नमक एक ऐसा पदार्थ है जिसके बिना खाने का ज़ायका अधूरा है. नमक खाने का स्वाद बढ़ा भी सकता है और बिगाड़ भी. लेकिन अधिकतर लोग यह बात नहीं जानते कि नमक सेहत के साथ भी वही करता है जो स्वाद के साथ. लेकिन कहते हैं न किसी भी चीज़ की अति अच्छी नहीं होती. कुछ लोगों को ज़्यादा नमक खाने की आदत होती है. खाने में नमक ठीक होने के बावजूद वह अधिक नमक लेकर खाते हैं, जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है. आखिर क्यों नमक का ज्यदा सेवन करना हानिकारक माना जाता है, आईये जानते हैं.
घटती है उम्र
कहते हैं कि अधिक नमक खाने से उम्र घटने लग जाती है. अमेरिका में किए गए एक शोध में यह बात सामने आई है कि वहां के अधिकतर लोग रोज़ की जरूरत से दोगुना ज़्यादा नमक खाते हैं, और इस कारण उनकी असमय मुत्यु हो जाती है. यह शोध अमेरिकी सरकार के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) द्वारा किया गया. शोध में कहा गया है कि फास्ट फूड और डिब्बाबंद खाना-खाने के कारण लोग पहले की तुलना में दोगुना नमक खा रहे हैं. न्यूयॉर्क के हेल्थ कमिश्नर थॉमस फरले इसलिए एक अभियान चला रहे हैं जिसके तहत रेस्त्रां के खाने में कम नमक का प्रयोग करने के आदेश जारी किए जाएंगे और बाजार में अगले पांच सालों में डिब्बाबंद खाने में 25 प्रतिशत की कमी लाई जाएगी.
घेर लेती हैं बीमारियां
शोध में बताया गया है नमक शरीर को इस कदर नुकसान पहुंचाता है कि यदि खाने में नमक की मात्रा कम भी कर दी जाए तब भी नुकसान कम नहीं होता. जानकारों का मानना है कि लंबे समय तक अधिक नमक लेने के कारण ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, जिससे दिल को नुकसान पहुंचता है. इसे काबू करने के लिए यदि नमक की मात्रा कम कर दी जाए तो ब्लड प्रेशर कम हो जाएगा, जिससे दिल का दौरा पड़ने की संभावना बढ़ जाती है. अधिक नमक खाने से डायबिटीज का भी ख़तरा बढ़ जाता है. इतना ही नहीं यह ब्लड प्रेशर जैसी समस्या को भी जन्म देता है.
सोडियम और पोटैशियम का स्तर
शरीर पर सोडियम और पोटैशियम के असर को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने पंद्रह साल तक बारह हजार लोगों पर शोध किया. शोध खत्म होने तक 2270 लोगों की मौत हो चुकी थी. इनमें से 825 लोगों की मृत्यु दिल के दौरे के कारण हुई, जबकि 433 की स्ट्रोक या ब्लड क्लॉट के कारण. शोध में कहा गया है कि अधिकतर लोग अधिक सोडियम और कम पोटैशियम लेने की गलती करते हैं. उन्हें यह नहीं पता होता कि सोडियम ब्लड प्रेशर बढ़ाता है, तो पोटैशियम उसे कम करता है. इस प्रक्रिया से शरीर का संतुलन बना रहता है. ऐसे लोगों की किसी भी कारण जल्दी मौत होने की संभावना बन जाती है. खासतौर पर इनमें से आधे लोगों में दिल का दौरा पड़ने के आसार 200 फीसदी तक बढ़ जाते हैं.