बिहार

बिहार: पॉकेटमार ने नवादा जिले के DM की जेब में डाला हाथ पुलिस ने पकड़ा

बिहार में तो डीएम साहब भी सुरक्षित नहीं हैं या यू कहें कि उस लड़के का दुर्भाग्य था, जिसने डीएम के पॉकेट में हाथ डाला. नवादा के डीएम कौशल कुमार की पॉकेटमारी की चर्चा जोरों पर है. पुलिस महकमे के …

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अल्पेश ठाकोर जाएंगे पटना, JDU ने निशाना साधते हुए कहा- जले पर नमक जैसा

बिहार की राजधानी पटना में लगे पोस्टरों पर अगर विश्वास करें तो गुजरात कांग्रेस विधायक अल्‍पेश ठाकोर बिहार के पहले मुख्यमंत्री कृष्ण सिंह की जयंती मनाने राजधानी में आ रहे हैं. दरअसल, गुजरात में उत्‍तर भारतीय लोगों पर हुई हिंसा को लेकर अल्पेश ठाकोर निशाने पर …

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अच्छे काम की नही परन्तु चप्पल फेंकने की चर्चा खूब होती है, CM नीतीश कुमार ने बोला

पटना में आयोजित दलित विकास कॉनक्लेव में मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि न्याय के साथ विकास को ले सरकार कृतसंकल्‍प है। हमारा कमिटमेंट लोगों की सेवा का है, लेकिन आज काम की नहीं चप्‍पल उछालने की खूब चर्चा होती …

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बदमाशों के साथ मुठभेड़ में शहीद दारोगा का अंतिम संस्कार, आज उनके पैतृक गांव में हुआ

बिहार के खगड़िया में अपराधियों से मुठभेड़ में शहीद हुए दारोगा आशीष की अंत्येष्टि रविवार की सुबह उनके पैतृक गांव में राजकीय सम्‍मान के साथ संपन्‍न हुई। शहीद दारोगा सहरसा के सिमरीबख्तियारपुर स्थित बलवाहाट ओपी क्षेत्र के सरोजा गांव के …

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बिहार के खगड़िया जिले में देर रात हुए एनकाउंटर में दरोगा शहीद

बिहार के खगड़िया जिले का दियारा देर रात गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा. पुलिस के निशाने पर था दिनेश मुनि नाम का एक कुख्यात अपराधी. पुलिस को देर रात सूचना मिली थी कि दिनेश मुनि अपने साथियों के साथ …

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आज हुआ सुशील मोदी की पुस्तक ‘लालू-लीला’ का लोकार्पण

लालू परिवार की भ्रष्टाचारजनित अकूत बेनामी सम्पत्ति पर केन्द्रित व सुशील कुमार मोदी द्वारा लिखी  पुस्तक ‘लालू-लीला’ का लोकार्पण लोकनायक जेपी की जयंती पर गुरुवार को विद्यापति भवन सभागार में अपराह्न 1 बजे हुआ। इस अवसर पर भाजपा के कई …

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बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार पर युवक ने फेंकी चप्पल

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर गुरुवार को पटना में चप्पल फेंकी गई. नीतीश कुमार पर यह हमला युवा जनता दल (यू) के कार्यक्रम में हुआ. सीएम की ओर चप्पल एक शख्स ने फेंकी. इस कार्यक्रम में शामिल होने आए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की …

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फरक्का एक्सप्रेस हादसे में बिहार के पांच लोगों की मौत, जानिए कैसे हुआ हादसा..

फरक्का एक्सप्रेस हादसे में सात लोगों की मौत हो गई है जिसमें से पांच मृतक बिहार के मुंगेर जिले के बताए जा रहे हैं। मृतकों में हवेली खड़गपुर थाना क्षेत्र के लक्ष्मीपुर मांझी टोला निवासी सौगंध, दिनेश और किशनपुर मांझी …

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गुजरात में बिहारियों पर हमले, गरमायी बिहार की सियासत, अब हार्दिक देंगे सुरक्षा

गुजरात में उत्तर भारत के लोगों पर हो रहे हमले पर बिहार में राजनीतिक पारा चरम पर है। विपक्ष कांग्रेस पर हमलावर है तो वहीं इस बीच पटेल समुदाय के नेता हार्दिक पटेल ने बिहारियों के सुरक्षा की गारंटी ली है। हार्दिक के कई पोस्टर पटना के विभिन्न चौक-चौराहों पर लगाए गए हैं। हार्दिक के पोस्टर लगे, करेंगे बिहारियों की सुरक्षा हार्दिक पटेल के समर्थकों द्वारा राजधानी पटना के कई इलाकों में लगाए गए उनके पोस्टर में हार्दिक पटेल के मोबाइल नंबर के साथ ही हेल्पलाइन नम्बर लिखा है जिससे ये अपील की गई है कि अगर बिहार के लोगों समेत उतर भारत के किसी भी व्यक्ति के साथ गुजरात में ज़्यादती होती है तो तुरंत हार्दिक पटेल के नंबर पर फोन कर मदद मांगें। बिहार सरकार के मंत्री ने दी चेतावनी-अल्पेश बिहार ना आएं तो बेहतर वहीं गुजरात में बिहारियों पर हो रहे हमले में बिहार कांग्रेस के सह प्रभारी अल्पेश ठाकोर का नाम आने के बाद विपक्षी दल कांग्रेस पर हमलावर हैं और मामले पर बिहार सरकार में मंत्री विनोद नारायण झा ने अल्पेश ठाकुर को चेतावनी देते हुए कहा है कि वो बिहार आने के पहले प्रायश्चित कर लें। इसके साथ ही वो सोच-समझकर ही बिहार आएं और ना ही आएं तो अच्छा है। इसके साथ ही उन्होंने मांग की है कि गुजरात सरकार ठाकोर को जल्द गिरफ्तार करे। जदयू नेता ने कहा-महाराष्ट्र से सीख ले गुजरात की सरकार जदयू नेता श्याम रजक ने कहा है कि गुजरात सरकार महाराष्ट्र की सरकार से ले सीख, बिहारियों की पिटाई के कारण ही एमएनएस को धूल चाटना पड़ा था और अब गुजरात सरकार भी इस इतिहास को याद कर ले। फरक्का एक्सप्रेस हादसे में बिहार के पांच लोगों की मौत, सीएम नीतीश ने जताया शोक यह भी पढ़ें उदय नारायण चौधरी ने मांगा गुजरात के सीएम का इस्तीफा बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष व लोकतांत्रिक जनता दल के वरिष्ठ नेता उदय नारायण चौधरी ने गुजरात के सीएम विजय रुपाणी से मांगा इस्तीफा। कहा प्रधानमंत्री लें गुजरात से भगाए जा रहे हिंदी भाषाई लोगों की जिम्मेदारी। बिहार सरकार बनाए उन विस्थापितो की सूची, जो अपना घरबार, नौकरी और संपत्ति छोडकर आ रहे हैं बिहार। पत्नी को मायके से लेकर फरार हुआ पति, परिजनों ने दर्ज करायी FIR, जानिए वजह यह भी पढ़ें बिहारियों को बचाने गुजरात जाएंगे पप्पू यादव मामले पर जन अधिकार पार्टी के प्रमुख और सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने गुजरात जाने का ऐलान किया है। पप्पू ने कहा कि मैं गुरुवार को गुजरात जाऊंगा और वहां बिहार के लोगों की रक्षा करूंगा। बंदी बेटे को उपलब्ध कराया था मोबाइल, पूर्व जदयू नेता पत्नी सहित गिरफ्तार यह भी पढ़ें पप्पू ने वहां उपद्रव कर रहे लोगों को चुनौती देते हुए कहा कि देखते हैं कि कौन वहां से बिहारियों को भगाता और पीटता है? पप्पू ने कहा कि अगर अल्पेश ठाकोर हमले के लिए जिम्मेवार है, तो सरकार उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं कर रही है। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमला रोकने की बजाय भाजपा कांग्रेस पर आरोप लगा रही है लेकिन वहां स्थिति कुछ और है।

गुजरात में उत्तर भारत के लोगों पर हो रहे हमले पर बिहार में राजनीतिक पारा चरम पर है। विपक्ष कांग्रेस पर हमलावर है तो वहीं इस बीच पटेल समुदाय के नेता हार्दिक पटेल ने बिहारियों के सुरक्षा की गारंटी ली …

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जयप्रकाश नारायण, जिसने हिला दी थी इंदिरा गांधी की सत्ता

जेपी यानि जयप्रकाश नारायण जिन्होंने आजादी के बाद पहली बार जनआंदोलन का नेतृत्व किया। उनकी आज पुण्यतिथि पर उनके गांव सिताबदियारा सहित पूरा बिहार उन्हें नमन कर रहा है। आपातकाल की चर्चा तब तक पूरी नहीं होती जब तक स्वाधीनता संग्राम सेनानी और प्रसिद्ध समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण की चर्चा न की जाए। जयप्रकाश कौन थे, इसका एक ओजपूर्ण परिचय रामधारी सिंह दिनकर की उन पंक्तियों से मिलता है, जो उन्होंने 1946 में जयप्रकाश नारायण के जेल से रिहा होने के बाद लिखी थी और पटना के गांधी मैदान में जेपी के स्वागत में उमड़ी लाखों लोगों के सामने पढ़ी थी... कहते हैं उसको जयप्रकाश जो नहीं मरण से डरता है ज्वाला को बुझते देख, कुंड में स्वयं कूद जो पड़ता है है जयप्रकाश वह जो न कभी सीमित रह सकता घेरे में अपनी मशाल जो जला बांटता फिरता ज्योति अंधेरे में हां जयप्रकाश है नाम समय की करवट का, अंगड़ाई का भूचाल, बवंडर, के दावों से, भरी हुई तरुणाई का खुलासा: ऐसे की जाती IRCTC की वेबसाइट हैक, एक माह के लिए 20 हजार की वसूली यह भी पढ़ें है जयप्रकाश वह नाम जिसे इतिहास समादार देता है बढ़कर जिनके पदचिह्नों को उर पर अंकित कर लेता है। सन 1946 की यह कविता रची जाने से पहले जयप्रकाश नारायण की युवा अवस्था बेहद तूफानी रही है। जेपी जब 20 वर्ष के थे तो उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए 1922 में वे अमेरिका चले गए। जहां उन्होंने 1922-1929 के बीच समाज-शास्त्र का अध्ययन किया। यहां की महंगी पढ़ाई का खर्च पूरा करने के लिए जेपी ने खेतों, कंपनियों के साथ ही रेस्टोरेंट तक में काम किया। अमेरिका में मजदूरी करके वहां के कई विश्वविद्यालयों में बी.ए. और उसके बाद समाजशास्त्र में एम.ए. करने के बाद वे पीएचडी की तैयारी कर रहे थे तभी मां की बीमारी के कारण स्वदेश वापस लौटना पड़ा था। 1929 में जब वे अमेरिका से लौटे, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम तेजी पर था। उनका संपर्क गांधी जी के साथ काम कर रहे जवाहर लाल नेहरू से हुआ। वे आंदोलन का हिस्सा बने। 1932 में गांधी, नेहरू और अन्य महत्वपूर्ण कांग्रेसी नेताओं के जेल जाने के बाद, उन्होंने भारत में अलग-अलग हिस्सों में संग्राम का नेतृत्व किया। पुत्री समान इंदिरा को हराया, फिर साथ बैठकर रोए 1977 में जेपी के आंदोलन के फलस्वरूप इंदिरा को हराकर जब जनता पार्टी सत्ता में पहुंची तो 24 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में विजय रैली का आयोजन किया गया, लेकिन खुद जेपी ही उस रैली में नहीं पहुंचे। अपनी राजनीतिक विजय के सबसे बड़े दिन जेपी गांधी शांति प्रतिष्ठान से निकलकर रामलीला मैदान जाने की जगह सफदरजंग रोड की एक नंबर कोठी में गए, जहां पहली बार हारी हुई इंदिरा बैठी थीं। जेपी से मिलकर इंदिरा के आंसू आ गए, लेकिन उससे भी ज्यादा हैरत की बात थी कि अपनी पराजित पुत्री के सामने जीते हुए जेपी भी रो रहे थे। छात्र आंदोलन की अगुवाई की वह इंदिरा गांधी की प्रशासनिक नीतियों के विरुद्ध थे। 1974 में ही पटना में छात्रों ने आंदोलन की शुरुआत की। यह शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक रहेगा, इस शर्त पर जेपी ने उसकी अगुवाई करना मंजूर किया। गिरते स्वास्थ्य के बावजूद जेपी इस आंदोलन से जुड़े और यह आंदोलन बाद में बिहार में सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ा आंदोलन बनकर उभरा और आखिर में जेपी के कारण ही यह आंदोलन 'संपूर्ण क्रांति' आंदोलन बना। 1975 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की, जेपी हुए गिरफ्तार इसके बाद देश में जो सरकार विरोधी माहौल बना और इंदिरा गांधी का सत्ता में रहना मुश्किल होने लगा तो 1975 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की, जिसके अंतर्गत जेपी सहित 600 से भी अधिक विरोधी नेताओं को बंदी बनाया गया और प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई। जेल मे जेपी की तबीयत और भी खराब हुई। 7 महीने बाद उनको मुक्त कर दिया गया। जेपी छात्र आंदोलन से ही निकले बिहार की राजनीति के दिग्गज राष्ट्रीय जनता दल के लालू प्रसाद यादव, जनता दल यूनाइटेड के नीतीश कुमार और भारतीय जनता पार्टी के सुशील मोदी, ये तीनों जेपी आंदोलन में विद्यार्थी नेता के रूप में उभरे और बुलंद मुक़ाम हासिल किया। सुशील मोदी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से आए थे। आपातकाल के बाद वहीं लौट गए। लालू और नीतीश ने बिहार से होते हुए केंद्र की सियासत में भी अपना सिक्का जमाया। राम विलास पासवान जेपी आंदोलन में शामिल नहीं हुए लेकिन आपातकाल के विरोध में जेल जाने वालों में उनका भी नाम आता है। आज ही के दिन जेपी ने ली थी अंतिम सांस 8 अक्टूबर 1979 को दिल की बीमारी और डायबीटीज के कारण पटना में जेपी की मृत्यु हो गई। तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने लोकनायक की मृत्यु पर 7 दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की थी।

जेपी यानि जयप्रकाश नारायण जिन्होंने आजादी के बाद पहली बार जनआंदोलन का नेतृत्व किया। उनकी आज पुण्यतिथि पर उनके गांव सिताबदियारा सहित पूरा बिहार उन्हें नमन कर रहा है। आपातकाल की चर्चा तब तक पूरी नहीं होती जब तक स्वाधीनता …

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