अयोध्या में राम मंदिर के लिए भूमि पूजन के साथ ही अब हर किसी को इंतजार है कि जमीनी स्तर पर निर्माण शुरू होता कब दिखेगा? मंदिर निर्माण की औपचारिक शुरुआत बेशक हो गई है, लेकिन असल निर्माण शुरू होने में अभी थोड़ा वक्त लगेगा.
मंदिर निर्माण शुरू होने से पहले मंदिर के नक्शे और ले-आउट का अयोध्या विकास प्राधिकरण से स्वीकृत होना आवश्यक है. ये कागजी कार्रवाई अपने आखिरी चरण में है. इनके अलावा कई विभागों से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) आना बाकी है. राज्य और केंद्र के कुछ मंत्रालयों की स्वीकृति मिलना भी अभी शेष है. अयोध्या प्रशासन का कहना है कि अगले कुछ दिनों में सब औपचारिकताएं पूरी हो जाएंगी.
अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज कुमार झा के मुताबिक लार्सन एंड टुब्रो (एल एंड टी) कंपनी को मंदिर निर्माण का जिम्मा सौंपा गया है. इस कंपनी ने अपनी एक यूनिट अयोध्या भेजकर काम संभाल भी लिया है. यहां उसका कैम्प ऑफिस बन चुका है.
बता दें कि मंदिर की जमीन रामलला विराजमान को न सिर्फ ट्रांसफर कर दी गई है बल्कि खाता-खतौनी भी लिख दी गई है. उनका नाम चढ़ाकर कागजात ट्रस्ट के महासचिव को सौंप दिए गए हैं. परिसर में मंदिर बनने के चिह्नित स्थान का पूरी तरीके से समतलीकरण कर दिया गया है.
नक्शे के पास होते ही काम शुरू हो जाएगा. बैक एंड पर किए जाने वाले कंस्ट्रक्शन की तैयारी पूरी की जा चुकी है. जिलाधिकारी झा कहते हैं, ‘काम में कोई विलंब नहीं है, सही कहा जाए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से भूमि पूजन और शिला रखने के साथ ही काम शुरू हो चुका है. जल्द ही मंदिर का आकार दिखने लगेगा.’
अब तक 200 मंदिरों को बनवा चुके पटना महावीर मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष पूर्व आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘अगले 2 साल में मंदिर मोटे तौर अपने आकार में दिखने लगेगा. एक साल के भीतर जैसे ही पाइलिंग या प्लिंथ का लेआउट पूरा होगा, मंदिर निर्माण भूमि के ऊपर दिखना शुरू हो जाएगा. काफी सारा निर्माण तैयार होकर कार्यशाला में रखा गया है. इसलिए इसमें देर नहीं लगेगी.’
उन्होंने कहा कि 3 साल होते-होते राम मंदिर लगभग अपने पूरे स्वरूप में आ जाएगा. सिर्फ मंदिर के शिखर और उसकी नक्काशी में वक्त लगेगा लेकिन इससे मंदिर के स्वरूप या फिर गर्भ गृह में रामलला के स्थापित होने पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. किशोर कुणाल के मुताबिक नागर शैली में राम मंदिर का निर्माण होने जा रहा है. मंदिर निर्माण की ये शैली उत्तर भारत में प्रचलित है. एल एंड टी कंपनी को ऐसे निर्माण करने में दक्षता हासिल है.
मंदिर निर्माण को लेकर जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने आजतक/इंडिया टुडे के साथ विस्तार से बात की. जिलाधिकारी ने बताया कि राम जन्मभूमि की जो शेष 67 एकड़ जमीन है वो भी ट्रस्ट को सौंप दी गई है. जिलाधिकारी झा से जब पूछा गया कि मंदिर के आकार को बड़ा किया गया है तो यह बताइए कि पहले कार्यशाला में जो पत्थर रखे हैं या जो लोगों ने शिलाएं भेजीं क्या उन सबका इस्तेमाल हो पाएगा?
इस पर झा का जवाब था, ‘देखिए मंदिर का जो भी विस्तार हुआ है, उसमें मूल मंदिर से कोई कोई छेड़छाड़ नहीं है, जो भी एक्सटेंशन है उसमें शिखर (गुंबद) बढ़ाए गए हैं. सामने एक और मंडप बढ़ाया गया. तराशे पत्थरों की बात करें तो जितने पत्थर ट्रस्ट ने कार्यशाला में रखे हैं, उन सबका इस्तेमाल किया जाएगा. कुछ भी बाकी नहीं रहेगा. नक्शे और मंदिर का विस्तार इसीलिए किया गया ताकी कुछ भी व्यर्थ न हो और विलंब न हो. लोगों ने जितनी ईंटें भेजी हैं, 67 एकड़ का इतना बड़ा कैंपस है, सब काम में आएंगे.’
मस्जिद निर्माण कब तक शुरू होने की संभावना है, उसके लिए जमीन हस्तांतरण की क्या स्थिति है? इस सवाल के जवाब में जिलाधिकारी झा ने कहा कि मस्जिद के लिए हमारा काम एक संतोषजनक जमीन सुन्नी बोर्ड का ऑफर करना था, वह हमने किया.
उन्होंने कहा, ‘भारत सरकार और राज्य सरकार ने कोआर्डिनेशन करके उनको उनकी सहमति के हिसाब से वह जमीन दी. उनके नाम से भूमि स्थानांतरण का आदेश हो गया. खाता खतौनी के बाद उन्हें बुलाकर जमीन की प्राप्ति करा दी गई. अब आगे उनकी जिम्मेदारी है कि वो कब निर्माण करेंगे, कैसा निर्माण करेंगे? सरकार का जो दायित्व था, वो पूरा कर दिया गया है.”
अयोध्या के धन्नीपुर गांव में बन रही मस्जिद की जमीन का मालिकाना हक सुन्नी वक्फ बोर्ड को दे दिया गया है. सारे कागजात भी बोर्ड के चेयरमैन को सौंप दिए गए हैं. बहरहाल, अयोध्या गंगा-जमुनी तहजीब की जमीन रही है. इसलिए मंदिर निर्माण हो या मस्जिद की तामीर, सब कुछ सौहार्द के साथ होगा.