500 और 1000 रुपए के नोटों के बंद होने से राज्य में फ्लैट और भूखंडों से सरकार को होने वाली आमदनी औंधे मुंह गिरी है। डेढ़ अरब रुपए प्रतिमाह से ज्यादा औसत से मिलने वाला राजस्व घटकर 55 करोड़ रुपए रह गया है।
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जानकारों का मानना है कि आगे हालात और मुश्किल होने वाले हैं। क्योंकि इस बार तो कई लोगों को इसलिए रजिस्ट्रिी के लिए जाना पड़ा कि उन्होंने सितम्बर और अक्टूबर में कई सौदे कर लिए थे। लेकिन नोटबंदी के बाद की सूचनाएं हैं कि लोग अपना पैसा सुरक्षित रखने की नीति पर चले गए हैं। इस कारण प्रोपर्टी की खरीद बिक्री का ग्राफ नवंबर के महीने में बहुत नीचे आ गया है।
“नकदी की कमी की वजह से प्रापर्टी की खरीद बिक्री में कमी आई है। ऑनलाइन रजिस्ट्री के बावजूद भुुगतान तो नकद ही करना पड़ता है। फिलहाल कुछ भी कहना अतिश्योक्ति होगी, लेकिन यदि एक से दो सप्ताह में बाजार में मुद्रा की तरलता बढ़ती है या फिर कैशलेस ट्रांजेक्शन की पूरी व पुख्ता व्यवस्था हो जाती है तो रजिस्ट्रियां व इससे आय बढऩे के आसार हैं।”
नोटबंदी से पहले ग्वालियर का रियल एस्टेट कारोबार 25% तक हो रहा था। वहीं नोटबंदी के दौरान बंद किए गए बड़े नोटों का रियल एस्टेट पर ऐसा असर हुआ कि अब ये जीरो हो चुका है। इसके चलते वर्तमान में बड़े प्रोजेक्ट पर काम भी रूके पड़े हैं।