At a behest of Ram Rahim

अभी भी… राम रहीम के एक इशारे पर जान तक देने को तैयार हैं 5,000 लोग, ले चुके हैं शपथ

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने खुद को हर प्रकार की जांच से बचाने को बलिदानी जत्था बनाया हुआ था। जत्‍थे में शामिल 5000 लोग एक इशारे पर जान तक देने को तैयार रहते हैं।At a behest of Ram Rahim
बलिदानी जत्थे में शामिल होने वाले डेरा प्रेमियों से बाकायदा शपथ पत्र लिया जाता था और ये शपथ पत्र नोटरी से अटेस्टेड होता था। बलिदानी जत्थे में करीब पांच हजार डेरा प्रेमी शामिल थे। जब भी सीबीआई, केंद्र जांच ब्यूरो और कोर्ट डेरा प्रमुख पर शिकंजा कसने की तैयारी करती बलिदानी जत्था सक्रिय हो जाता। इस जत्थे में महिलाएं और पुरुष दोनों ही शामिल थे।

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वर्ष 2007 और 2011 में प्रदेश सरकार ने बलिदानी जत्थे के कारनामे पहली बार देखे। वर्ष 2007 में जब डेरा प्रमुख के खिलाफ बठिंडा में सिखों की धार्मिक भावना भड़काने का केस दर्ज हुआ तो सिरसा लघु सचिवालय में हजारों डेरा प्रेमी केस रद्द करवाने की मांग को लेकर उमड़ पडे़। सरकार पर दबाव बनाने के लिए बलिदानी जत्थे में शामिल एक युवक ने खुद को आग लगाकर आत्महत्या कर ली।

इसके बाद मृतक को डेरा सच्चा सौदा की ओर से शहीद का दर्जा दिया गया। डेरा सच्चा सौदा की ओर से डेरा प्रेमियों से कहा गया था कि जो भी डेरा प्रमुख के लिए बलिदान देगा उसे शहीद का दर्जा और 11 लाख रुपये दिए जाएंगे, ऐसा हुआ भी।इसके बाद जब साध्वी यौन शोषण मामले में सीबीआई कोर्ट ने डेरा प्रमुखी की पेशी नियमित कर दी तो बलिदानी जत्थे में शामिल दो डेरा प्रेमियों ने सिरसा कोर्ट परिसर के अंदर व बाहर खुद को गोली मारकर आत्महत्या की। इनके पास से सुसाइड नोट भी मिला, जिसमें साफ तौर से कहा गया कि डेरा प्रमुख की नियमित पेशी से आहत होकर हमने सुसाइड की है।

इसके बाद सरकार पर दबाव बना तो डेरा प्रमुख की नियमित पेशी बंद कर दी गई। डेरा के खिलाफ कोई भी जांच होती तो प्रशासन के अधिकारी खानापूर्ति ही करते। हाईकोर्ट के निर्देश पर डेरा सच्चा सौदा में हथियार चलाने की ट्रेनिंग दिए जाने की जांच में प्रशासन का डेरा सच्चा सौदा के प्रति समर्पण साफ दिखाई दिया।

तत्कालीन सिरसा एसडीएम जांच के सिलसिले में डेरा में जाते और खानापूर्ति करके वापस लौट आते। उनके साथ जाने वाले सुरक्षा गार्ड के हथियार डेरा सच्चा सौदा प्रबंधन अपने पास ही रखवा लेता। डेरा के बलिदानी जत्थे ने सरकार और प्रशासन को हमेशा से ही भयभीत करे रखा।

ये लिखा था बलिदानी जत्थे के शपथ पत्र में

मैंने डेरा सच्चा सौदा सरसा से नामदान लिया हुआ है। पिछले कुछ सालों से केंद्रीय जांच ब्यूरो डेरा की जांच कर रहा है। जिसके जांच अधिकारी डेरा प्रमुख को नजायज केसों में फंसा रहे हैं। मैं जांच एजेंसी की हरकतों से परेशान हूं। मैंने अपनी मर्जी से फैसला लिया है कि जब तक केंद्रीय जांच ब्यूरो डेरा प्रमुख को फंसाने की साजिश नहीं छोड़ते तब तक मैं शांत नहीं बैठूगा, बेशक मेरा जीवन ही समाप्त क्यों न हो जाए। अगर मेरा जीवन समाप्त हो जाता है तो उसका जिम्मेवार डेरा सच्चा सौदा नहीं, बल्कि इसकी जिम्मेवार सरकार व केंद्रीय जांच ब्यूरो होगा। मैं हल्फ से बयान करता हूं कि मेरा उपरोक्त बयान सही है, इसमें कुछ भी छिपा कर नहीं रखा है। 

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