धनतेरस की तिथि मतभेद ने बाजारों की दो दिन धनतेरस कर दी है। त्र्योदशी के प्रारम्भ और रात्रिकालीन पर्व की स्थिति से मतभेद हो रहे हैं। वैसे अधिकांश विद्वानों की राय में धनतेरस का त्योहार 13 नवंबर को होगा लेकिन कुछ स्थानों पर रात्रिव्यापिनी त्र्योदशी के कारण धनतेरस का पर्व गुरुवार को भी होगा। दोनों ही दिन धनतेरस पर इस बार कई मंगल योग हैं। यह मंगलयोग खरीदारी के लिए सर्वश्रेष्ठ माने जा रहे हैं।

धनतेरस को लेकर अलग-अलग तर्क हैं। 12 नवंबर के पक्ष में ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि त्र्योदशी का प्रारम्भ रात 9.30 बजे हो जाएगा। इसलिए धनतेरस और यमपूजा हो सकती है। काशी के महावीर पंचांग, गणेश आपा पंचांग, राजधानी और विश्वविजयी पंचांग के अनुसार धनतेरस का पर्व 12 नवंबर को मनाना उचित है।
काशी के सभी मंदिरों में गुरुवार को ही धनतेरस है जबकि मथुरा-वृंदावन में यह पर्व 13 नवंबर को है। महावीर पंचांग के संपादक पंडित रामेश्वर ओझा के अनुसार दो प्रकार के मुहूर्त होते हैं। एक सामान्य और दूसरा पर्व मुहूर्त। पर्व मुहूर्त के अनुसार धनत्र्योदशी 12 नवंबर को है जो सायं 6.31 से लग रही है। (अधिकांश की राय में यह समय रात 9.30 बजे है)। उनके मुताबिक यम पूजा त्र्योदशी की सायं को ही होती है।
13 को खरीदारी के मुहूर्त-
प्रात: 7 से10 बजे तक
दोपहर 12 से 2.30 बजे तक
शाम 04 से 5.30 बजे तक
रात्रि 8.45 से 10.25 बजे तक
धनतेरस की पूजा का समय-
12 नवंबर- रात्रि 9.30 बजे
13 नवंबर- शाम 5.30 से 7.30 बजे तक ( स्थिर लग्न, वृष)
13 नवंबर के पक्ष में अधिकांश ज्योतिष-
अधिकांश विद्वानों का कहना है कि त्र्योदशी 12 नवंबर को रात साढ़े नौ बजे लगेगी और 13 नवंबर को शाम 5.59 मिनट तक जारी रहेगी। शुक्रवार को उदयकाल में त्र्योदशी रहने और संध्याकाल में उपस्थित रहने से धनतेरस का पर्व शुक्रवार को ही मनाना यथेष्ट और शास्त्र सम्मत है। विल्वेश्वर संस्कृत महाविद्यालय के आचार्य डॉक्टर पंकज झा के अनुसार 12 और 13 नवंबर दोनों ही दिन खरीदारी के लिए श्रेष्ठ हैं।
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