जालंधर। आलू किसानों का कहना है कि कोल्ड स्टोरों में अब भी पुरानी फसल भरी होने से राज्य में किसानों को इस सीजन में भी मुनाफा कम होने की संभावना दिखाई दे रही है। बताया जा रहा है कि फिलहाल लगभग 40 प्रतिशत कोल्ड स्टोर पुरानी फसलों से भरे हुए हैं। ऐसे में किसानों को बाजार में फसल की भरमार होने का सामना करना पड़ सकता है।
पिछले साल भी इस प्रकार के हालात बन गए थे और उस समय कीमतें गिरकर एक रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई थीं। यहां तक कि भंडारण की लागत ही तीन रुपए प्रति किलोग्राम थी। आंध्र प्रदेश, राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में, जहां मांग अधिक है। आलू भेजने की परिवहन सुविधा प्रदान करने में राज्य सरकार की मदद के अभाव में पंजाब के किसानों को मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है।
इस वर्ष आलू का उत्पादन 10-15 प्रतिशत तक घटने की संभावना है, क्योंकि पिछले सीजन में किसानों को उनके उत्पाद के लिए पर्याप्त दाम नहीं मिले। अधिक उत्पादन के कारण पिछले सीजन में कीमतों में गिरावट आई, जिसकी वजह से कोल्ड स्टोर भी भर गए। भारत के सालाना आलू उत्पादन में पंजाब का योगदान पांच प्रतिशत रहता है और जालंधर, कपूरथला, एसबीएस नगर तथा होशियारपुर जिले प्रमुख उत्पादन केंद्र हैं। हालांकि पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश में भारत का अधिकांश आलू उत्पादन होता है, लेकिन वे बीज पंजाब से खरीदते हैं। 2016 में इन राज्यों के किसानों ने नोटबंदी की वजह से बीजों की खरीद नहीं की। इससे भी पंजाब में किसानों का बिक्री चक्र बिगड़ गया।
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