19 साल में शादी 2012 में तलाक, लेकिन अपने जज्बे से बदल दिया भारत का ये कानून

19 साल में शादी 2012 में तलाक, लेकिन अपने जज्बे से बदल दिया भारत का ये कानून

आज भी महिलाओं के लिए भले ही समाज का नजरिया ना बदला हो पर समय के साथ महिलाओं में काफी सकारात्मक परिवर्तन आया है । एक औरत के लिए सामाजिक परिस्थितियां तो आज भी उतनी ही बद्तर हैं..  पर महिलाओं में इन हालातों का सामना करने की क्षमता जरूर आ गई और ऐसे ही एक महिला के जज्बे से आज हम आपको रूबरूं कराने जा रहे हैं। जरिया पटानी वो शख्स हैं जिनके मांग और आवाज पर भारत सरकार ने पासपोर्ट संबंधी नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए पासपोर्ट में पिता का नाम गैरजरूरी करार दिया है।

दरअसल मुंबई की रहने वाली एक सिंगल पेरेंट जारिया पटनी ने महिलाओं के हक में इस विषय को पुरजोर तरीके से उठाया था। दिसंबर में जारिया ने ये मांग थी कि पासपोर्ट और वीजा अप्रूवल संबंधी उन सभी नियमों में बदलाव किया जाए, जिनमें बच्चे के लिए पिता के नाम या सहमति अनिवार्य है। जारिया की इस मांग पर विदेश मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की तीन सदस्यीय समिति की रिपोर्ट के बाद यह फैसला लिया गया है।

वैसे अपने जज्बे से देश के कानून में ये बड़ा बदलाव लाने वाली जारिया ने अपने 25 साल के जीवन में काफी उतार चढ़ाव देखें हैं और ये जीवन के प्रति उनकी जीवट्ता ही है कि उन्होने सामने आने वाली परिस्थितियों से हार मानने के बादवूद उससे लड़ने का फैसला लिया। जारिया पटनी उस वक्त सिर्फ 19 साल की थीं जब उनकी शादी हुई थी और वो भी उनकी मनपसंद लड़के से। पर इस शादी ने जारिया के जिंदगी में खुशियों के रंग भरने के बजाए उसे ज़हन्नुम बना दिया .. शादी के बाद पति ने अपना वो रूप दिखाया कि उसकी क्रूरता से तंग आकर जारिया को 2012 में तलाक लेना पड़ा ।

इसेक बाद जारिया ने जीवन को फिर नए सिरे से जीने की ठानी और अपने फैमिली बिजनेस में हाथ बंटाना शुरू किया। जारिया की फैमिली लॉजिस्टिक्स के बिजनेस में है। साथ ही जारिया ने अपने फोटोग्राफी के पैशन को भी आजमाना शुरू किया और धीरे-धीरे वो बड़े बड़े ब्रैंड्स के लिए फोटोशूट करने लगीं। इसके साथ ही बेटे की परवरिश की जिम्मेदारी भी कोर्ट से हासिल की लेकिन फिर तब एक मुश्किल और आ खड़ी हुई आई जब बेटे मुहम्मद के पासपोर्ट के लिए आवेदन दिया।

नियमों के मुताबिक पासपोर्ट पर के पिता के साइन होने जरूरी थे और जारिया को इस काम के लिए पासपोर्ट ऑफिस के सैकड़ों चक्कर लगाने पड़े पर वहां उनका काम नहीं हुआ। ऐसे में जारिया ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को ट्वीट किया और सुप्रीम कोर्ट के उन दिशानिर्देशों का हवाला दिया कि एक सिंगल मदर भी बच्चे की गार्जियन हो सकती है। इसके साथ ही जारिया ने चेंज डॉट ओआरजी पर एक ऑनलाइन पिटीशन भी फाइल की थी। ऐसे में सरकार ने जारिया की मांग को गंभीरता से लेते हुए दिसंबर में पासपोर्ट नियमों में जरूरी बदलाव किये और पासपोर्ट के आवेदन में माता-पिता में से किसी एक का नाम या फिर कानूनी अभिभावक का नाम देने की व्यवस्था बनाई गई।

जारिया पासपोर्ट नियम में हुए इस बदलाव को एक सामाजिक परिवर्तन के रूप में देख रही हैं, जारिया का कहना है कि इससे निश्चित रूप से समाज में सकारात्मक बदलाव आएगा.. ये सिर्फ पासपोर्ट में पुरुष के वर्चस्व के समाप्ति का मसला नहीं है, बल्कि ये महिलाओं को कमतर समझने वाली पुरुषवादी सोच के खात्मे का प्रभावी संदेश है।

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