सर्द हवाओं से शरीर अपनी कोमलता खो देता है और सुस्ती महसूस करता है। ऐसे में सर्दियों में उस एक चम्मच च्यवनप्राश, गुनगुने दूध के साथ आयुर्वेदिक दवाई हो जाता है। पुराने आयुर्वेदिक ग्रंथों से निकला यह हर्बल मिश्रण, सिर्फ स्वाद नहीं, शुद्ध स्वास्थ्य की गारंटी देता है। खुद की रसोई में आंवले की खटास, शहद की मिठास और जड़ी-बूटियों की सुगंध से रोग प्रतिरोधी मिश्रण बनता है।
वैसे तो बाजार में कई विकल्प मौजूद हैं, फिर भी सैकड़ों वर्षों पुरानी इस जैविक विधा को घर पर बनाकर शरीर को असली ताकत और रोग प्रतिरोधी क्षमता दे सकते हैं। बिना मिलावट, बिना शॉर्टकट और शुद्ध चमनप्राश घर पर बनाने की विधि यहां बताई जा रही है।
घर पर च्यवनप्राश कैसे बनाएं?
एक किलो ताजा आंवला धोकर प्रेशर कुकर में दो सीटी दें। ठंडा होने पर बीज निकालकर पल्प बना लें।
चुनी हुई सूखी जड़ी-बूटियों जैसे पिप्पली, गुडुची और अश्वगंधा आदि 1 लीटर पानी में 1–2 घंटे धीमी आंच पर उबालें, जब तक पानी लगभग आधा न रह जाए। फिर इसे छलनी या मलमल से छान लें। यही आपकी हर्बल शक्ति होगी।
एक भारी तले की कढ़ाई में आंवला पल्प और हर्बल डेकोक्शन मिलाएं। फिर गुड़ या चीनी डालकर धीमी आंच पर पकाए। लगातार चलाते रहें। जब मिश्रण गाढ़ा हो जाए और पैन के किनारों से अलग होने लगे, तब 4–5 चम्मच देसी घी मिलाएं।
जब मिश्रण हल्का ठंडा हो जाए, तब शहद मिलाएं। साथ ही दालचीनी, इलायची जैसे मसाले भी डालें ताकि स्वाद भी मिले और प्रभाव भी।
पूरी तरह ठंडा होने पर एयर-टाइट काँच की बोतल या जार में भर लें। यह मिश्रण महीनों तक सुरक्षित रहता है। रोज़ाना 1–2 चम्मच खाली पेट या गुनगुने दूध के साथ लेना अच्छा रहता है।
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