हर शुभ कार्य में नारियल का उपयोग जरूर किया जाता है। जब नारियल ईष्ट देव को अर्पित करते हैं, तब इसे केवल पुरुष ही फोड़ते हैं। हालांकि इसके पीछे वैज्ञानिक कारण नहीं है कि नारियल पुरुष ही फोड़ें?
लेकिन धार्मिक मत के अनुसार इसे स्त्रियां नहीं फोड़ सकती हैं। पौराणिक मान्यता है कि नारियल फल नहीं बल्कि बीज है और बीज से ही जन्म होता है। स्त्रियां शिशु को जन्म देती हैं। ऐसे में वह बीज को कैसे नुकसान पहुंचा सकती हैं? स्त्रियों के नारियल नहीं फोड़ने के पीछे सदियों से यह मत मान्य है। वहीं, एक मत यह भी है कि नारियल बलि का प्रतीक है और बलि पुरुषों द्वारा ही दी जाती है। इस कारण से भी महिलाओ द्वारा नारियल नहीं फोड़ा जाता है। यह परंपरा सदियों से प्राचीन काल से चली आ रही है।
नारियल के अन्य उपयोग
पं.बंगाल में नारियल को नारिकेल कहते हैं। नारियल का वृक्ष केरल, पं.बंगाल, ओडिशा, महाराष्ट्र और गोवा के तटीय क्षेत्रों में पाया जाता है। मान्यता है कि यदि शुक्रवार के दिन महालक्ष्मी के पूजन में एक नारियल रखें और पूजा के बाद उस नारियल को तिजोरी में रख दें। रात के समय तिजोरी में रखें इस नारियल को निकाल कर किसी भी श्रीगणेश के मंदिर में अर्पित कर दें। इससे घर की निर्धनता दूर होती है।