चाईबासा। नक्सलियों की प्रताड़ना और जुल्म से तंग आकर 13 वर्षीय नाबालिग मौका देखकर दस्ता छोड़कर भाग आई। इसकी जानकारी मिलते ही पुलिस नाबालिग का रेस्क्यू कर उसे मुख्यधारा में जोड़ने के लिए यहां ले आई। पुलिस अधीक्षक अनीश गुप्ता ने बताया कि कराईकेला थाना क्षेत्र के इंद्रवा की एक नाबालिग लड़की भाकपा माओवादी के रीजनल कमांडर जीवन कंडुलना के दस्ते के साथ रहती थी। वह नक्सलियों के जुल्म व प्रताड़ना से तंग आकर दस्ते से भागकर घर आई है। इसी आधार पर महिला पुलिस के सहयोग से उसे चक्रधरपुर महिला थाना लाया गया। लड़की ने चक्रधरपुर महिला थाना में पोस्को एक्ट के तहत नक्सलियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है।
उसने बताया कि पिछले साल जून महीने में जीवन कंडुलना के दस्ते में उसे शामिल किया गया था। इसके बाद नक्सली जीवन कंडुलना, रामबीर कालिया और सूर्या लगातार रायफल का भय दिखाकर शारीरिक शोषण करते थे। जूठे बर्तन मंजवाते, खाना बनवाते व कपड़ा धोने का काम करवाते थे। 26 जनवरी को पुलिस के साथ जीवन कंडुलना के दस्ते की मुठभेड़ हुई। इसके बाद मौका देखकर दस्ते से भाग कर वह घर पहुंच गई। एसपी ने तत्काल 10 हजार रुपये की मदद पुलिस विभाग की ओर से की। उन्होंने बताया कि मुख्यधारा में लाने के लिए इसका नामांकन कस्तूरबा विद्यालय में कर दिया जाएगा।
पैसों के लालच में चाचा ने नक्सलियों के हाथों बेचा
नक्सलियों के चुंगल से भागकर आई नाबालिग लड़की ने बताया कि कुछ पैसों के लालच में मेरे चाचा झुपु गागराई ने जबरन मुझे नक्सलियों के हाथों बेच दिया था। जंगल में रात को दस्ते के लोग लड़कियों के साथ गलत काम करते हैं। नक्सलियों के चंगुल में अन्य लड़कियां भी फंसी हैं। वह भी दस्ता छोड़ कर भागना चाहती हैं, लेकिन कामयाब नहीं हो पा रहीं। सभी को बंदी बना कर रखा हुआ है।
डर से कोई कुछ भी नहीं बोलता। पीड़िता ने बताया कि जीवन कंडुलना के दस्ते में पहले 25 से 30 की संख्या में नक्सली शामिल थे। 26 जनवरी को पुलिस के साथ मुठभेड़ के बाद दस्ते में 11 नक्सली ही बचे हैं। वर्तमान में जीवन कंडुलना पोड़ाहाट के जोगोबेड़ा, जोजोगड़ा, रायबेड़ा, सेरेंगदा आदि क्षेत्रों में रह रहा है। गांव में दबाव बनाकर कम उम्र के लड़के एवं लड़कियों को दस्ते में शामिल कर लेता है।
सारंडा के नरवां विद्यालय में 5वीं तक की पढ़ाई
नक्सली दस्ते से भागकर आई नाबालिग पीड़िता ने बताया कि नरवां विद्यालय में पांचवीं कक्षा तक पढ़ाई की। उसके बाद मां का देहांत हो गया, पिता ने दूसरी शादी कर ली। पढ़ाई छूट गई। मजबूरी में घर पर रहने लगी। घर में खेती-किसानी में पिता का सहयोग करती थी। इसी दौरान नक्सली चाचा से संपर्क कर मुझ तक पहुंचे और जबरदस्ती दस्ते में शामिल कर लिया।
नक्सलियों के चंगुल से भाग कर पुलिस के पास पहुंची नाबालिग को डिस्ट्रिक्ट लीगल सविर्स अथॉरिटी (डीएलएसए) के माध्यम से पोक्सो एक्ट के तहत जो मदद होगी वह दी जाएगी। डीएलएसए सचिव से इस संबंध में बात की गई है। गांव में उसकी नानी रहती है। उन्हें भी लाकर सरकारी सुविधा का लाभ दिया जाएगा।