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घोटालों, एनपीए से हलकान सार्वजनिक बैंकों को 87 हजार करोड़ रुपये का घाटा

वित्त वर्ष 2018 में देश के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 87,370 करोड़ रुपये का भारी घाटा हुआ है. घोटाले से प्रभावित पंजाब नेशनल बैंक को सबसे ज्यादा घाटा हुआ है. कुल 21 सार्वजनिक बैंकों में से सिर्फ दो इंडियन बैंक और विजया बैंक ही वित्त वर्ष 2017-18 में मुनाफा कमा सके हैं. भारतीय बैंकिंग सेक्टर एनपीए, घोटालों और जालसाजी जैसे मर्ज से हलकान है. 2017-18 में इंडियन बैंक ने 1,259 करोड़ रुपये का सबसे ज्यादा मुनाफा कमाया है और विजया बैंक को 727 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है. इस तरह नीरव मोदी और मेहुल चोकसी द्वारा करीब 13,600 करोड़ रुपये के घोटाले से प्रभावित पंजाब नेशनल बैंक को 2017-18 में 12,283 करोड़ रुपये का भारी घाटा हआ है. इसके बाद आईडीबीआई बैंक को 8,237.93 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. इसके पिछले वित्त वर्ष में भी इस बैंक को 5,158.14 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई को भी इस दौरान 6,547.45 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. हालांकि उसका घाटा पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले कम हुआ है. 2016-17 में एसबीआई को 10,484 करोड़ रुपये का घाटा हआ था. 8 लाख करोड़ से ज्यादा हुआ एनपीए दिसंबर 2017 तक के आंकड़ों के मुताबिक भारतीय बैंकिंग सेक्टर का एनपीए बढ़कर 8.31 लाख करोड़ रुपये हो गया है. कमजोर वित्तीय आंकड़ों की वजह से ही सार्वजनिक क्षेत्र के 11 बैंकों को रिजर्व बैंक के त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (PCA) ढांचे के तहत लाना पड़ा है. इसके तहत बैंकों द्वारा और लोन देने तथा विस्तार करने पर कई तरह के अंकुश लगाए जाते हैं.

वित्त वर्ष 2018 में देश के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 87,370 करोड़ रुपये का भारी घाटा हुआ है. घोटाले से प्रभावित पंजाब नेशनल बैंक को सबसे ज्यादा घाटा हुआ है. कुल 21 सार्वजनिक बैंकों में से सिर्फ दो इंडियन …

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विप्रो बोर्ड में शामिल होने वाले तार‍िक प्रेमजी कॉल सेंटर में कर चुके हैं काम

देश के दूसरे सबसे अमीर शख्स अजीम प्रेमजी के छोटे बेटे तारिक प्रेमजी अब विप्रो एंटरप्राइजेस से जुड़ गए हैं. उन्हें नॉन-एग्जीक्यूट‍िव डायरेक्टर के तौर पर बोर्ड में शामिल किया गया है. वह पिछले हफ्ते ही विप्रो बोर्ड से जुड़े हैं.अपने पिता अजीम प्रेमजी की तरह ही तारिक प्रेमजी भी लाइमलाइट से दूर रहना पसंद करते हैं. तार‍िक प्रेमजी विप्रो एंटरप्राइजेस से जुड़ने से पहले विप्रो ग्रुप के दो एनजीओ अजीम प्रेमजी फि‍लैंथेरिपिक इनिश‍िएटिव्स और अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के साथ मिलकर काम कर चुके हैं. तारिक ने बेंगलुरु के सेंट जोसेफ कॉलेज से कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया है. इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद उन्होंने कॉल सेंटर में भी काम किया. उसके बाद वह प्रेमजी इन्वेस्ट से जुड़े. बता दें कि पिछले शुक्रवार को ही कंपनी ने तार‍िक को बोर्ड मेंबर बनाने की घोषणा की थी. बता दें कि अजीम प्रेमजी देश के दूसरे सबसे अमीर शख्स हैं. फोर्ब्स के मुताबिक उनकी कुल संपत्ति 17.2 अरब डॉलर (करीब 1.15 लाख करोड़ रुपये) है. अजीम प्रेमजी ने भी फैमिली बिजनेस संभालने के लिए पढ़ाई छोड़ दी थी. वह स्टैनफर्ड यूनिवर्स‍िटी में पढ़ते थे. उन्होंने 1966 में फैम‍िली का कुक‍िंग बिजनेस संभाने के लिए कॉलेज छोड़ा था.

देश के दूसरे सबसे अमीर शख्स अजीम प्रेमजी के छोटे बेटे तारिक प्रेमजी अब विप्रो एंटरप्राइजेस से जुड़ गए हैं. उन्हें नॉन-एग्जीक्यूट‍िव डायरेक्टर के तौर पर बोर्ड में शामिल किया गया है. वह पिछले हफ्ते ही विप्रो बोर्ड से जुड़े …

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वीडियोकॉन लोन विवाद: चंदा कोचर के ख‍िलाफ अमेरिकी बाजार नियामक ने भी शुरू की जांच

वीड‍ियोकॉन लोन विवाद में फंसी आईसीआईसीआई बैंक और इसकी प्रमुख चंदा कोचर की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. सीबीआई और मार्केट रेग्युलेटर सेबी के जांच शुरू करने के बाद अब अमेरिका मार्केट रेग्युलेटर भी इस मामले में कूद गया है. इसी बीच, देश में इस मामले की जांच कर रही जांच एजेंसी सीबीआई भी विदेशी जांच एजेंसियों से भी सहयोग मांगने की तैयारी कर रही है. न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि अमेरिका का मार्केट रेग्युलेटर स‍िक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) इस मामले पर करीब से नजर बनाए हुए है. सूत्रों के मुताबिक एसईसी इस मामले में चंदा कोचर पर लगे अनियमितता बरतने के आरोपों की जांच कर रहा है. एसईसी इस मामले में मार्केट रेग्युलेटर सेबी से भी जानकारी मांगने की तैयारी कर रहा है. बता दें कि आईसीआईसीआई बैंक अमेरिकी शेयर बाजार में भी लिस्टेड है. सेबी इस मामले में आईसीआईसीआई बैंक को कारण बताओ नोटिस जारी कर चुका है. सेबी भी अपने स्तर पर इस मामले की जांच में जुटा हुआ है. अमेरिकी मार्केट रेग्युलेटर के जांच शुरू करने की खबर आने के बाद बैंक के शेयरों में गिरावट नजर आ रही है. सेंसेक्स पर बैंक के शेयर 0.12 फीसदी की कटौती के साथ कारोबार कर रहे हैं. पिछले हफ्ते ऐसी रिपोर्ट आई थी कि आईसीआईसीआई बैंक की एमडी और सीईओ चंदा कोचर ने सेबी से इस मामले में जवाब देने के लिए और समय मांगा है. बताया गया है कि इस मामले में बैंक ने बाजार नियामक को लिखा है. इसमें सेबी से पूछा गया है कि आख‍िर बैंक और चंदा कोचर को किन आरोपों के आधार पर यह नोटिस जारी किया गया है

वीड‍ियोकॉन लोन विवाद में फंसी आईसीआईसीआई बैंक और इसकी प्रमुख चंदा कोचर की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. सीबीआई और मार्केट रेग्युलेटर सेबी के जांच शुरू करने के बाद अब अमेरिका मार्केट रेग्युलेटर भी इस मामले …

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Exclusive: OLX पर इंडियन आर्मी और CISF के नाम पर ठगे जा रहे हैं लोग

आपने फ़ेमस जिंगल ‘OLX करो, आगे बढ़ो’ तो सुना ही होगा. ज्यादातर लोग ज़रूरत का सामान खरीदने या अपना पुराना सामान बेचने के लिए OLX करते हैं. तो कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस पोर्टल का इस्तेमाल लोगों को …

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उम्र कुछ भी हो, कम निवेश में ये हैं करोड़पति बनने के तीन तरीके

हर कोई अमीर बनना चाहता है. हर किसी की जिंदगी में एक लक्ष्य होता है कि दिन-रात मेहनत करके वो जो कमाता है, सभी खर्चे के बाद जो पैसे बचते हैं उससे ज्यादा से ज्यादा लाभ कमा सके. इस लक्ष्य …

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साईं की अनमोल निशानियों के दर्शन से बदलते हैं जीवन

शिरडी के साईं बाबा, एक संत, फकीर और भी न जाने कितने रूप है साईं के. साईं बाबा के चमत्कार के किस्से अनंत हैं. साईं के दर से कभी कोई खाली हाथ नहीं लौटता. बाबा के दर पर जाने वाले भक्तों की कोई मुराद कभी अधूरी नहीं रहती और बाबा का ये चमत्कार दिखाता है उनका बटुआ. समाधि लेने से पहले भी बाबा अपने इसी बटुए में हाथ डालकर अपने भक्तों को सोने-चांदी के सिक्के देकर उनके दुखों को दूर किया करते थे. साईं बाबा की इस अनमोल धरोहर को आज भी संभाल कर रखा गया है. बाबा 16 साल की उम्र में शिरडी गए और एक मामूली सा गांव एक तीर्थ बन गया. कहते हैं साईं जबसे शिरडी में स्थापित हुए वहां कोई संकट नहीं आया. बाबा ने समाधी लेने के बाद भी अपने भक्तों पर किसी संकट का साया तक नहीं पड़ने दिया. आज भी उनके भक्तों को साईं के दर्शन हो जाते हैं. बाबा रूप बदल कर अपने भक्तों का उद्धार करने आते हैं. हफ्ते के 7 दिनों में गुरुवार का दिन बाबा के नाम है. शिरडी में आज भी हर गुरुवार साईं की पालकी निकलती है. जिसके दर्शन करने के लिए हजारों भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है. कहते हैं जिसने भी बाबा की इन इनमोल निशानियों के दर्शन कर लिए उन्हें साक्षात साईं के दर्शनों का सौभाग्य मिलता है. शिरडी में बाबा की इस्तेमाल की हुई वस्तुएं रखी हुई हैं. घर बैठे भी बाबा की इन अनमोल निशानियों के दर्शन से सारे दुख तर जाते हैं. बाबा की कृपा हासिल करने का ये अवसर आपकी जिंदगी बदल सकता है. साईं जिंदगियां सवांरने वाले साधक हैं. बाबा की कृपा हर उस भक्त को मालूम है, जिसने उन्हें सच्चे मन से याद किया है. बाबा के इसी चमत्कार से आप भी कीजिए साक्षात्कार.

शिरडी के साईं बाबा, एक संत, फकीर और भी न जाने कितने रूप है साईं के. साईं बाबा के चमत्कार के किस्से अनंत हैं. साईं के दर से कभी कोई खाली हाथ नहीं लौटता.बाबा के दर पर जाने वाले भक्तों …

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माता मावली मंदिर, जहां महिलाओं को नहीं मिलता है प्रवेश

छत्तीसगढ़ के धमतरी से पांच किलोमीटर की दूरी पर ग्राम पुरूर में स्थित आदि शक्ति माता मावली के मंदिर की अनोखी परंपरा है. यहां मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है. मंदिर की मान्यता है कि माता के दर्शन मात्र से श्रद्धालुओं की मन्नत पूर्ण होती है. माता की कृपा पाने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं. इस नवरात्र में 166 ज्योत जलाई गई है. मंदिर के पुजारी श्यामलाल साहू और शिव ठाकुर ने बताया कि यह मावली माता मंदिर वर्षों पुराना है. यहां के पुजारी (बैगा) ने बताया था कि उन्हें एक बार सपने में भूगर्भ से निकली माता मावली दिखाई दी और माता ने उस बैगा से कहा था कि वह अभी तक कुंवारी हैं, इसलिए मेरे दर्शन के लिए महिलाओं का यहां आना वर्जित रखा जाए. तब से इस मंदिर में सिर्फ पुरुष ही दर्शन के लिए पहुंचते हैं. सुबह से ही मंदिर में भक्तों का तांता लग जाता है. मन्नत पूरी होने पर कई श्रद्धालु चढ़ावा लेकर पहुंचते हैं. इस नवरात्र में 166 दीप प्रज्‍जवलित किए गए हैं. माता मावली के दर्शन के लिए छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य राज्यों से भी भक्त पहुंचते हैं. आदि शक्ति मावली माता मंदिर में लगातार सौंदर्यीकरण का कार्य चल रहा है. इस मंदिर में बागीचे का निर्माण किया गया है, जहां गुलाब, गोंदा, सूरजमुखी, सेवंती के फूल आकर्षण का केंद्र बन गए हैं. मंदिर के चारों ओर फूलों की सुगंध बिखर रही है. जैसा कि मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित होने की परंपरा है. पूजा-अर्चना के लिए परिसर में एक छोटे से मंदिर का निर्माण करवाया गया है, जहां महिलाएं माता के दर्शन कर अपनी मन्नतें मांगती हैं. महिलाएं नमक, मिर्ची, चावल, दाल, साड़ी, चुनरी आदि चढ़ावा के रूप में चढ़ाती हैं. गांव की रामबती, सुशीला, चंपाबाई सहित कई महिलाओं ने बताया कि यहां महिलाओं का अंदर जाना मना है, इसलिए सभी महिलाएं बाहर से ही दर्शन कर लेती हैं. अगर उनकी कुछ मन्नतें होती हैं तो मंदिर के बाहर स्थापित मंदिर में दर्शन कर अपनी मन्नतें मांगती हैं.

छत्तीसगढ़ के धमतरी से पांच किलोमीटर की दूरी पर ग्राम पुरूर में स्थित आदि शक्ति माता मावली के मंदिर की अनोखी परंपरा है. यहां मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है. मंदिर की मान्यता है कि माता के दर्शन मात्र से श्रद्धालुओं …

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मां चंडिका शक्तिपीठ: जहां दूर होती है आंखों की पीड़ा

मां चंडिका का मंदिर बिहार के मुंगेर जिला मुख्यालय से चार किलोमीटर दूर गंगा के किनारे स्थित है. इसके पूर्व और पश्चिम में श्मशान है. इसीलिए इसे ‘श्मशान चंडी’ के रूप में भी जाना जाता है. नवरात्र के दौरान कई …

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इस मंदिर में मनाया जाता है ‘फुटवियर फेस्टिवल’, लोग चढ़ाते हैं चप्पलें

कनार्टक के गुलबर्ग जिले में लकम्‍मा देवी का मंदिर है. यहां हर साल 'फुटवियर फेस्टिवल' होता है, जिसमें दूर-दराज के गांवों से लोग चप्‍पल चढ़ाने आते हैं. इस फेस्टिवल में मुख्‍य तौर पर गोला (बी) नामक गांव के लोग बढ़-चढ़कर हिस्‍सा लेते हैं. यह फेस्टिवल अजीब-गरीब रिवाजों के कारण प्रसिद्ध है. हर साल यह फेस्टिवल दिवाली के छठे दिन आयोजित किया जाता है. यहां लोग आकर मन्‍नत मांगते हैं और उसके पूरा होने के लिए मंदिर के बाहर स्थित एक पेड़ पर चप्‍पलें टांगते हैं. यही नहीं लोग इस दौरान भगवान को शाकाहारी और मांसाहारी भोजन का भोग भी लगाते हैं. लोगों का मानना है कि इस तरह चप्‍पल चढ़ाने से ईश्‍वर उनकी बुरी शक्तियों से रक्षा करते हैं. ऐसी मान्यता है कि है कि इससे पैरों और घुटनों का दर्द सदैव के लिए दूर हो जाता है. इस मंदिर में हिन्दू ही नहीं बल्कि मुसलमान भी आते हैं. कहा जाता है कि माता भक्‍तों की चढ़ाई गई चप्‍पलों को पहनकर रात में घूमती हैं और उनकी रक्षा करती हैं.

कनार्टक के गुलबर्ग जिले में लकम्‍मा देवी का मंदिर है. यहां हर साल ‘फुटवियर फेस्टिवल’ होता है, जिसमें दूर-दराज के गांवों से लोग चप्‍पल चढ़ाने आते हैं. इस फेस्टिवल में मुख्‍य तौर पर गोला (बी) नामक गांव के लोग बढ़-चढ़कर …

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चारों दिशाओं में आदिशंकराचार्य ने स्थापित किए थे ये 4 मठ

प्राचीन भारतीय सनातन परम्परा के विकास और हिंदू धर्म के प्रचार-प्रसार में आदि शंकराचार्य का महान योगदान है. उन्होंने भारतीय सनातन परम्परा को पूरे देश में फैलाने के लिए भारत के चारों कोनों में चार शंकराचार्य मठों की स्थापना की थी. ये चारों मठ आज भी चार शंकराचार्यों के नेतृत्व में सनातन परम्परा का प्रचार व प्रसार कर रहे हैं. हिंदू धर्म में मठों की परंपरा लाने का श्रेय आदि शंकराचार्य को जाता है. आदि शंकराचार्य ने देश की चारों दिशाओं में चार मठ की स्थापना की थी. आइए जानते हैं आदिशंकराचार्य द्वारा स्थापित इन मठों के बारे में... श्रृंगेरी मठ: श्रृंगेरी शारदा पीठ भारत के दक्षिण में रामेश्वरम् में स्थित है. श्रृंगेरी मठ कर्नाटक के सबसे प्रसिद्ध मठों में से एक है. इसके अलावा कर्नाटक में रामचन्द्रपुर मठ भी प्रसिद्ध है. इसके तहत दीक्षा लेने वाले संन्यासियों के नाम के बाद सरस्वती, भारती, पुरी सम्प्रदाय नाम विशेषण लगाया जाता है जिससे उन्हें उस संप्रदाय का संन्यासी माना जाता है. इस मठ का महावाक्य 'अहं ब्रह्मास्मि' है, मठ के तहत 'यजुर्वेद' को रखा गया है. इसके पहले मठाधीश आचार्य सुरेश्वर थे. गोवर्धन मठ: गोवर्धन मठ उड़ीसा के पुरी में है. गोवर्धन मठ का संबंध भगवान जगन्नाथ मंदिर से है. बिहार से लेकर राजमुंद्री तक और उड़ीसा से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक का भाग इस मठ के अंतर्गत आता है. गोवर्द्धन मठ के तहत दीक्षा लेने वाले संन्यासियों के नाम के बाद 'आरण्य' सम्प्रदाय नाम विशेषण लगाया जाता है जिससे उन्हें उस संप्रदाय का संन्यासी माना जाता है. इस मठ का महावाक्य है 'प्रज्ञानं ब्रह्म' और इस मठ के तहत 'ऋग्वेद' को रखा गया है. इस मठ के पहले मठाधीश आदि शंकराचार्य के पहले शिष्य पद्मपाद हुए. शारदा मठ: द्वारका मठ को शारदा मठ के नाम से भी जाना जाता है. यह मठ गुजरात में द्वारकाधाम में है. इसके तहत दीक्षा लेने वाले संन्यासियों के नाम के बाद 'तीर्थ' और 'आश्रम' सम्प्रदाय नाम विशेषण लगाया जाता है जिससे उन्हें उस संप्रदाय का संन्यासी माना जाता है. इस मठ का महावाक्य है 'तत्त्वमसि' और इसमें 'सामवेद' को रखा गया है. शारदा मठ के पहले मठाधीश हस्तामलक (पृथ्वीधर) थे. हस्तामलक आदि शंकराचार्य के प्रमुख चार शिष्यों में से एक थे. ज्योतिर्मठ: ज्योतिर्मठ उत्तराखण्ड के बद्रिकाश्रम में है. ऐतिहासिक तौर पर, ज्योतिर्मठ सदियों से वैदिक शिक्षा तथा ज्ञान का एक ऐसा केन्द्र रहा है जिसकी स्थापना 8वीं सदी में आदी शंकराचार्य ने की थी. ज्योतिर्मठ के तहत दीक्षा लेने वाले संन्यासियों के नाम के बाद 'गिरि', 'पर्वत' और 'सागर' चारों दिशाओं में आदिशंकराचार्य ने स्थापित किए थे ये 4 मठसम्प्रदाय नाम विशेषण लगाया जाता है जिससे उन्हें उस संप्रदाय का संन्यासी माना जाता है. इसका महावाक्य 'अयमात्मा ब्रह्म' है. मठ के अंतर्गत अथर्ववेद को रखा गया है. इसके पहले मठाधीश आचार्य तोटक थे.

प्राचीन भारतीय सनातन परम्परा के विकास और हिंदू धर्म के प्रचार-प्रसार में आदि शंकराचार्य का महान योगदान है. उन्होंने भारतीय सनातन परम्परा को पूरे देश में फैलाने के लिए भारत के चारों कोनों में चार शंकराचार्य मठों की स्थापना की …

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