शास्त्रों में कई ऐसे देवता व अवतार है जिनका जन्म किसीके गर्भ से नहीं हुआ हैं. पर आज हम जिसकी बात करने वाले है उन महापुरुष के जन्म के सम्बन्ध में यह कथा प्रचलित है कि वो शिव का रूप है और इस सिद्ध पुरुष के जन्म से जुड़ी बातें आश्चर्यजनक और रहस्यमय है क्योकि उसका जन्म नही बल्कि उसकी उत्पति हुई थी.इनकी उत्पत्ति किसी जीव के गर्भ से नहीं हुआ बल्कि यह एक पदार्थ से उत्पन्न हुए थे.
बाबा गोरखनाथ, एक योग सिद्ध गुरु थे इनकी हठयोग परम्परा के कारण ही इन्हे भगवान शिव का रूप कहा जाता है. यथार्थ में गोरखनाथ को उनके गुरु मत्स्येन्द्रनाथ का मानस पुत्र कहा जाता है क्योंकि ये उनके सबसे प्रिय शिष्य थे.
एक मान्यता के अनुसार एक दिन गुरु मत्स्येन्द्रनाथ भिक्षा मांगने एक गाँव में गए. जिसके घर पर भिक्षा मांगने गए उस स्त्री का कोई बच्चा नहीं था इसलिए उस स्त्री ने आशीष में पुत्र उत्पति की याचिका की.उसकी याचना से गुरु मत्स्येन्द्रनाथ का दिल पिघल गया और उस स्त्री की प्रार्थना स्वीकार करते हुए गुरु मत्स्येन्द्रनाथ ने उसको मन्त्र पढ़कर एक चुटकी भभूत दी और पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद देकर वहां से चले गए.
उस स्त्री ने उनके सिद्धि से अनजान होने के कारण गुरुजी के द्वारा दी हुई भभूत को खाने की जगह गोबर में फेक दिया था. बारहसाल बाद पुनः गुरुजी उस स्त्री के घर गए और उस बालक के बारे में पूछने लगे तब उस स्त्री ने यह सारा कथांक उन्हें सुनाया.उसकी बात सुनकर गुरु मत्स्येन्द्रनाथ गोबर के स्थान से बालक को आवाज़ लगाने लगे तब उस गोबर वाली जगह से एक बारह वर्ष का सुंदर व आकर्षक बालक बाहर आया और हाथ जोड़कर गुरु मत्स्येन्द्रनाथ के सामने खड़ा हो गया.जिसको गुरु मत्स्येन्द्रनाथ अपने साथ लेकर चले गए और यही बालक बड़ा होकर अघोराचार्य गुरु गोरखनाथ बने और विश्व में प्रसिद्ध हुए.