उप्र लोक सेवा आयोग में हुए भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच बंद हो सकती है। सीबीआई के निदेशक प्रवीण सूद ने मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि अपर निजी सचिव भर्ती परीक्षा-2010 की सीबीआई जांच को पूरा करने के लिए बीते चार वर्षों से प्रदेश सरकार से तीन कर्मियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति और आयोग से अभिलेख मांगे जा रहे हैं। अभी तक दोनों ही प्रकरणों में कोई कार्यवाही नहीं हुई है, जिसकी वजह से सीबीआई को जांच बंद करनी पड़ सकती है।
सीबीआई निदेशक द्वारा बीती 26 मई को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि जांच के दौरान आयोग के तीन कर्मचारियों सिस्टम एनालिस्ट गिरीश गोयल, सेक्शन अफसर विनोद कुमार सिंह और समीक्षा अधिकारी लाल बहादुर पटेल के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति देने का अनुरोध भी किया जा चुका है, जो अभी नहीं मिली है। एक माह के भीतर अभिलेख और अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलती है तो इस असहयोग रवैये की वजह से जांच हमेशा के लिए बंद करनी पड़ेगी।
सीबीआई के पत्र में पीसीएस 2015 भर्ती की जांच से संबंधित अभिलेख आयोग द्वारा उपलब्ध नहीं कराने का जिक्र किया गया है। सीबीआई द्वारा इस बाबत आयोग को तकरीबन 15 बार पत्र लिखा जा चुका है। इसके बावजूद आयोग ने अभिलेख नहीं दिए हैं।
निदेशक ने लिखा है कि इन परिस्थितियों में जांच को पूरा कर किसी निष्कर्ष पर पहुंचना मुश्किल है। इन प्रकरणों की जांच राज्य सरकार के अनुरोध पर सीबीआई कर रही है, जिसमें आयोग का रवैया लगातार असहयोग वाला रहा है।
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