2. यहां पर कथित नैतिकताओं पर अंगुली उठाई गई है। ये नैतिकता लादने वाले कौन हैं और वे खुद कितने नैतिक हैं?
3. भोपाल में यह चार महिलाओं की समानांतर चलने वाली संघर्षपूर्ण कहानियां हैं और अलग-अलग चलते हुए एक सूत्र में बंध जाती हैं।
4. फिल्म की सेक्सुअल टोन कुछ लोगों को नापसंद लग सकती है। कुछ इसे लिपस्टिक-क्रांति का ‘लाल रंग’ मान सकते हैं। सेंसर बोर्ड को इस पर आपत्ति थी।
6. फिल्म महिलाओं की निजी जिंदगी के साथ उनक दिमाग में भी झांकती है। कई बातें चौंकाती हैं तो कुछ झकझोर देती हैं।
7. महिलाओं को आप जूझते देखते हैं कि सबसे बड़ा रोग, क्या कहेंगे लोग। फिल्म देखते हुए आप यह भी महसूस करते हैं कि पुरुष किरदारों को एक ही नजरिये से देखा गया है।