Jet Airways की हिस्सेदारी बेचने की कोशिश में बैंकर्स, बैंक भी छोड़ने लगे हैं

नरेश गोयल के चेयरमैन पद से हट जाने के बावजूद जेट ऐयरवे की संकट दूर नहीं हुई है. संकट में डूबी जब्त एयरवेज के उबरने को लेकर अब भी असमंजस बरकरार है. फिलहाल जेट के भविष्य में उजाले से ज्यादा अंधकार ही नजर आ रहा है. जेट के नजरिए से ऐसा इसलिए कि गुरुवार को बैंकों और जेट मैनजमेंट के बीच हुई बेहद अहम बैठक से भी निराशा ही हाथ लगी है. बैंकर्स और जेट के बीच हुई मीटिंग के बाद बैंक ने बयान जारी कर जेट में अपनी हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया का जिक्र किया और इस दिशा में कदम बढ़ाने का फैसला किया.

इससे साफ लग रहा है कि जेट की डूबती नैया में अब बैंक समूह भी पैसा लगाने में हिचक रहा है. वहीं दूसरी ओर, एविएशन रेगुलेटर (DGCA)ने भी जेट एयरवेज के खाली पड़े तमाम स्लॉट या रूट अब दूसरे एयरलाइन को देने शुरू कर दिए हैं. गर्मियां का सीजन एविएशन सेक्टर के लिहाज से कमाई वाला सीजन होता है. गर्मियों के मौसम में डिमांड बहुत ज्यादा रहती है.

ऐसे में जेट एयरवेज के उड़ान न भरने के चलते हवाई मुसाफिरों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े और हवाई किराए भी काबू में रहे, इसी मकसद से DGCA ने जेट एयरवेज के तमाम खाली पड़े स्लॉट या रूट अब दूसरी एयरलाइन जैसे इंडिगो, स्पाइसजेट को देना शुरू कर दिया है. सूत्रों के मुताबिक डीजीसीए ने 16 अप्रैल से 15 जुलाई 2019 के बीच के स्लॉट अन्य एयरलाइन को देने शुरू कर दिए हैं.

जेट एयरवेज फिलहाल सिर्फ 26 एयरक्राफ्ट के साथ संचालन कर रही है. यही नहीं, जेट लगातार कर्मचारियों की सैलरी भी देने में असमर्थ है. मार्च की सैलरी भी नहीं दी गई है. निराश कर्मचारी छोड़कर जा रहे हैं. कंपनी के पायलट, क्रू मेंबर और अन्य कर्मचारी दूसरे एयरलाइंस में इंटरव्यू देने लगे हैं. 1000 पायलट ने 1 अप्रैल से सामूहिक अवकाश पर जाने का ऐलान कर दिया था. हालांकि, उन्होंने यह फैसला 15 अप्रैल तक टाल दिया है.

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