पूर्व वित्त मंत्री व वरिष्ठ भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने शुक्रवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली की कुछ टिप्पणियों का करारा जवाब दिया। यशवंत सिन्हा ने कहा कि यदि वह 80 साल की उम्र में नौकरी ढूंढ रहे होते तो जेटली अभी वित्त मंत्रालय का प्रभार नहीं संभाल रहे होते। सिन्हा ने मीडिया से यह भी कहा कि जिन्होंने कभी एक लोकसभा चुनाव नहीं जीता, वे उनसे सवाल पूछ रहे हैं, उन पर हमले कर रहे हैं और कालेधन के मुद्दे पर देश के लोगों को गुमराह कर रहे हैं।
अरुण जेटली ने गुरुवार को यशवंत सिन्हा को 80 साल की उम्र में नौकरी का आवेदक बताते हुए तंज कसा था। यशवंत सिन्हा ने इसी तंज का जवाब देते हुए कहा, “यदि मैं नौकरी के लिए आवेदक होता तो वह (जेटली) वहां नहीं होते।”
एक पुस्तक विमोचन समारोह में जेटली ने सिन्हा पर यह भी आरोप लगाया कि वह कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
चिदंबरम के साथ उनके संबंधों के बारे में पूछे जाने पर सिन्हा ने कहा, “वह (चिदंबरम) मेरे मित्र नहीं हैं, लेकिन वह जेटली के मित्र हैं।”
अर्थव्यवस्था को लेकर यशवंत सिन्हा की आलोचना पर जेटली के तंज का आशय था कि सिन्हा के पास कोई पद नहीं है और अभी 80 साल की उम्र में उनकी कोशिश खुद को लोगों की निगाह में रखने की है। इसीलिए वह आर्थिक नीतियों की आलोचना कर रहे हैं।
इस पर सिन्हा ने कहा, “वह (जेटली) मेरी पृष्ठभूमि भूल गए हैं। मैंने राजनीति में आने के बाद कई कठिनाइयों का सामना किया है। मैंने अपनी भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की नौकरी जैसी नौकरी सेवानिवृत्त होने से 12 साल पहले छोड़ दी थी। राजनीति में आया तो सत्ता पक्ष के साथ नहीं गया बल्कि विपक्ष में गया। वी.पी.सिंह की सरकार में राज्य मंत्री का पद नहीं लिया था।”
भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की निजी हमला नहीं करने की अपील को याद दिलाते हुए यशवंत सिन्हा ने कहा कि वह वित्त मंत्री के साथ बहस के लिए तैयार हैं। निजी हमला नहीं करने की बात गुरुवार को जेटली ने भी कही थी।
उन्होंने जेटली के एक लोकसभा चुनाव नहीं जीतने को भी रेखांकित किया।
उन्होंने कहा, “राजनीति में प्रवेश करने के बाद मैंने जल्द ही अपना निर्वाचन क्षेत्र चुना। मैंने एक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र चुनने के लिए 25 साल का समय नहीं लिया। जिन्होंने लोकसभा का मुंह नहीं देखा है, वो मुझसे सवाल कर रहे हैं और हमला कर रहे हैं।”
जेटली ने अपना पहला लोकसभा चुनाव 2014 में अमृतसर से लड़ा, लेकिन वह हार गए।
सिन्हा ने जोर देते हुए कहा कि वह किसी पर निजी हमला नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रहित में वह मुद्दे उठा रहे हैं।
जेटली की ‘कालेधन के जमाखोरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने’ की आलोचना करते हुए सिन्हा ने कहा, “तीन साल पहले एचएसबीसी बैंक ने भारत के साथ 700 लोगों (जिन्होंने विदेश में कालाधन जमा किया है) के नाम साझा किए थे। उनमें से कितने लोगों को गिरफ्तार किया गया है? क्या उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है?”
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यशवंत सिन्हा ने कालेधन व पनामा पेपर्स मामले में वित्त मंत्री द्वारा देश के लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, “पनामा पेपर्स की वजह से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा। लेकिन यहां कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई?”