B'day Special: तब मेरी मां ने मुझे चप्पलों से पीटा था: सिद्धार्थ मल्होत्रा

B’day Special: तब मेरी मां ने मुझे चप्पलों से पीटा था: सिद्धार्थ मल्होत्रा

इन दिनों सिद्धार्थ मल्होत्रा की खुशी सातवें आसमान पर है। उनकी पिछली फिल्म ‘इत्तेफाक’ में उन्हें दर्शकों की ही नहीं, बल्कि आलोचकों की भी खूब तारीफ मिली। मगर हाल ही में सिद्धार्थ को जब अपने पिता से शाबाशी मिली तो उन्हें लगा कि वह सही मायनों में सफल हैं। B'day Special: तब मेरी मां ने मुझे चप्पलों से पीटा था: सिद्धार्थ मल्होत्रा

असल में किशोरावस्था में उनके घरवाले उन्हें लेकर बहुत चिंतित रहा करते थे। सिद्धार्थ पढ़ने में फिसड्डी थे और उनके घरवालों को लगता था कि वह भविष्य में कुछ कर नहीं पाएंगे, मगर पिछले दिनों उनके पिता ने जब उन्हें फोन करके कहा, ‘बेटा, मुझे तुम पर गर्व है, तो सिद्धार्थ को लगा मानो, उन्हें ऑस्कर अवॉर्ड मिल गया हो। इस वाकये के बारे में उन्होंने बताया, ‘मैं स्कूली दिनों में पढ़ने में बहुत कमजोर था और चूंकि मध्यम वर्गीय परिवार से रहा हूं, तो हमारे घर में पढ़ाई को बहुत अहमियत दी जाती है। नौवीं कक्षा में जब मैं फेल हो गया था, तो मेरी मां ने मुझे चप्पल से पीटा था। मेरे पिता को लगता था कि मैं करियर की दौड़ में कहीं पीछे न रह जाऊं। जब मुझे फिल्मों में थोड़ी बहुत कामयाबी मिली तो उन्होंने सुकून की सांस ली। मगर हाल ही में उन्होंने मुझे फोन करके कहा, ‘बेटा मुझे तुम पर गर्व है, तो मैं भावुक हो गया।’ 
सिद्धार्थ ने बताया, ‘असल में मेरे पिता मेरी आगामी फिल्म ‘अय्यारी’ से बहुत खुश हैं। इस फिल्म में मैंने पहली बार वर्दी पहनी है। मेरे दादू (दादा) आर्मी से थे और घरवालों को हमेशा लगता था कि परिवार से कोई आर्मी में जाए। भले असल में नहीं, मगर कम से कम मैं फिल्मों में तो इस तरह का किरदार निभा रहा हूं। तो आज मेरा काम और खास तौर पर मेरी वर्दी देखकर मेरे पिता बहुत खुश हैं। मेरे डैड ने मुझे विशेष रूप से फोन करके कहा कि आर्मी की वर्दी में मैं बहुत जंच रहा हूं और उन्हें मुझ पर गर्व है।’ 

‘अय्यारी’ में आर्मी ऑफिसर का किरदार निभाने वाले सिद्धार्थ कहते हैं, ‘मैं आर्मी में काम करने वालों की दिल से इज्जत करता हूं। वे देश के लिए जान की बाजी लगा देते हैं।’ सिद्धार्थ ने फिल्म के बारे में जानकारी देते हुए कहा, ‘यह युद्ध पर आधारित नहीं बल्कि मिलिटरी इंटेलिजेंस विभाग पर आधारित है। इसमें निर्देशक नीरज सर (नीरज पांडे ) ने दर्शाने की कोशिश की है कि किस तरह से इंटेलिजेंस विभाग की दो पीढ़ियों की सोच में टकराव होता है। इसमें नैशनल सिक्यॉरिटी के अलावा और भी कई ज्वलंत मुद्दों को समेटा गया है।’ 

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