न घर में चैन है और न ही बाहर राहत है। रात करवट बदलते बीत रही है। इन दिनों जनपद के लोगों का यही हाल है। उमस भरी गर्मी ने पिछले कुछ दिनों से सभी को परेशान कर रखा है। हवा है कि शरीर में लग ही नहीं है। ऐसे मौसम में वृद्धों, बच्चों और बीमारों की अधिक फजीहत हो रही है। कूलर और पंखे भी बेअसर साबित हो रहे हैं। 
पिछले दिनों बारिश से मौसम सुहाना था
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पर्व पर शहर में तीन दिन झमाझम बारिश हुई थी। इससे गर्मी की मार से परेशान लोगों को काफी राहत मिली थी। उसके बाद आसमान से बादल गायब होने लगे। धीरे-धीरे एकदम साफ हो गए। हां यदा, कदा सूर्य को ढंकने के लिए आ जाते हैं। हालांकि सूर्य की किरणों को रोक पाने में बादल बेबस हैं। इसके बाद एक बार फिर मौसम ने करवट बदल ली है। सूर्य की किरणें धरती तक पहुंचने लगी है। ऐसे में मौसम फिर तल्ख हो गया है।
अब तो न घर में चैन है और न ही बाहर आराम
अब तो यह हाल है कि उमस भरी गर्मी एक बार फिर चरम पर पहुंच गई है। आलम यह है कि न घर में चैन है और न ही बाहर। कूलर और पंखे भी बेअसर हो चुके हैं। आसमान में कभी बदल तो दिखते हैं और कुछ देर के लिए छाया भी करते हैं लेकिन गर्मी का साम्राज्य नहीं कम पा रहे हैं। सूर्य की तल्ख किरणों शरीर में चुभ रही हैं।
वृद्धों, बच्चों के साथ ही बीमारों की अधिक दिक्कत
मौसम में अचानक हो रहे इस परिवर्तन से जनपद के लोगों की परेशानी भी बढ़ गई है। अचानक मौसम में हो रहे बदलाव के कारण घर-घर बीमारियों ने भी पांव पसार लिया है। अब उमस भरी गर्मी से वैसे तो सभी बेहाल हैं लेकिन सबसे अधिक दिक्कत है वृद्धों, बच्चों के साथ ही बीमार लोगों की। एसी के अलावा कूलर और पंखे बेअसर साबित हो रहे हैं।
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