ठाणे में नाबालिग लड़की से दुष्कर्म का मामला, अदालत ने दोषी को सुनाई 20 साल कठोर कारावास की सजा

दोषी ठहराए जाने के बाद आरोपी ने सजा में नरमी बरतने की अपील करते हुए कहा कि उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और वह अपने परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य है। हालांकि, विशेष सरकारी वकील रेखा हिवराले ने अधिकतम सजा देने की जोरदार वकालत की।

महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने 24 वर्षीय व्यक्ति को नाबालिग लड़की से दुष्कर्म का दोषी ठहराते हुए 20 साल कठोर कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने कहा कि अपराध दोषी की आपराधिक मानसिकता दर्शाता है। विशेष पॉक्सो न्यायाधीश डी एस देशमुख ने सोमवार को दिए आदेश में ठाणे के दिवा निवासी आरोपी अभिषेक जायसवाल पर 20,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।

क्या है मामला
अभियोजन पक्ष के अनुसार, पीड़िता की बहन ने 1 नवंबर, 2022 को आरोपी से पानी का टैंकर मंगवाया था। जब आरोपी टैंकर लेकर पहुंचा, तो घर पर नाबालिग पीड़िता मिली। बाद में आरोपी ने पीड़िता को एक केक की दुकान पर छोड़ने की पेशकश की, जहां उसकी बहन काम करती थी। पीड़िता रात में रोती हुई घर लौटी और बताया कि आरोपी अभिषेक और एक नाबालिग किशोर ने उसके साथ जबरन ठाणे के दिवा में मानपाड़ा रोड पर एक इमारत के पीछे खुली जगह में दुष्कर्म किया। घटना के बाद आरोपी और किशोर फरार हो गए।

नाबालिग आरोपी के खिलाफ मामला ठाणे के भिवंडी में एक किशोर न्यायालय को भेजा गया। 2 नवंबर, 2022 को मुंब्रा पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (दुष्कर्म), 366-ए (नाबालिग लड़की को बहला-फुसलाकर ले जाना) और 34 (सामान्य इरादा) और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 के तहत मामला दर्ज किया। इसके बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया और तब से वह न्यायिक हिरासत में है। मुकदमे के दौरान पीड़िता समेत कुल छह गवाहों से पूछताछ की गई।

अदालत ने नहीं बरती नरमी
दोषी ठहराए जाने के बाद आरोपी ने सजा में नरमी बरतने की अपील करते हुए कहा कि उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और वह अपने परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य है। हालांकि, विशेष सरकारी वकील रेखा हिवराले ने अधिकतम सजा देने की जोरदार वकालत की। अदालत ने यह भी आदेश दिया कि आरोपी से जुर्माने की राशि वसूल की जाए और पीड़ित को मुआवजे के रूप में भुगतान किया जाए। इसके अलावा, मामले को कानूनी प्रावधानों के अनुसार पीड़ित को आगे के मुआवजे के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) को भेजा गया है।

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