भाजपा का खौफ बसपा प्रमुख मायावती और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच दूरियां घटा रहा है। बसपा और कांग्रेस के बीच नया दोस्ताना संबंध विकसित हो रहा है। राज्यसभा चुनाव में यह केमेस्ट्री भाजपा का खेल बिगाड़ रही है। भाजपा ने निर्दलीय और दूसरे दलों के बागियों के बूते कांग्रेसी दिग्गजों की राह पथरीली बनाने की रणनीति बनाई थी। लेकिन मायावती की बदली सियासत से भाजपाई चक्रव्यूह टूटता नजर आ रहा है। राज्यसभा चुनाव में राजस्थान और उत्तर प्रदेश में मायावती कांग्रेस के तारणहार की भूमिका में उभर रही है। मध्य प्रदेश में बसपा के समर्थन ने कांग्रेस के विवेक तन्खा की राह आसान कर दी है।
मायावती का उत्तराखंड में समर्थन
मायावती ने उत्तराखंड में समर्थन देकर संकट से उबारा था। दोनों दलों की निकटता से उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिए नए समीकरण की बुनियाद रखी जा रही है। हांलाकि बसपा प्रमुख ने उत्तर प्रदेश में अकेले चुनाव लडने का ऐलान किया है लेकिन नई दोस्ती सीटों पर दोस्ताना संघर्ष के समझौते का रूप ले सकती है। आपसी समझदारी से चुनाव के लिए सेनाएं सजाने की रणनीति संभव है। मायावती अब सपा और भाजपा पर ज्यादा आक्रामक हैं और कांग्रेस के प्रति अपेक्षाकृत नरमी दिखा रही हैं। भाजपा ने उप्र में सपा से अपना मुकाबला बताकर बसपा को अपरोक्ष तरीके से घेरने की योजना बनाई है लेकिन मायावती से दांव से भाजपा का गणित गड़बड़ हो रहा है।
भाजपा ने राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के कपिल सिब्बल की राह रोकने के लिए निर्दलीय प्रीति महापात्रा को समर्थन दिया है लेकिन बसपा के बदले रुख से सिब्बल को राहत मिलती दिख रही है। बसपा के पास दो प्रत्याशियों को जिताने की क्षमता के बाद भी 12 अतिरिक्त वोट हैं। ये मत अगर सिब्बल को मिलते हैं तो उनकी नैया पार हो सकती है। रालोद के अजित सिंह ने पहले ही सपा और कांग्रेस दोनों को समर्थन का एलान कर रखा है। जीत के लिए 34 वोट चाहिए जबकि कांग्रेस के 29 विधायक हैं। एक-दो विधायक क्रास वोटिंग भी कर सकते हैं। ऐसे में कांग्रेस की उम्मीदें मायावती पर ही टिकी हैं। सपा अपने सभी सात प्रत्याशियों की जीत के प्रति आश्वस्त है।
राजस्थान में बसपा के तीन विधायक कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार कमल मोरारका को समर्थन दे रहे हैं। हांलाकि मोरारका की राह कठिन हो गई है लेकिन बसपा और कांग्रेस की दोस्ती राजस्थान में कायम है। सूत्रों के मुताबिक भाजपा ने जरूरी वोटों का इंतजाम कर लिया है। भाजपा के वैंकेया नायडू, ओम माथुर, हर्षवर्धन ंसिंह और आर के वर्मा की राह आसान दिख रही है। हरियाणा में भाजपा समर्थित सुभाष चंद्रा के लिए मुश्किलें पैदा हुई हैं।