शिरडी के साईं बाबा, एक संत, फकीर और भी न जाने कितने रूप है साईं के. साईं बाबा के चमत्कार के किस्से अनंत हैं. साईं के दर से कभी कोई खाली हाथ नहीं लौटता.बाबा के दर पर जाने वाले भक्तों की कोई मुराद कभी अधूरी नहीं रहती और बाबा का ये चमत्कार दिखाता है उनका बटुआ. समाधि लेने से पहले भी बाबा अपने इसी बटुए में हाथ डालकर अपने भक्तों को सोने-चांदी के सिक्के देकर उनके दुखों को दूर किया करते थे. साईं बाबा की इस अनमोल धरोहर को आज भी संभाल कर रखा गया है.
बाबा 16 साल की उम्र में शिरडी गए और एक मामूली सा गांव एक तीर्थ बन गया. कहते हैं साईं जबसे शिरडी में स्थापित हुए वहां कोई संकट नहीं आया. बाबा ने समाधी लेने के बाद भी अपने भक्तों पर किसी संकट का साया तक नहीं पड़ने दिया. आज भी उनके भक्तों को साईं के दर्शन हो जाते हैं. बाबा रूप बदल कर अपने भक्तों का उद्धार करने आते हैं.
हफ्ते के 7 दिनों में गुरुवार का दिन बाबा के नाम है. शिरडी में आज भी हर गुरुवार साईं की पालकी निकलती है. जिसके दर्शन करने के लिए हजारों भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है. कहते हैं जिसने भी बाबा की इन इनमोल निशानियों के दर्शन कर लिए उन्हें साक्षात साईं के दर्शनों का सौभाग्य मिलता है.
शिरडी में बाबा की इस्तेमाल की हुई वस्तुएं रखी हुई हैं. घर बैठे भी बाबा की इन अनमोल निशानियों के दर्शन से सारे दुख तर जाते हैं. बाबा की कृपा हासिल करने का ये अवसर आपकी जिंदगी बदल सकता है. साईं जिंदगियां सवांरने वाले साधक हैं. बाबा की कृपा हर उस भक्त को मालूम है, जिसने उन्हें सच्चे मन से याद किया है. बाबा के इसी चमत्कार से आप भी कीजिए साक्षात्कार.