राज्य

किसानों की दिक्कतों की जमीनी हकीकत, ऐसे ही नहीं दिल्ली तक पहुंचा विरोध

कर्जमाफी को लेकर देश का किसान आए दिन आंदोलन के लिए सड़क पर उतरने को मजबूर हो रहा है. इसी कड़ी में हजारों किसान उत्तराखंड के हरिद्वार से चलकर मंगलवार को दिल्ली-यूपी के बॉर्डर पर पहुंचे थे तो पुलिस ने …

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यमुना एक्सप्रेसवे पर अड़े दिल्ली से लौटे किसान, लाठीचार्ज के खिलाफ प्रदर्शन

2 अक्टूबर को दिल्ली में किसान रैली के दौरान हुए उपद्रव को लेकर किसानों में आक्रोश है. मंगलवार देर रात किसान भले दिल्ली से लौट गए लेकिन अब यमुना एक्सप्रेसवे पर उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है. पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मौके पर मौजूद …

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गर्लफ्रेंड, दोस्ती और गांजा:10वीं के छात्र सत्यम की हत्या की बनी वजह, जानिए

पंद्रह वर्षीय सत्यम की हत्या में शनिवार की देर शाम गिरफ्तार तीसरे आरोपित चकाई ने पूछताछ में अहम राज उगले। उसके अनुसार नीरज की प्रेमिका के चक्कर में सत्यम की हत्या की गई। रविवार को पुलिस ने हत्या मामले में गिरफ्तार नीरज कुमार, अजित कुमार उर्फ देव उर्फ चकाई और एक नाबालिग को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। चकाई पूर्व में रूपसपुर थाने से ही मोबाइल लूट मामले जेल जा चुका है। सत्यम को दोस्तों ने बेरहमी से चाकुओं से गोद डाला था खगौल पीएचसी के होमियोपैथ डॉक्टर शशि भूषण के बेटे सत्यम की हत्या उसके दोस्तों ने बेरहमी से कर दी थी। शरीर को तब तक चाकूओं से गोदा जब तक कि उसकी सांस नहीं थमी। चाकू से वार करते वक्त अपराधी एक, दो, तीन गिन रहे थे। 15 बार वार करने के बाद सत्यम ने दम तोड़ दिया। यह खुलासा आरोपित ने किया। उसके गले, हाथ, पैर और शरीर के कई हिस्सों पर गहरे जख्म के निशान मिले हैं। पुलिस ने सत्यम के शरीर में घोंपा एक चाकू बरामद किया है। दूसरा चाकू मृत शरीर से कुछ ही दूरी पर मिला। आखिर कौन होगी लालू परिवार की छोटी बहू, तेजस्वी की या होगी राबड़ी की पसंद यह भी पढ़ें इस खूनी वारदात को अंजाम देने के बाद तीनों आरोपितों ने मिलकर शव को झाड़ी में छिपा दिया। फिर अपने घर चले गये। पूरी रात नीरज अपने घर में रहा। फिर सत्यम के घर से फिरौती मांगने की साजिश रची। एक आरोपित गोला रोड का निवासी है जबकि नीरज और एक अन्य खगौल के कोथवां गांव के रहने वाले हैं। नीरज 12वीं जबकि बाकी के दोनों आरोपी दसवीं के छात्र हैं। गर्लफ्रेंड, दुश्मनी और हत्या आम्रपाली दुबे शरमायीं, जब रितेश पांडेय ने कहा- तू त बारू नंबर वन दुलहिनिया हो... यह भी पढ़ें दोस्त ने ही गर्ल फ्रेंड की खातिर दोस्त की जान ले ली। उसे पता नहीं था कि दोस्त हत्या की पटकथा लिख चुका है। चकाई ने पुलिस को बताया कि कांड का आरोपित जेल में बंद एमएलसी रीतलाल का रिश्तेदार नीरज आरपीएस कॉलेज में इंटर का छात्र था और आइएएस कॉलोनी के निकट कोचिंग में पढऩे के दौरान उसकी सत्यम से दोस्ती हुई थी। नीरज कई बार सत्यम को साथ लेकर अपनी गर्लफ्रेंड के पास गया था। सत्यम से नीरज की गर्लफ्रेंड ज्यादा घुल-मिल गई और उसने नीरज से दूरी बना ली। इसे लेकर नीरज गुस्से में था। वह मौके की तलाश में था। उसने अपने दूसरे नाबालिग साथी के जरिए चकाई से संपर्क किया। अपहरण करने के बाद सत्यम की हत्या कर चकाई और नीरज ने मिलकर फिरौती मांगने की योजना बनाई।

पंद्रह वर्षीय सत्यम की हत्या में शनिवार की देर शाम गिरफ्तार तीसरे आरोपित चकाई ने पूछताछ में अहम राज उगले। उसके अनुसार नीरज की प्रेमिका के चक्कर में सत्यम की हत्या की गई। रविवार को पुलिस ने हत्या मामले में …

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घर में अंतिम संस्‍कार की चल रही थी तैयारी, अचानक मुर्दे में हुई हरकत, फिर…

घर में अंतिम संस्‍कार की तैयारियां चल रहीं थीं। माहौल मातमी था। इसी 'मुर्दें' में हरकत होने लगी और परिजन शमशान के बदले अस्‍पताल भागे। लेकिन डॉक्‍टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। घटना सारण के मुफस्सिल थाना इलाके में सोमवार को हुई। करंट से हो गई मौत मिली जानकारी के अनुसार मुफस्सिल थाना क्षेत्र के करेंगा गांव में एक महिला को करंट लगी। परिजन उसे छपरा सदर अस्पताल ले गए। वहां डॉक्‍टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद परिजन शव को लेकर घर चले गए। घर में अंतिम संस्‍कार की तैयारियां शुरू कर दी गईं। शव में हुई हरकत इसी बीच शव में कुछ हरकत देखी गई। पूरे इलाके में यह खबर जंगल की आग की तरह फैली कि मुर्दे में जान लौट आई है। परिजनों ने अंतिम संसकार की तैयारियां रोककर मृत घोषित महिला के साथ अस्‍पताल का रूख किया। लेकिन, वहां उसे फिर मृत घोषित कर दिया गया। हंगामा पर उतर आए परिजन फर्द बयान के बाद भी तरैया थाने में दर्ज नहीं हुई प्राथमिकी यह भी पढ़ें इसके बाद परिजन आक्रोशित होकर अस्पताल में हंगामा करने लगे। परिजनों का कहना था कि महिला जीवित थी तो पहले समय पर उसका इलाज क्‍यों नहीं किया गया। उनके अनुसार इलाज में लापरवाही के कारण महिला की मौत हो गई। छपरा-थावे रूट पर 11 अक्टूबर से चलेगी छपरा-लखनऊ एक्सप्रेस यह भी पढ़ें अस्‍पताल का लापरवाही से इनकार दूसरी ओर अस्पताल प्रबंधन ने इलाज में लापरवाही से इनकार किया है। ड्यूटी पर मौजूद डॉ. एचसी प्रसाद ने बताया कि मरीज की मौत की पुष्टि पूरी जांच के बाद की गई थी। मौत के बाद शरीर में आने वाले परिवर्तनों के कारण कभी-कभी अंगों में हरकत हो सकती है। संभव है कि इस मामले में भी ऐसा हुआ हो, जिससे परिजनों को जीवित होने का भ्रम हो गया हो।

घर में अंतिम संस्‍कार की तैयारियां चल रहीं थीं। माहौल मातमी था। इसी ‘मुर्दें’ में हरकत होने लगी और परिजन शमशान के बदले अस्‍पताल भागे। लेकिन डॉक्‍टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। घटना सारण के मुफस्सिल थाना इलाके में …

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विवेक तिवारी की पत्नी कल्पना को नगर निगम लखनऊ में PRO का पद मिला ..

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आज स्वर्गीय विवेक तिवारी की पत्नी कल्पना तिवारी की मुलाकात के चंद घंटे बाद ही सरकारी मशीनरी से गति पकड़ ली। लखनऊ के नगर आयुक्त इंद्रमणि त्रिपाठी उनके आवास पर पहुंचे और शैक्षिक प्रमाण पत्र लेकर …

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केदारनाथ में भूमिगत गुफा में होगी आदि शंकराचार्य की समाधि

केदारनाथ में दिव्य शिला के पीछे बनने वाली आदि शंकराचार्य की समाधि भूमिगत गुफा में होगी। इसके लिए 100 मीटर लंबी गुफा तैयार की जाएगी। जल्द ही योजना पर कार्य शुरू कर दिया जाएगा। वर्ष 2013 में आई आपदा में आदि शंकराचार्य की समाधि को भी नुकसान पहुंचा था। इसके बाद समाधि स्थल के मरम्मत की कवायद शुरू की गई। पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ पहुंचे तो उन्होंने आदि शंकराचार्य की समाधि को दिव्य एवं भव्य रूप देने का एलान किया। रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि प्रधानमंत्री की भावनाओं के अनुरुप प्लान तैयार कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि तीन वर्ग मीटर क्षेत्रफल में गुफा का निर्माण किया जाएगा। यहां एक साथ एक हजार श्रद्धालु आदि शंकराचार्य की समाधि के दर्शन कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया था कि मंदिर के पीछे कोई निर्माण न किया जाए ताकि श्रद्धालु प्राकृतिक सौंदर्य को आसानी से निहार सकें। इसीलिए समाधि को भूमिगत करने का निर्णय लिया गया। उन्होंने बताया कि पूर्व में भी मंदिर के पीछे ही शंकराचार्य समाधि थी, अब भी समाधि को उसी स्थान पर बनाया जा रहा है। डीएम ने बताया कि इसके अलावा दिव्य शिला के आसपास यात्रियों के बैठने की व्यवस्था भी की जाएगी।

केदारनाथ में दिव्य शिला के पीछे बनने वाली आदि शंकराचार्य की समाधि भूमिगत गुफा में होगी। इसके लिए 100 मीटर लंबी गुफा तैयार की जाएगी। जल्द ही योजना पर कार्य शुरू कर दिया जाएगा।  वर्ष 2013 में आई आपदा में …

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स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिपूर्णानंद पैन्यूली बोले, प्रार्थना सभा में भगवान जैसे लगते थे गांधी

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व पूर्व सांसद परिपूर्णानंद पैन्यूली बताते हैं कि महात्मा गांधी से मिलने का मेरा सपना कभी पूरा तो नहीं हो पाया, मगर उन्हें करीब से देखने और सुनने में जरूर सफल रहा। मुझे पहली बार महात्मा गांधी को करीब से देखने का अवसर वर्ष 1942 में मिला। तब मैं करीब 19 साल का था और काशी विद्यापीठ से एमए की पढ़ाई कर रहा था। गांधी जी दिल्ली में बिड़ला हाउस में हर शाम प्रार्थना सभा आयोजित करते थे। मैं अपने साथियों के साथ उनकी प्रार्थना सभा में पहुंचता था। वह समसामयिक मुद्दों पर भी चर्चा करते थे। उस दिन भी उन्होंने कई मुद्दों पर बात की और राष्ट्रीय एकता को लेकर भी सीख दी। उन्हें करीब देखकर मुझे उनमें भगवान का रूप नजर आ रहा था। तब मेरे मन में इस बात का ख्याल न था कि उनसे मुलाकात भी करनी चाहिए। क्योंकि उन्हें देखनेभर से ही मैं अभिभूत हो उठा था। तब गांधी जी से मिलना उतना आसान भी नहीं था और वह हर समय किसी न किसी गतिविधि में व्यस्त रहते थे। इसके बाद भी मैं कई दफा उनकी प्रार्थना सभा में पहुंचा। उनकी एक-एक बात मुझे आज भी याद है और खासकर उनके प्रयोग और राष्ट्रीयता भी भावना मुझे प्रभावित करती थी। गढ़वाल विवि के खिलाफ प्रदेशभर में आंदोलन करेगी एबीवीपी यह भी पढ़ें मुझे महात्मा गांधी की मृत्यु का समाचार अपने साथियों से मिला। लेकिन, जिस तरह उन्हें गोली मारी गई, उसका यकीन नहीं हुआ। कई लोगों से इस बारे में पूछने पर जब एक ही जवाब मिला तो दिल को गहरा आघात लगा। समझ नहीं आ रहे था कि अहिंसा के ऐसे पुजारी के साथ ऐसा क्यों किया गया। मैं कई दिनों तक सो नहीं पाया और सिर्फ गांधी को याद करता रहा। उनकी सच्चाई के पथ पर चलने की सीख के कारण ही मैं सार्वजनिक जीवन में सक्रिय हो पाया था। आज उनसे जुड़ी बहुत सी बातें याद भी नहीं हैं, मगर उनके जैसा जीवट और स्पष्ट व्यक्ति धरती में दूसरा नहीं देखा।

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व पूर्व सांसद परिपूर्णानंद पैन्यूली बताते हैं कि महात्मा गांधी से मिलने का मेरा सपना कभी पूरा तो नहीं हो पाया, मगर उन्हें करीब से देखने और सुनने में जरूर सफल रहा। मुझे पहली बार महात्मा गांधी …

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गांधी ने कहा था- बॉम्बे इज ब्यूटीफुल

ओमप्रकाश तिवारी। मैं मुंबई हूं। आजादी की लड़ाई में गांधी ने घूमा तो पूरा देश। लेकिन खूबसूरती के कसीदे तो उन्होंने मेरे ही पढ़े। पढ़ते भी क्यों न? मैं उनके दूसरे घर जैसी जो बन गई थी। आजादी की लड़ाई के ज्यादातर अहम आंदोलनों का बिगुल तो उन्होंने यहीं से फूंका। आजादी की लड़ाई के दौरान जब-जब पैसों की जरूरत महसूस हुई, बढ़-चढ़कर उन्हें मदद की। लोकमान्य तिलक के निधन के ठीक एक साल बाद गांधी ने ‘तिलक स्वराज फंड’ की स्थापना की। ‘एक करोड़’ की भारी-भरकम रकम इकट्ठा करने का संकल्प किया। देखते ही देखते 37.50 लाख रुपये जुट गए थे। यही नहीं, दीनबंधु फंड के लिए भी सप्ताहभर में पांच लाख रुपए जुटे थे। तभी तो उन्होंने ‘बॉम्बे इस ब्यूटीफुल’ कहकर मेरी सुंदरता और दानशीलता के कसीदे पढ़े थे। मैंने गांधी को तब देखा जब वह महज 19 साल के थे। मोहनदास करमचंद गांधी तब महात्मा और बापू नहीं बने थे। वकालत की पढ़ाई के लिए मोहन को लंदन जाना था। चार सितंबर, 1888 को मैंने उन्हें भाप से चलनेवाले पानी के जहाज पर विदा किया था। जहाज का नाम था क्लाइड। तीन साल बाद, पांच जुलाई, 1891 को उनके लौटने पर भी एक मां की तरह आंचल फैलाए उनके स्वागत को तैयार थी। यह बात और है इन तीन वर्षों की पढ़ाई के बाद घर पहुंचने पर वह अपनी मां को दुबारा देख नहीं सके। क्योंकि उनका निधन हो चुका था। उसके बाद अप्रैल, 1893 में दक्षिण अफ्रीका के लिए रवाना होना, फिर वहां से कलकत्ता (कोलकाता) होते हुए 1896 में फिर यहां आना, सब मुझे याद है। लातूर-उस्मानाबाद भूकंप के 25 वर्ष, आपदाओं ने उजाड़ा तो महिलाओं ने उबारा यह भी पढ़ें दक्षिण अफ्रीकी हिंदुस्तानियों की लड़ाई को किसी हद तक किनारे लगाने के बाद नौ जनवरी, 1915 को वह देश के स्वतंत्रता संग्राम में रच-बस जाने का संकल्प लेकर फिर यहां आ गए। छह अप्रैल, 1919 को रौलट एक्ट का विरोध करने के लिए देश का आह्वान किया और मणि भवन से पैदल ही गिरगांव चौपाटी की ओर चल पड़े। तब उनके साथ हजारों लोग चौपाटी पर जमा हो गए थे। यहीं से पूरे देश में ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ की अलख जगा दी थी। सच कहूं तो इसी घटना के बाद देश आश्वस्त हो गया था कि ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’ का नारा देनेवाले तिलक का उत्तराधिकारी मिल गया है। उन्होंने यहीं विदेशी वस्त्रों की होली जलाई। देश के पहले खादी भंडार का उद्घाटन भी 19 जून, 1919 को उन्होंने यहीं कालबादेवी में किया था। 1931 में इंग्लैंड में हुए गोल मेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए भी वह यहीं से रवाना हुए। और वहां से लौटने के बाद मणिभवन की छत से गिरफ्तार भी उन्हें यहीं किया गया। हमारी हवा में कुछ तो विशेष उन्हें लगता ही रहा होगा, जो 1942 में ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ और ‘करो या मरो’ जैसे कारगर नारे देने के लिए भी उन्हें मुझे ही चुना और फिर यहीं से आठ अगस्त की रात कई महत्वपूर्ण नेताओं के साथ गिरफ्तार भी कर लिए। आखिरी बार मैंने उन्हें1946 में देखा। 31 मार्च, 1946 को वह कस्तूरबा मेमोरियल ट्रस्ट की बैठक में हिस्सा लेने आए थे। तब वह वरली की हरिजन बस्ती में रुके थे। अफसोस, कि तभी कुछ लोगों ने उनकी कुटिया को आग लगाने का असफल प्रयास किया था। और इसके बाद गांधी कभी इस ओर नहीं आ सके।

ओमप्रकाश तिवारी। मैं मुंबई हूं। आजादी की लड़ाई में गांधी ने घूमा तो पूरा देश। लेकिन खूबसूरती के कसीदे तो उन्होंने मेरे ही पढ़े। पढ़ते भी क्यों न? मैं उनके दूसरे घर जैसी जो बन गई थी। आजादी की लड़ाई के ज्यादातर अहम आंदोलनों का बिगुल …

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यहां आज भी चलता है 80 साल पुराना चरखा, 83 साल के तिलक राज काटते हैं सूत

बूढ़ी आंखें, कमजोर होती नजर, लेकिन जब चलते हैं चरखे पर हाथ तो देशभक्त युवा के जैसी चमक चेहरे पर आती है नजर। शुभम अपार्टमेंट, कैलाश पुरी निवासी 83 वर्ष के तिलकराज भाटिया, उम्र के इस पड़ाव पर पहुंचने के …

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आयुष्मान भारत योजना के तहत हुआ पहला मुफ्त ऑपरेशन

आयुष्मान भारत योजना के तहत जिले में पहला ऑपरेशन रविवार को किया गया। जो परिवार रुपये के अभाव में बेटे का ऑपरेशन नहीं करा पा रहा था, वह मुफ्त इलाज कराने से खुश है। अकबपुर सल्लाहपुर निवासी वहीद अहमद सिलाई का काम करके परिवार का खर्च चलाते हैं। उनके 12 वर्षीय बेटे मो. आकिल को पेशाब करने में परेशानी शुरू हुई और धीरे-धीरे उसकी तबीयत अधिक खराब हो गई। वहीद ने कई अस्पतालों का चक्कर लगाया। डॉक्टर ने 50 हजार रुपये आपरेशन खर्च बताया। परिवार के लोग रुपये देने में अक्षम थे। दो दिन पहले वहीद अपने बेटे को लेकर लाल बिहारा बमरौली स्थित अंकुर हॉस्पिटल पहुंचे। यहां तैनात आरोग्य मित्र विनोद श्रीवास्तव ने प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की वेबसाइट पर वहीद का नाम सर्च किया तो उसका नाम इस योजना में शामिल था। दूसरे दिन उसने राशन कार्ड, आधार कार्ड और फोटो लेकर अस्पताल बुलाया। बताया कि उसका इलाज आयुष्मान भारत के तहत फ्री में होगा, क्योंकि उसका नाम इसमें शामिल है। रविवार आरोग्य मित्र ने ऑनलाइन अप्रूवल के लिए लखनऊ भेजा तो 20 मिनट ही वहां से भी हरी झंडी मिली गई। दोपहर में मो. आकिल का सफल आपरेशन डॉ. राजीव कुमार श्रीवास्तव, डॉ. अरुणिमा सक्सेना के नेतृत्व में डॉ. अशोक सिंह, डॉ. बृजेश सिंह व डॉ. आलम ने किया। अब वह पूरी तरह से ठीक है। पिता वहीद ने बताया कि रुपये के अभाव में ऑपरेशन नहीं हो पा रहा था। 'रविवार को जिले में पहला ऑपरेशन आयुष्मान भारत के तहत किया गया। इस योजना में शामिल लाभार्थी के परिवार का इलाज पांच लाख रुपये तक मुफ्त होगा।'

आयुष्मान भारत योजना के तहत जिले में पहला ऑपरेशन रविवार को किया गया। जो परिवार रुपये के अभाव में बेटे का ऑपरेशन नहीं करा पा रहा था, वह मुफ्त इलाज कराने से खुश है। अकबपुर सल्लाहपुर निवासी वहीद अहमद सिलाई …

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