कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका उपाय काफी भयानक है | इसमें मरीज पर आर्थिक, मानसिक और शारीरिक रूप से अत्याचार होता है | केमोथेरपी के side effects से इतना बुरा हाल होता है, कि मरीज के रिश्तेदारों से उस की हालत देखी तक नहीं जाती है| बाल झड़ना, सूजन आना, वजन घटना, खाना कम होना, इससे मरीज और उसके रिश्तेदार अपना मनोधैर्य खो देते हैं | “कब ख़त्म होगा यह उपचारों का सील सिला ? क्या केमोथेरपी से सच में फायदा होगा ?”, इन विचारों से सब की नींद उड़ जाती है |लेकिन अब फ़िक्र न करें, अपना दिल थाम लीजिए, आ रहा है इस पर एक अक्सीर इलाज!
बाकी बीमारियों की अपेक्षा कैंसर ऐसी बीमारी है, जो बाहरी जंतु सस्नर्ग से नहीं होती बल्कि अपने आप खुद की मॉस-पेशियों के विचित्र व्यवहार से गाँठ के रूप में पैदा होती है | ये गाँठ अक्सर एक जगह स्थित होती है | लेकिन ये पेशी सारे शरीर में फ़ैल कर जगह-जगह नयीं गांठें बनाकर शरीर के रक्त प्रवाह को कुंठित कर देतीं हैं | इस से मरीज कमजोर होता जाता है | यह ‘एक हाथ से दुसरे हाथ को मारने’ जैसे है | इसलिए इन पेशियों को मारना किसी भी उपाय से कठिन होता है |
आजतक इस पर ‘केमोथेरपी’ या ‘रेडिएशन’ ये ही उपाय चलते आ रहे है | इन इलाजों से शरीर की अच्छी पेशियाँ भी मर जाती है और भयानक side effects होते हैं | कैंसर के मरीजों पर 25 वर्षों के शोध के बाद केलीफोर्निया यूनिवर्सिटी के मेडिकल फिजिक्स एवं साइकोलॉजी के सीनियर प्रोफेसर डॉ. हर्डिन बी जॉन्स का कहना है कि कैंसर के इलाज के तौर पर प्रयोग की जाने वाली केमोथेरपी कैंसर पीड़ित मरीज को दर्दनाक मौत की तरफ ले जा सकती है। हाल ही में यह साबित हुआ है कि \ अंगूर के बीजों का सत्व या अर्क ल्यूकेमिया और कैंसर के अन्य प्रकारों को बहुत ही सकारात्मक ढंग से ठीक करने में बेहद मददगार साबित होता है।
अंगूर के बीज सिर्फ 48 घंटे में हर तरह के कैंसर को 76 प्रतिशत तक विकीर्ण करने में सक्षम है, यह एक शोध में साबित हुआ है | अमेरिकन एसोसिएशन के जर्नल में प्रकाशित एक कैंसर रिसर्च के अनुसार अंगूर के बीज में पाया जाने वाला JNK प्रोटीन, कैंसर कोशिकाओं की विकीर्णों को नियंत्रित करने का काम करता है |