उपराज्यपाल के आदेश में डीसीडब्ल्यू एक्ट का हवाला दिया गया है। जिसमें बताया गया है कि आयोग में सिर्फ 40 पद ही स्वीकृत हैं। डीसीडब्ल्यू के पास ठेके पर कर्मचारी रखने का अधिकार नहीं है।
दिल्ली महिला आयोग के कर्मचारियों पर दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने बड़ी कार्रवाई की है। उपराज्यपाल वीके सक्सेना के आदेश पर दिल्ली महिला आयोग से 223 कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निकाल दिया गया है। आरोप है कि दिल्ली महिला आयोग की तत्कालीन अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने नियमों के खिलाफ जाकर बिना अनुमति के इनकी नियुक्ति की थी।
उपराज्यपाल के आदेश में डीसीडब्ल्यू एक्ट का हवाला दिया गया है। जिसमें बताया गया है कि आयोग में सिर्फ 40 पद ही स्वीकृत हैं। डीसीडब्ल्यू के पास ठेके पर कर्मचारी रखने का अधिकार नहीं है।
दिल्ली महिला आयोग डिपार्टमेंट के एडिशनल डायरेक्टर की तरफ से जारी इस आदेश में ये भी कहा गया है कि नई नियुक्तियों से पहले जरूरी पदों का कोई मूल्यांकन नहीं हुआ था और न ही अतिरिक्त वित्तीय बोझ की अनुमति ली गई थी।
बता दें कि दिल्ली महिला आयोग की तत्कालीन अध्यक्ष स्वाती मालीवाल आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद हैं। इसी साल 5 जनवरी को उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया था।
स्वाति मालीवाल ने कही यह बात
स्वाति मालीवाल ने एक्स पर लिखा, ‘एलजी साहब ने डीसीडब्ल्यू के सारे कॉन्ट्रैक्ट स्टाफ को हटाने का एक तुगलकी फरमान जारी किया है। आज महिला आयोग में कुल 90 स्टाफ है जिसमें सिर्फ आठ लोग सरकार द्वारा दिये गये हैं, बाकी सब तीन-तीन महीने के कॉन्ट्रैक्ट पर हैं। अगर सब कॉन्ट्रैक्ट स्टाफ हटा दिया जाएगा, तो महिला आयोग पर ताला लग जाएगा। ऐसा क्यों कर रहे हैं ये लोग? खून पसीने से बनी है ये संस्था। उसको स्टाफ और सरंक्षण देने की जगह आप जड़ से खत्म कर रहे हो? मेरे जीते जी मैं महिला आयोग बंद नहीं होने दूंगी। मुझे जेल में डाल दो, महिलाओं पर मत ज़ुल्म करो!’