पंचांग के अनुसार 24 जून, गुरुवार को ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि है. इस तिथि को ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत और वृट पूर्णिमा व्रत भी कहा जाता है. इस दिन विशेष धार्मिक महत्व बताया गया है. इस दिन व्रत रखने से जीवन में सुख समृद्धि प्राप्त होती है. वट पूर्णिमा का व्रत दांपत्य जीवन में खुशियां लाता है.
ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत
ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत का शास्त्रों में विशेष पुण्य बताया गया है. मान्यता है कि इस दिन विधि पूर्वक व्रत रखने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. पूर्णिमा का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. ज्येष्ठ मास में भगवान विष्णु की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इस दिन स्नान और दान का भी विशेष महत्व बताया गया है. इस व्रत को रखने से धन से जुड़ी परेशानियां भी दूर होती हैं.
वट सावित्री व्रत
पूर्णिमा की इस तिथि में वट सावित्री का व्रत रखा जाता है. उत्तर भारत के कई राज्यों में महिलाएं इस व्रत को बहुत ही श्रद्धा भाव से रखती हैं. पति की लंबी आयु के लिए इस व्रत को रखा जाता है.
वट पूर्णिमा शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा की तिथि 24 जून गुरुवार, को प्रात: 03 बजकर 32 मिनट से शुरू होगी. पूर्णिमा की तिथि का समापन 25 जून 2021, दिन शुक्रवार को रात्रि 12 बजकर 09 मिनट पर होगा.
वट सावित्री व्रत पूजन सामग्री
- बांस की लकड़ी से बना पंखा
- अक्षत
- हल्दी
- अगरबत्ती/ धूप
- कलावा
- श्रंगार की सामग्री
- सिंदूर
- लाल रंग का वस्त्र
- पांच प्रकार के फल आदि
वट सावित्री व्रत की पूजा विधि
इस व्रत को विधि पूर्व करना चाहिए. इस दिन एक टोकरी में सात प्रकार के अनाज रखें. इस टोकरी को साफ वस्त्र से ढक कर रखें. एक अन्य टोकरी सावित्री माता की प्रतिमा को रखें. इसके बाद वट वृक्ष पर जल, कुमकुम, और अक्षत चढ़ाएं. इसके उपरांत सूत के धागे से वट वृक्ष को बांधकर उसके सात चक्कर लगाएं. पूजा की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद गुड़ का प्रसाद वितरित करें.