बहरहाल, 18 अप्रैल 1916 को जन्‍मीं ललिता को बॉलीवुड की पहली बिकिनी गर्ल के रूप में भी याद किया जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि ललिता को सिर्फ एक थप्‍पड़ से नायिका से खलनायिका बना दिया था। ऐसे में हिन्दी सिनेमा की प्रसिद्ध अभिनेत्री ने लंबे समय तक अपने अभिनय से लोगों का दिल जीता।

महाराष्‍ट्र में जन्मीं ललिता पवार का असली नाम अंबा लक्ष्मण राव शागुन था। वो अपने करियर में नायिका से लेकर खलनायिका तक हर तरह के किरदार में हमेशा फिट बैठीं। ललिता पवार ने एक चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में काम शुरू किया था। इन्‍हें शुरू में 18 रुपये वेतन के रूप में मिलता था। इन्‍होंने 1935 तक साइलेंट फिल्मों में काम किया। इसके बाद इन्‍होंने खुद को साइलेंट फिल्‍मों से बाहर निकाला और हिम्मत-ए-मर्द फिल्‍म में काम किया।

जिसमें यह पहली बार बोलती नजर आई थीं। 1942 में रिलीज हुई फिल्म ‘जंग-ए-आजादी’ के सेट से इनकी लाइफ अचानक से बदल गई। इसमें को-एक्टर भगवान दादा को ललिता को एक थप्‍पड़ मारना था, लेकिन वह काफी जोर लग गया। जिससे उनका चेहरा और बायीं आंख खराब हो गई थी। तीन साल इलाज होने के बाद भी सुधार नहीं हुआ।

इसके बाद वह नायिका से खलनायिका के किरदार में ढल गईं। उन्‍होंने 1944 में फिल्‍म रामशास्त्री में गुस्‍सैल सास की भूमिका निभाई। उनका यह रोल लोगों को खूब पसंद आया। इसके बाद तो उन्‍हें 60-70 के दशक में ऐसे किरदारों से भी बड़ी प्रसिद्धि मिली। ललिता ने ‘राजकुमारी’ ‘हिम्मत-ए-मर्द’ ‘दुनिया क्या है’ जैसी फिल्‍मों का निर्माण भी किया। ‘जंगली’ की सख्त मां, ‘श्री 420’ की केला बेचने वाली, ‘आनंद’ की संवेदनशील मातृछवि और ‘अनाड़ी’ की मिसेज डिसूजा जैसे किरदार लोगों को हमेशा याद रहेंगे।  80 के दशक में यह रामानन्द सागर द्वारा निर्मित ‘रामायण’ धारावाहिक में भी खूब चर्चा में रहीं।

इन्‍होंने इसमें मंथरा की चर्चित भूमिका निभाई थी। करीब 700 फिल्‍मों में काम करने वाली ललिता ने 24 फरवरी, 1998 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था।