मां चंडिका शक्तिपीठ: जहां दूर होती है आंखों की पीड़ा

मां चंडिका का मंदिर बिहार के मुंगेर जिला मुख्यालय से चार किलोमीटर दूर गंगा के किनारे स्थित है. इसके पूर्व और पश्चिम में श्मशान है. इसीलिए इसे ‘श्मशान चंडी’ के रूप में भी जाना जाता है. नवरात्र के दौरान कई साधक तंत्र सिद्धि के लिए यहां जमा होते हैं.मां चंडिका का मंदिर बिहार के मुंगेर जिला मुख्यालय से चार किलोमीटर दूर गंगा के किनारे स्थित है. इसके पूर्व और पश्चिम में श्मशान है. इसीलिए इसे 'श्मशान चंडी' के रूप में भी जाना जाता है. नवरात्र के दौरान कई साधक तंत्र सिद्धि के लिए यहां जमा होते हैं.  मान्यता है कि इस स्थल पर माता सती की बाईं आंख गिरी थी. यहां आंखों के असाध्य रोग से पीड़ित लोग पूजा करने आते हैं और यहां से काजल लेकर जाते हैं. लोग मानते हैं कि यह काजल नेत्ररोगियों के विकार दूर करता है.  इस मंदिर में देवी को चढ़ाई जाती है हथकड़ी...      चंडिका स्थान के मुख्य पुजारी नंदन बाबा बताते हैं, 'चंडिका स्थान एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है. नवरात्र के दौरान सुबह तीन बजे से ही माता की पूजा शुरू हो जाती है और संध्या में श्रृंगार पूजन होता है'.   यहां हुआ था शिव-गौरी का विवाह...   मां के विशाल मंदिर परिसर में काल भैरव, शिव परिवार और भी कई देवी- देवताओं के मंदिर हैं, जहां श्रद्धालु पूजा-अर्चना करते हैं.

मान्यता है कि इस स्थल पर माता सती की बाईं आंख गिरी थी. यहां आंखों के असाध्य रोग से पीड़ित लोग पूजा करने आते हैं और यहां से काजल लेकर जाते हैं. लोग मानते हैं कि यह काजल नेत्ररोगियों के विकार दूर करता है.

 

 चंडिका स्थान के मुख्य पुजारी नंदन बाबा बताते हैं, ‘चंडिका स्थान एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है. नवरात्र के दौरान सुबह तीन बजे से ही माता की पूजा शुरू हो जाती है और संध्या में श्रृंगार पूजन होता है’. 

मां के विशाल मंदिर परिसर में काल भैरव, शिव परिवार और भी कई देवी- देवताओं के मंदिर हैं, जहां श्रद्धालु पूजा-अर्चना करते हैं. 

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