सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर न्यायधीश दीपक मिश्रा भारत के 45वें चीफ जस्टिस होंगे और न्यायमूर्ति जे एस खेहर की जगह लेंगे. कानून मंत्रालय ने अधिकारिक अधिसूचना (Notifications) जारी करते हुए मिश्रा की चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्ति की घोषणा की.
अबतक क्या किया और आगे कैसे मुद्दों पर करेंगे सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट के उम्दा न्यायाधीशों में गिने जाने वाले न्यायमूर्ति मिश्रा (उम्र- 63) कई बड़े फैसलों का हिस्सा रहे हैं. उन्होंने मुंबई विस्फोट के दोषी याकूब मेमन से लेकर दिल्ली में एक फिजियोथेरेपी छात्रा का बलात्कार और हत्या करने वाले चार अपराधियों को फांसी की सजा सुनाई थी.
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न्यायमूर्ति मिश्रा चीफ जस्टिस के पद पर 13 महीने तक रहेंगे. वे इस पद पर 28 अगस्त को आसीन होंगे. चीफ जस्टिस के तौर पर उनके हाथों में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद जैसा विवादित विषय होगा.
उनका कार्यकाल व्यस्त रहनेवाला होगा क्योंकि चीफ जस्टिस के तौर पर वे बाबरी मस्जिद-राम मंदिर के अलावा कई बड़े मुद्दे जैसे कावेरी जल विवाद, सेबी-सहारा विवाद, बीसीसीआई सुधार, पनामा पेपर लीक और निजता का अधिकार मामला जैसे अहम मुद्दों पर फैसला करने वाली बेंचों का हिस्सा होंगे.
कई हाई कोर्ट्स में रहे हैं न्यायाधीश
न्यायमूर्ति मिश्रा दिल्ली हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के तौर पर सेवा देने के बाद प्रमोट होकर 10 अक्तूबर 2011 को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. उन्होंने उस बेंच की अध्यक्षता की थी जिसमें साल 2015 में याकूब मेमन की फांसी की सजा पर अंतिम फैसला करने के लिए अभूतपूर्व रूप से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा आधी रात के बाद एक बजे खुला था.
न्यायमूर्ति मिश्रा तीन न्यायाधीशों वाली उस बेंच की भी अध्यक्षता कर चुके हैं, जिसने निर्भया मामले में दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा सामूहिक दुष्कर्म के लिए अपराधियों की दी गई फांसी की सजा को बरकरार रखा था.
साल 1996 में मिश्रा को ओडिशा हाई कोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश बनाया गया था और इसके बाद उनका तबादला मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में मार्च 1997 में हुआ था. साल 2009 में मिश्रा पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने और इसके बाद वे दिल्ली हाई कोर्ट में मई 2010 में मुख्य न्यायाधीश चुने गए.