मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने चम्पावत उप चुनाव में सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड तोड़ने की भी चुनौती होगी । प्रदेश में पूर्व में चार मुख्यमंत्री उपचुनाव लड़ चुके हैं। जिसमें सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड विजय बहुगुणा के नाम है, जबकि सबसे कम अंतर से एनडी तिवारी जीते थे।
सबसे पहले उपचुनाव 2002 में रामनगर में हुआ था, तब यहां एनडी तिवारी ने भाजपा प्रत्याशी दीवान सिंह बिष्ट को 4915 मतों से हराया था। दूसरा उपचुनाव धुमाकोट में तत्कालीन सीएम बीसी ने लड़ा था, जिसमें उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह नेगी को 14171 मतों से परास्त किया था।
इसके बाद सीएम का तीसरा उपचुनाव सितारगंज में हुआ, जिसमें विजय बहुगुणा ने तब भाजपा प्रत्याशी प्रकाश पंत को 39,900 मतों से परास्त किया था। जबकि 2014 में हरीश रावत ने धारचूला में 19000 मतों से जीत दर्ज की थी। इस तरह सीएम रहते हुए सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड विजय बहुगुणा के नाम है।
उपचुनाव के बाद फिर नहीं लड़ा चुनाव:सीएम उपचुनाव के कारण कुछ समय के लिए संबंधित सीट वीआईपी का दर्जा तो हासिल कर लेती है, लेकिन बाद में जीते हुए सीएम इस सीट पर चुनाव लड़ने नहीं गए। एनडी तिवारी ने 2002 में रामनगर में उपचुनाव लड़ा था, लेकिन इसके बाद तिवारी ने चुनावी राजनीति से ही तौबा कर ली।
2007 में बीसी खंडूडी ने धुमाकोट का रुख किया तो इसके बाद परिसीमन में धुमाकोट सीट ही खत्म हो गई। 2012 में विजय बहुगुणा सितारगंज से जीते, लेकिन इसके बाद बहुगुणा भी चुनावी राजनीति से बाहर ही हैं। हालांकि यहां से उनके बेटे सौरभ लगातार दूसरी बार के विधायक हैं। इसी तरह 2014 में तत्कालीन सीएम हरीश रावत ने धारचूला से उपचुनाव लड़ा, लेकिन 2017 के आम चुनाव में हरीश रावत ने धारचूला के बजाय हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा का चयन किया।