नई दिल्ली। पाकिस्तान के बढ़ते दुस्साहस और आतंकवाद को बढ़ावा देने की कार्यों में किसी तरह का बदलाव नज़र नहीं आ रहा। ऐसे में पीएम मोदी ने पाकिस्तान को नेस्तनाबूत करने की कसम खा ली है। मुंहतोड़ जवाब देने के लिए प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तरकश से ऐसा बाण निकाला है जिसका वार पकिस्तान युगों तक याद करेगा।
पाकिस्तान को नेस्तनाबूत करने की कसम
ख़बरों के मुताबिक़ भारत सिंधु जल समझौते के तहत अपने हिस्से में आने वाले ज्यादा से ज्यादा पानी के इस्तेमाल करने की योजना बना रहा है।
ये निर्णय भारत-पाकिस्तान की भूराजनीति से प्रेरित है। अगले साल भारत चिनाब नदी पर पनबिजली प्रोजेक्ट शुरू करने की तैयारी कर चुका है।
27 सितंबर को मोदी ने पाकिस्तान के साथ 56 साल पुरानी सिंधु जल संधि पर नए सिरे से विचार के लिए आयोजित समीक्षा बैठक में भी समझौते पर दोबारा विचार करने के निर्देश दिए थे।
हाल ही में हुई बठिंडा रैली में भी पीएम मोदी ने साफ किया था कि वो सिंधु का बूंद-बूंद पानी किसानों तक पहुंचाएंगे।
चेनाब में पनबिजली प्रोजेक्ट से पहले सरकार स्वालकोट (1,856 मेगावॉट), पाकुल दुल (1,000 मेगावॉट) और बुरसर (800 मेगावॉट) प्रोजेक्ट भी शुरू करेगी।
स्वालकोट प्रोजेक्ट अगले साल की शुरुआत में ही शुरु हो जाएगा। केंद्र की तेजी के बाद पाकुल दुल प्रोजेक्ट के काम में भी तेजी आई है। स्वालकोट प्रोजेक्ट के तहत चेनाब पर 193 मीटर का बांध बनाया जाएगा। जिससे 1856 मेगवॉट बिजली पैदा होगी। इसका निर्माण दो चरणों में होना है।
प्रोजेक्ट पर काम शुरू होने से पहले, उसकी वजह से विस्थापित होने वाले 629 परिवारों के 4 हजार चार सौ लोगों के पुनर्वास के लिए राज्य सरकार ने काम करना शुरू कर दिया है। वहीं दूसरी ओर बुरसर प्रोजेक्ट पर काम शुरू होने में अभी वक्त लगेगा।
ख़बरों की माने तो केंद्र सरकार अब सिंधु जल संधि के तहत आने वाली सभी नदियों का बूँद-बूँद पानी निचोड़ कर देश में बदलाव लाने की बात कर रही है।
वहीं, इस फैसले का असर पाकिस्तान के पॉवर प्लांट्स पर भी पड़ने वाला है। इस योजना के तहत जब भारत डैम बिजली उत्पादन के लिए सिंधु से जुड़ी सभी नदियों का पानी इस्तेमाल कर लेगा तो पाकिस्तान के पीने के पानी को तरसने की उम्मीद है। पीने के पानी का ठिकाना ही न होगा तो बिजली बनाने की बात दूर की है। साफ़ तौर पर कहा जाए तो पाकिस्तान पर अब बिजली और पानी दोनों का संकट आने वाला है।