नई दिल्ली। हिंदू-मस्लिम के नाम पर लड़ाई-झगड़ा और इसके सहारे सियासी रोटियां सेकने वाले आज भी कम नहीं हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस लड़ाई-झगड़े का तार्किक हल ढूंढने की पहल कर रहे हैं। ऐसा ही एक सुझाव उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद वसीम रिजवी लेकर आए हैं। उन्होंने देश में मंदिरों को तोड़कर बनाई गई नौ मस्जिदों को हिंदुओं को वापस करने की मांग की है। उनकी यह मांग मुस्लिम समाज और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से है। इसके लिए उन्होंने बकायदा बोर्ड अध्यक्ष को चिट्ठी लिखकर कहा है कि किसी की इबादतगाह को जबरन तोड़कर मस्जिद बनाया जाना जायज नहीं है।
यहां खुदा की इबादत जायज नहीं
वसीम रिजवी ने अपने खत में लिखा है, ‘दूसरों के इबादतगाहों को तोड़कर बनाई गई मस्जिदों में किसी भी तरह की अल्लाह की इबादत जायज नहीं है। इसीलिए ऐसी मस्जिदों को हिंदू समाज को सौंप देना चाहिए।’ यही नहीं उन्होंने लिखा कि अगर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऐसा करेगा तो इससे दुनिया के सामने इस्लाम का इसली उद्देश्य पेश हो सकेगा। गौरतलब है कि इतिहासकारों ने अध्ययन करके इन 9 मस्जिदों के बारे में बताया है कि इन्हें मुगलों और उनसे पहले आए सुल्तानों ने मंदिरों को तोड़कर बनाया है।
ये हैं वे 9 पूजा स्थल
1. अयोध्या स्थित राम मंदिर
2. जन्मभूमि स्थित केशव देव मंदिर (मथुरा)
3. काशी विश्वनाथ मंदिर (वाराणसी)
4. अटाला देव मंदिर (जौनपुर)
5. रुद्र महालय मंदिर (बटना- गुजरात)
6. भद्रकाली मंदिर (अहमदाबाद)
7. अदीना मस्जिद (पंडुवा- पश्चिम बंगाल)
8. विजय मंदिर (विदिशा – मध्यप्रदेश)
9. मस्जिद कुव्वत-उल-इस्लाम, कुतुबमिनार (दिल्ली)
आइए अब इन मंदिरों या धार्मिक स्थलों के बारे में जानें। आखिर क्यों इनको लेकर विवाद है और कब मंदिरों को तोड़कर यहां मस्जिद का निर्माण किया गया। वसीम रिजवी ने अपनी इस चिट्ठी में जिन 9 पूजा स्थलों का जिक्र किया है, उनको लेकर लंबे वक्त से दोनों समुदायों के बीच विवाद है।