H-1B वीजा की 5 महीने बाद फिर प्रीमियम प्रोसेसिंग शुरू

अमेरिका ने H-1B वीजा की सभी श्रेणियों में त्वरित प्रक्रिया (प्रीमियम प्रोसेसिंग) फिर से शुरू कर दी है. इस प्रक्रिया के शुरू होने का सबसे ज्यादा फायदा भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स को मिलेगा. दरअसल आईटी क्षेत्र में काम करने वाले भारतीयों के बीच H-1B वीजा काफी प्रचलित है.

H-1B वीजा की 5 महीने बाद फिर प्रीमियम प्रोसेसिंग शुरूसोमवार से शुरू हुई प्रक्रिया

अमेरिकी सरकार ने 5 महीने पहले बड़ी संख्या में प्रीमियम प्रोसेसिंग के लिए आवेदन आने के बाद इसे स्थगित कर दिया था. इस प्रक्रिया को फिर से सोमवार को शुरू कर दिया है. दअरलस प्रीमियम प्रोसेसिंग के तहत आए आवेदन को 15 दिन के भीतर निपटा दिया जाता है. किसी वजह से अगर ऐसा नहीं होता है, तो 15 दिन के बाद इसके लिए भरी गई फीस वापस लौटा दी जाती है. हालांकि आवेदन को तेजी से निपटाने का काम जारी रहता है.

65 हजार वीजा होंगे प्रोसेस

यूएस सिटीजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) की तरफ से जारी बयान के मुताबिक वित्त वर्ष 2018 के लिए H-1B वीजा याचिकाओं की प्रीमियम प्रोसेसिंग को शुरू कर दिया है. इस वर्ष के लिए आवेदनों की सीमा 65 हजार वीजा की रखी गई है। प्रीमियम प्रोसेसिंग का काम वार्षिक तौर पर 20,000 अन्य याचिकाओं के लिए भी शुरू किया गया है।

लंबित याचिकाओं के लिए है यह सुविधा

USCIS ने यह भी साफ किया कि यह अतिरिक्त सेवा सिर्फ लंबित याचिकाओं के लिए है. इसमें वो याचिकाएं शामिल नहीं होती, जो हाल ही में भरी गई हों. H-1B वीजा भारतीयों के बीच काफी लोकप्रिय है. सिर्फ भारतीय प्रोफेशनल्स ही नहीं, बल्कि यूएस में काम कर रही भारतीय कंपनियां भी इसका काफी इस्तेमाल करती हैं. इसका फायदा उन भारतीयों को मिलेगा, जिन्होंने इस के तहत दिया हो.

इंडियन आईटी प्रोफेशनल्स की है पहली पंसद

H-1B वीजा एक गैर आव्रजक वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को विशेषग्यता वाले पेशों में विदेशी कर्मचारियों को तैनात करने की अनुमति देता है। हर साल हजारों कर्मचारियों को तैनात करने के लिए आईटी कंपनियां इसी वीजा पर निर्भर रहती हैं।

40 लाख भारतीय रहते हैं यूएस में

करीब 40 लाख भारतीय-अमेरिकी अमेरिका में रह रहे हैं और 7,00,000 अमेरिकी नागरिक भारत में रहते हैं. पिछले साल अमेरिकी सरकार ने करीब 10 लाख वीजा भारतीय नागरिकों को जारी किया और 17 लाख भारतीय नागरिकों के अमेरिका यात्रा को सुगम बनाया.

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