उन्होंने कहा, ‘ इस तरह के बहुमत के साथ हम फाइनेंस सेक्टर में पूरी तरह सुधार कर सकते थे. हम करीब-करीब आदर्श रूप में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) पारित कर सकते थे। इस तरह के बहुमत के साथ कोई भी कानून बदला जा सकता था.’