बच्चों का बार-बार आंखें रगड़ना एक आम आदत है, लेकिन जब यह लगातार होने लगे, तो यह किसी छिपी हुई समस्या का संकेत हो सकता है। आंखों में खुजली, थकान या इरिटेशन के कारण बच्चे अपनी आंखें मलते हैं। लेकिन कई बार इनके पीछे कुछ गंभीर कारण भी हो सकते हैं।
इसलिए अगर बच्चा बार-बार आंख रगड़ने लगे, तो माता-पिता को थोड़ा सावधान हो जाना चाहिए। आइए डॉ. पवन गुप्ता (सीनियर कैटेरेक्ट एंड रेटिना सर्जन, आई 7 हॉस्पिटल, लाजपत नगर) से जानते हैं कि बच्चों में बार-बार आंख रगड़ने के क्या कारण हो सकते हैं और इससे बचाव के लिए क्या किया जा सकता है।
एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस
बच्चों में आंखें रगड़ने का एक बड़ा कारण एलर्जी हो सकती है। धूल, पोलन, पालतू जानवरों के बाल या किसी दूसरे एलर्जेन के संपर्क में आने से आंखों में खुजली, रेडनेस और पानी आने लगता है। इस कंडिशन को एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस कहते हैं। बच्चा आंखों में होने वाली खुजली से राहत पाने के लिए बार-बार आंखें मलता है।
क्या करें?
एलर्जन्स को पहचानें और उनसे बचाव करें।
डॉक्टर की सलाह से एंटीहिस्टामाइन आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल करें।
घर को साफ-सुथरा रखें और धूल-मिट्टी से बचाव करें।
आंखों में थकान या ड्राइनेस
आजकल बच्चे लंबे समय तक मोबाइल, टैबलेट या टीवी स्क्रीन देखते हैं, जिससे आंखों में थकान और ड्राइ आई सिंड्रोम हो सकता है। स्क्रीन टाइम बढ़ने से आंखों की नमी कम हो जाती है, जिससे बच्चे आंखों को आराम देने के लिए रगड़ते हैं।
क्या करें?
स्क्रीन टाइम सीमित करें।
बच्चे को 20-20-20 रूल (हर 20 मिनट में 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर देखें) सिखाएं।
आर्टिफिशियल टियर्स का इस्तेमाल करें।
नेत्र दोष
अगर बच्चे की आंखें कमजोर है और उसे मायोपिया, हाइपरोपिया या एस्टिग्मैटिज्म जैसी समस्याएं हैं, तो वह आंखों पर जोर देने के कारण बार-बार आंखें रगड़ सकता है। धुंधला दिखाई देने पर बच्चे आंखों को साफ करने या बेहतर देखने की कोशिश में ऐसा करते हैं।
क्या करें?
आंखों के डॉक्टर से जांच कराएं।
अगर चश्मे की जरूरत हो, तो उसे पहनाएं।
नींद की कमी या थकान
थके हुए बच्चे अक्सर आंखें मलते हैं, क्योंकि नींद आने पर आंखें भारी हो जाती हैं। अगर बच्चा पूरी नींद नहीं ले रहा है, तो वह आंखों को फ्रेश करने के लिए रगड़ सकता है।
क्या करें?
बच्चे को पूरी नींद लेने दें।
सोने और जागने का समय फिक्स करें।
आंख में कुछ चले जाना
कभी-कभी आंख में धूल, रेत या कोई छोटा कण चला जाता है, जिससे बच्चा बार-बार आंख मलता है। ऐसे में आंख लाल हो सकती है और पानी आ सकता है।
क्या करें?
आंख को साफ पानी से धोएं।
अगर कण न निकले, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
ब्लेफेराइटिस
पलकों के किनारों पर बैक्टीरिया या ऑयल ग्लैंड्स के बंद होने से सूजन हो सकती है, जिससे खुजली और जलन होती है। इस कंडिशन में बच्चा आंखें रगड़ सकता है।
क्या करें?
गर्म पानी से पलकों की सफाई करें।
डॉक्टर से एंटीबायोटिक आई ड्रॉप्स लें।
इन्फेक्शन
कंजंक्टिवाइटिस (आंख आना) या किसी दूसरे इन्फेक्शन के कारण भी बच्चे आंखें रगड़ते हैं। इसमें आंखें लाल हो जाती हैं और पानी या पस निकलता है।
क्या करें?
डॉक्टर से एंटीबायोटिक दवाएं लें।
इन्फेक्शन फैलने से बचाव के लिए हाथों को साफ रखें।
आदत या एंग्जायटी
कुछ बच्चे आदत के कारण या एंग्जायटी और स्ट्रेस के कारण आंखें रगड़ते हैं। यह एक सेल्फ-सूदिंग बिहेव्यिर हो सकता है।
क्या करें?
बच्चे को शांत रहने के दूसरे तरीके सिखाएं।
अगर स्ट्रेस ज्यादा है, तो साइकेट्रिस्ट से सलाह लें।
आंख रगड़ने के नुकसान
बार-बार आंखें रगड़ने से कॉर्निया को नुकसान पहुंच सकता है। इससे किरेटोकोनस (Keratoconus) जैसी गंभीर समस्या हो सकती है, जिसमें कॉर्निया पतली होकर कोन के आकार की हो जाती है। इसके अलावा, आंखों में इन्फेक्शन फैलने का खतरा भी बढ़ जाता है।