राजधानी में यमुना का जलस्तर बृहस्पतिवार के बाद शुक्रवार को भी खतरे के निशान से नीचे रहा। कल शाम छह बजे पुराने रेलवे पुल पर जलस्तर 205.07 मीटर दर्ज किया गया, जबकि खतरे का निशान 205.22 मीटर है। वहीं, हथिनी कुंड बैराज से 30504 क्यूसेक, वजीराबाद बैराज से 43690 क्यूसेक और ओखला बैराज से 48773 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। बुधवार रात 8 बजे नदी का जलस्तर 205.35 मीटर तक पहुंच गया था।
केंद्रीय जल आयोग ने अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों में निगरानी रखने और आवश्यक कार्रवाई करने की सलाह दी है। अधिकारियों के अनुसार, स्थिति पर नजर रखी जा रही है। सभी संबंधित एजेंसियों को एहतियाती कदम उठाने के लिए कहा गया है।
केंद्रीय बाढ़ कक्ष के एक अधिकारी ने बताया कि चेतावनी का निशान 204.50 मीटर है। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का काम 206 मीटर तक जलस्तर पहुंचने पर शुरू होता है। बैराजों से छोड़े गए पानी को दिल्ली पहुंचने में आमतौर पर 48 से 50 घंटे लगते हैं।
यमुना बाढ़ क्षेत्र के सीमांकन पर एनजीटी ने मांगी रिपोर्ट
एनजीटी ने दिल्ली सरकार और डीडीए को यमुना बाढ़ क्षेत्र के 22 किलोमीटर के इलाके के सीमांकन से जुड़े मानदंडों की जानकारी के साथ ताजा रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। बृहस्पतिवार को अदालत ने 10 दिनों के अंदर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हुए सुनवाई 11 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने 12 अगस्त को दाखिल की गई रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लिया। इसमें कुछ इलाकों में 100 साल में एक बार बाढ़ आने का जिक्र किया गया है। उन्होंने कहा कि गंगा व सहायक नदियों के बाढ़ मैदान के सीमांकन से संबंधित मामलों में वर्ष 2016 में एनजीटी ने आदेश दिया था। इसमें 100 साल में एक बार के उच्चतम बाढ़ स्तर के साथ बाढ़ मैदान के सीमांकन का निर्देश दिया गया था।
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