय किसी मैगजीन में आपकी बिंदास तस्वीर छपी थी.. आप पर छोटा सा केस भी हो गया था. मैं भूल ना रही हूं तो आप पर पंद्रह, बीस हजार का जुर्माना हुआ था?
जवाब- वो एक बड़ी गलती थी क्योकिं मैं उसमें विश्वास नहीं करती जो मैने तब किया था.. मुझे अपने उपर ही विश्वास नहीं था कि मैने ये क्यूं किया लेकिन मैं एक बच्ची थी.. मेरे अंदर बहुत मासूमियत थी.. मैं बहुत ही मासूम थी अगर कोई एक भूत को भी मेरे सामने रखकर बोलता कि ये भगवान है तो मैं मान जाती.. तो मुझे किसी ने इंटरनेशनल बहुत अच्छा डेमी मूड का फोटो दिखाया तो मैने कहा ठीक है.. मै एक चीज पर हमेशा विश्वास करती हूं कि गंदगी आपकी आंखों में है अंदर है वर्ना ऐसे तो आप कुंभ मेले में जाते है.. साधु तो कुछ नहीं पहनते है लेकिन उनको आप कभी गलत द्रष्टि से नहीं देखते है तो मै ऐसा सोचती हूं कि गंदगी आपकी आंखों में है वर्ना आपको हर चीज नग्न लगेगा. पिक्चर में भी आपको लगेगा कि यह नग्न है लेकिन दुर्भाग्यवश मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ.. मैनें उसे कला के रुप में देख रही थी मै नही जानती थी कि वो उस तरह से जाएगा खैर ये किस्मत हैं.. अगर आज मुझे फिर वो कवर मिलेगा तो मै नहीं करुंगी 100 फीसदी मै नहीं करुंगी क्योकिं मुझे वक्त ने सिखाया है.. 12 साल की मेरी जो ये तपस्या है उसमे काफी चीज जो मुझे लगता है कि इस चीज को नहीं करनी चाहिए.
सवाल- जो आपने अपनी किताब में लिखा है और आपके साथ मेरी बातचीत हो रही है लगातार उसमे आपने दो शब्द इस्तेमाल किया बार-बार.. आपने कहा तप और प्राश्चयित, ये शब्द आपके लिए क्या मायने रखते हैं.. तप क्यूं और प्राश्चयित कर रहे हो तो क्यूं?
जवाब- प्राश्चयित मतलब देखिए शीला.. कुछ भी मेरा पिछली जिंदगी है मुझे सफलता मिली मैं फैमस हुई लेकिन जब आप मेरी किताब पढ़ेगीं जो आपने पढ़ी भी है उसमे मैनें पहली लाइन में बोला है कि जिसके लिए आपका जन्म हुआ है वो जीवन में जब आप बन जाते है तो आपको उसका समझ आता है क्यूं मै इस घर में इस कुल में इस वंश में मेरा जन्म क्यूं हुआ.. तो जैसे मेरी किताब में मैने मेरा बचपन ही मेरे एक मतलब मेरा जन्म ही सामान्य ढ़ंग से नहीं हुआ था.. जैसा मैने अपनी किताब में कहा है कि मेरी मां लेबर रुम में थी और मेरी दादी बाहर बैठी थी.. चार बजे वक्त था सुबह का और उनकी आग लग गई और आग लग गई तो मां भगवती उनके दर्शन में आयी मतलब उनके सपने में आयी.. चार बजे का समय था और कहा कि मैं आ रही हूं और इस लड़की को मेरा नाम मिलना चाहिए.. और मेरे फादर जो थे वो नहीं आए थे देखने को मुझे वो सो रहे थे..
सवाल- क्योंकि आप तीसरी लड़की थी?
जवाब- मै तीसरी लड़की भी थी और जो मेरी दादी भी थी उन्होने मां भगवती की पूजा पाठ ब्राह्मण में तो ये रोज का ही चलता है.. मेरे जो पिता जी है वो मदर मेरी के फॉलोवर है और हमने वैलेन कीली की मूर्ती रखी थी वो जीसस के साथ बहुत फेमस है वो हर दिन कैंडल जलाते है.. मदर मेरी सुबह उनके सपनें में आयी और कहा कि मैं आ रही हूं तुम्हारी बेटी के रुप में.. मेरे पिता जी घर से बाहर आए और वहां मेरी मां और दादी भी थी.. जब दैवीय शक्तियों ने कहा था कि मै आ रही हूं तो चीजें बदल गई थी और मेरा जन्म भी अलग परस्थितियों में हुआ मेरे तीसरे नबंर के बावजूद भी.. और उस वक्त मेरे पिता का निलंबन हुआ था वो अपनी जॉब से निलंबित हुए थे किसी चीज के लिए तीन महीने के लिए.. तो जैसे मेरे जन्म हुआ मेरे डेडी को जॉब मिला उनको प्रमोशन मिला वो डेप्यूटी आरटीओ बने और मै अपने घर वालों के लिए किस्मत वाली रही.. पिता को पैसे मिलने लगे अगर आपके पिता को पैसे मिलने लगे तो आपको अच्छी शिक्षा मिलेगी हर चीज मिलेगी अन्यथा मै भी एक आम बच्ची जैसी होती तो मुझे अपने बचपन तक ये सब मिला और मैं बॉलीवुड़ में नहीं होती शुरुआत से ही अध्यात्म में होती मतलब मुझे पहले से अध्यात्मिक जीवन में मतलब मेरा जन्म ही उस चीज के लिए हुआ था
सवाल- पर जब आप फिल्म इंडस्ट्री में थी तब ये चीज दिख नहीं रही थी?
जवाब– शीला मै तुमको बताउंगी जैसे बोलते हैं ना कि हर एक का ये होता है कि आप अपना स्वभाव नहीं बदल सकते.. आप विश्वास नहीं करेंगे कि मैं शूटिंग में भी जाती थी तो एक कपड़े की बैग है, एक मेकअप की और एक पूरी बैग पूजा की
सवाल- आप शॉट नहीं देती थी?
जवाब- मै शॉट क्या मेरे बैग में गणपति का एक पोथी होता था.. पर्णमय शीर्षादेवम गौरीपुत्र विनायका जब तक होता
सवाल- तो आपने गगनगिरी महाराज के बारे में जो लिखा था आपने कहा था कि आपने उनको पूछना था.. दो सवाल तो आप पूछ चूंकी थी तीसरे सवाल का जवाब नहीं मिला जो आपकी शादी को लेकर था.. अगर तीसरे सवाल का जवाब मिल जाता तो ममता कुलकर्णी की जिंदगी कुछ अलग होती?
जवाब- जी बिल्कुल.. शीला मै सोचती कि मैने बारह साल भी दस साल जो मेरा इंडस्ट्री में समय मैने गुजारा मुझे ऐसा लगा जब मैने आध्यत्मिक जीवन में जो मैने तीनों समाधियों को मैने प्राप्त किया उस अवस्था में मुझे ऐसा लगा कि मैने इतना समय क्यूं व्यर्थ किया.. क्यूं भगवान ने मुझे इतनी देर उसके जीवन में लाकर खड़ा कर दिया क्यूं इतना देर क्यूं दस साल मेरे व्यर्थ किए फिर मै सोचती हूं हर एक का एक समय होता है और काफी चीज उसके लिए.. एक मिडिलमैन जैसे बहुत सी चीजें किसी के माध्यम से आती है मेरी जिंदगी में भी और ये टर्निंग प्वाइंट था मेरी जिंदगी में
सवाल- तो किस दिन आपने सोचा कि अभी आपको इंडस्ट्री आपको छोड़ देनी है और आपको दुबई जाना है.. आपने लिखा है कि आपने मां को और गुरु को पूछा था कि मै विक्की गोस्वामी के पीछे जाऊं जो जेल में बंद है?
जवाब- नहीं ऐसा कुछ नहीं है.. ऐसा होता तो शायद
सवाल- शायद आपने किताब में जिक्र किया है कि?
जवाब- नहीं..
सवाल- मां को भी पूछा है एक वो पल था जो मैने तय किया था और गुरुजी को भी पूछा था?
जवाब- हां गुरु जी को निश्चित मालूम था.. देखिए एक तो
सवाल- क्या वो पल मुश्किल था निर्णय लेने में आपको तकलीफ हो रही थी कि मै कहां जा रही हूं क्या कर रही हूं?
जवाब- नहीं ऐसा कुछ नहीं था मैने अपनी जिंदगी अपने गुरु के हवाले छोड़ थी
सवाल- तो क्या आशिर्वाद दिया?
जवाब- और देखो शीला मैने जब किताब में लिखा है कि आपके करोड़ों जन्मों के जब आपके पाप नष्ट होते है और जब आपने बहुत ज्यादा पुण्य आपके ये होती है क्या उसको बोलते है इकठ्ठा हो जाते है तब आपको गुरु मिलते है.. गुरु मतलब हम उसे मास्टर कह सकते है क्योकिं हर कोई अपने को गुरु कहता है कोई श्रषि कहता है.. मै गगनगिरी महाराज जी को श्रषि ही समझती हूं और श्रषि ही थे क्योकिं मेरे डैड भी इनके फॉलोवर थे मेरे पिता मतलब आप जानती हो सब आदमियों को उनको भगवान पर भी विश्वास नहीं होता है तो गुरु कौन और ये कौन लेकिन मेरे डैडी की जॉब वहां पर खोपोली और पूने में थी तो उनका महाराज जी के साथ जुड़ाव हो गया और मुझे डैडी हमेशा कहते है अबे मुर्ख कि आप उनको मिलकर आ जाओ.. मै सोचती थी कि डैडी मै जाउंगी डैडी ने कहा मतवब बहुत बड़ी चीज है वर्ना उनको इतना जल्दी किसी का ये नहीं होता है.. तो मैने बोला ठीक है जिस दिन में जाउंगी पूने शूटिंग करुंगी खंडाले में मै खोपोली जाउंगी.. खोपोली बीच में आता है तो मै दर्शन करके आ जाउंगी महाराज के.. ऐसा करके-करते मै एक दिन पहुंच गई महाराज के सामने देखा तो बहुत भीड़ थी लोगों की.. कहां-कहां से ट्रक भर के और मै गई मेरे पास तो ढेरों सवाल थे क्योकिं मै बॉलीवुड़ इंडस्ट्री से थी.. बॉलीवुड़ इंडस्ट्री में क्या होता है कि फिल्म हिट होगी सुपरहिट होगी मेरे पास बकवास सवाल थे शादी और भी बहुत सारे.. देखा तो ये संत बैठे है लेटे हुए है अपनी समाधि में व्यस्त लेकिन मै वो शांति महसूस कर सकती थी वो शांति मुझे खींच लाई और जैसे मैने अपनी किताब में पूछा तो दुसरी मुलाकात वो थी कि वो अकेले बैठे हैं और मुझे ऑफिस मै लाकर बिठा दिया था बहुत भीड़ थी.. मैने बोला कैसे.. दुसरी मीटिंग में कुछ बात नहीं हुई हमारी.. कैसे डैडी बोलते है कि मिलो महाराज को ये तो कुछ बोलते ही नहीं तो फिर मैं उनके ऑफिस में बैठी.. दस मिनट में आंख बंद करके बैठी रही कि महाराज जी मुझे जल्दी बुलाओ ऐसा करते-करते दो मिनट में देखा बाहर सब गायब और महाराज जी अकेले झूले में बैठे है.. मैं उनके बाजू में गई और अपनी जिंदगी में पहली बार किसी संत से मिली जो बात नहीं करते .उनका पूरा जीवन तप में चला गया
सवाल- फिर आपने सवाल पूछे?
जवाब- मैने सवाल उनको पूछा.. जैसे उनके नजदीक में गयी मुझे डैडी की याद आयी मुझे कहते थे कि ये त्रिकालदर्शीय उनके सामने कुछ बकवास मत कर.. बॉम्बे में तो आपको मालूम है एक से बढ़कर फेक सब अपने आप को कहते है मगर उनको आज का मालूम नहीं है तो मैं उनके साथ आकर खड़ी हो गयी फिर वो ऐसे थे मैं पीछे खड़ी थी मैने अंदर से उनको सवाल किया तो मैने बोला अगर ये सचमुच त्रिकालदर्शी है तो वो जानेगें कि मैं अंदर से क्या सवाल पूछ रही हूं.. तो उन्होने सीधा उपर करके जवाब दिया जो भी मेरे सवाल थे और दूसरा सवाल जो मैने पूछा अध्यात्म के रास्ते का.. उन्होने कहा नहीं नहीं कठिन कार्य है महाराज जी ने मेरी और देखा कहा कि तुम्हारे लिए यह नामुमकिन है और तीसरा मेरी शादी के बारे में मैने कहा मेरी शादी कब होगी.. उन्होने मेरी ओर देखा और कहा कि तीसरे सवाल के जवाब की जरुरत नहीं है और ऐसे करते-करते तीन-चार बार मुलाकात हो गयी.. फिर मैने नवरात्रि जो आती है उसमे मेरा भयकंर तप होता था बॉम्बे में रहकर फिल्म इंडस्ट्री में रहकर नौ दिन में सिर्फ जल पर रहती थी
मैं तीन यज्ञ सुबह, एक दोपहर को, एक रात को एक यज्ञ मेरा तीन घंटे का हवन यज्ञ
सवाल- मुझे लग रहा है आपकी बात सुनकर की आप दो तरह की जिंदगी जीती थी.. एक जो ममता कुलकर्णी अभिनेत्री थी और बॉलीवुड़ की चकाचौंध थी उसके बीच में रहती थी.. एक ममता कुलकर्णी ऐसी थी जो अपने साथ पूजा की सामाग्री लेकर चलती थी.. पूजा करती है, हवन करती है और व्रत करती है ताज्जुब होता है कि जो चकाचौंध के बीच रहती थी ये सब तब सामने नहीं आया?
जवाब- हां..उस वक्त मैं खुद अपने आप को ढुढ़ने की कोशिश कर रही थी.. ऐसा क्यों मैं देख सकती हूं कि मैं नॉर्मल जिंदगी जीती थी, ब्वॉयफ्रेंडस थे, पब्स थे.. मेरा ज्यादा वक्त पूजा-पाठ, भक्ति जो भी मंत्र मिलेगा उसको याद करने में 24 घंटा उसमे निकलता था तो जैसे मैने कहा नवरात्रि का जो तप है मेरा नौ दिन सिर्फ पानी पीकर रहना.. यज्ञ चल रहा है पेट में कुछ नहीं है
सवाल- तब शूटिंग कैसे करती थी?
जवाब- उन नौ दिनों में मैं शूटिंग नहीं करती थी और नौवें दिन एक समय ऐसा हुआ दो तीन नवरात्रि किए मैने.. एक नवरात्रि में ऐसी चीज हुई और मेरा उस वक्त का जो ड्रेस डिजाइनर था उसने मुझसे पूछा कि तुम क्या कर रही हो.. नौ दिन खत्म हो गए चलो बाहर चलते है उसके साथ में बाहर गई और शराब पी शराब मेरे को चढ़ गई.. मैने कहा रुको मैं अभी आती हूं मैं वॉशरुम गई और मुझे महसूस नहीं हुआ कि मुझे नहीं पीनी चाहिए थी तब मुझे लगा कि ये सब मुझे बंद करना चाहिए मुझे वापस एक अनुभव हुआ तो मैने सब कुछ छोड़ दिया.. फिर मैने और ज्यादा ध्यान किया
सवाल- मेरा सवाल मैं वापस दोबारा आती हूं कि आपने कौन से पल में तय किया कि आप विकी के लिए दुबई जाएगीं और वो पल भी मुश्किल था. वो जेल में थे वो समय मुश्किल था और आप बॉलीवुड़ की एक सुपरस्टार बन चुकी थी.. आपको उनके पास जाना था तो ऐसा कोई कारण होगा कि आप वो सब छोड़कर चली गई.. क्या वो प्रेम था?
जवाब- जैसा मैने बोला मेरा ध्यान बढ़ता गया मेरी भक्ति बढ़ती गई तो एक साधु को मालूम है जो ब्रह्मज्ञानी है उनको मालूम है कि ये बॉम्बे में रहेगी तो तप तो निश्चित नहीं होगा किसी भी स्वरुप में नहीं होगा..यह सब आसान नहीं था उनको जो ज्ञान मुझे देना था वो अगर अलग जाकर एकांत में जाकर वो जो अनुभव करना था मुझे नहीं कर पाती बॉम्बे में तो बिल्कुल नहीं हो पाता इसलिए मैं वापस नहीं आना चाहती क्योकिं मुझे मालूम है कि काफी चीजें मैने छोड़ दी है, लोगों को छोड़ दिया है अभी ऐसा लगता है कि कोई भी आवाज नहीं होनी चाहिए जीवन के अंदर.. अचानक मैं फिर से वापस आ गयी उसी सब काम में इसीलिये मैं इंटरव्यू देने से हिचकती हूं.. जो है वो है सब अपने आप ठीक हो जाएगा क्योंकि अब सही आदमी को ये नहीं कह सकते कि इसमे मेरा ये नहीं है जैसा तुमने मुझसे पूछा कि मैं विकी की बात करना चाहती हूं कि वो 2012 तक दुबई की जेल में था, हर कोई जानता है.. उसी समय मेरा तप भी खत्म हो गया और 2012 में मैं कुंभ मेले में भी गई थी.. करीब साल 2000 में उसने मुझसे एकांत कारावास से बात की थी.. एकांत कारवास एक छोटा सा कमरा होता है और ऐसी स्थिति में वो आदमी 25 दिन बिना खाए पीए रहा, उसने हठयोग पकड़ के रखा था कि मुझे गलत ढ़ंग से अंदर डाला, इस पेपर को नहीं साइन करुंगा.. साइन किस चीज के लिए उसको फंसाने के लिए कि साइन करो, उसने मुझसे फोन किया क्योंकि उसका पूरा शरीर सोचना आप.. लोग तो एकांत कारावस में 2-3 दिन भी नहीं रह सकते मतलब लोग वहां पर अपने आपको मारना चाहते है