उगादी के दिन कई लोग मंदिर जाकर दिन की शुरुआत करते हैं। सूत्रों के मुताबिक, जैसे ही मंदिर में चमकती नागमणि की खबर फैली, सैकड़ों लोग मंदिर पहुंचे। चीजें वास्तविक लगें, इसलिए पुजारी भी कोबरा ले आया और उसे मंदिर में छोड़ दिया। नए साल यानी उगादी के मौके पर नागमणि की चमक से मंदिर में सैकड़ों श्रद्धालुओं को आकर्षित करने का एक पुजारी का प्लान उसी पर भारी पड़ गया। चिकबल्लापुर जिले के एक मंदिर के पुजारी की योजना अंधेरे में पौराणिक महत्व रखने वाली नागमणि को चमकता दिखाने की थी, लेकिन लोगों को शक हुआ कि पुजारी नागमणि को टॉर्च की मदद से चमकता दिखा रहा है।
इसी शक की वजह से पुजारी को लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा। विरोध इतना बढ़ गया कि वन विभाग ओर पुलिस अधिकारियों को मामले में दखल देना पड़ा और नागमणि की सच्चाई की जांच की जा रही है। चौदेश्वरी मंदिर के पुजारी प्रशांत पर आरोप लगाया जा रहा है कि उगादी के मौके पर चमकती नागमणि दिखाकर वह लोगों से पैसे ऐंठना चाहता था। नागमनी से जुड़े कई मिथक हैं, वह उन्हीं का फायदा उठाकर कमाई करने की फिराक में था। धार्मिक ग्रंथ श्री गरुण पुराण के मुताबिक, ‘कोबरा के फन ने निकलने वाली मणि गोल आकार की होती है और उसकी चमक चारों ओर एक-सी बिखरती है। जिसके पास यह नागमणि होती है, वह किस्मत का धनी होता है, लोगों का नेतृत्व करता है, उसके पास सभी कीमती रत्न होते हैं।’
माना जाता है कि नागमणि कोबरा के फन में बनने वाले कैल्शियम से तैयार होती है, हालांकि सांप के फन में कैल्शियम इकट्टठा होने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। मान्यता है कि यह कैल्शियम सिलिका में तब्दील हो जाता है। उगादी के दिन कई लोग मंदिर जाकर दिन की शुरुआत करते हैं। सूत्रों के मुताबिक, जैसे ही मंदिर में चमकती नागमणि की खबर फैली, सैकड़ों लोग मंदिर पहुंचे। चीजें वास्तविक लगें, इसलिए पुजारी भी कोबरा ले आया और उसे मंदिर में छोड़ दिया।
कई लोग नागणणि देख खुश हुए, तो कुछ श्रद्धालुओं को शक हुआ। उन्होंने नागमणि की बात को फर्जी करार दिया। जल्द यह खबर तहसीलदार तक पहुंची और मंदिर में पुलिस, वन विभाग के अधिकारी पहुंच गए। पुजारी से पूछताछ की जा रही है। कुछ स्थानीय लोगों का आरोप है कि नागमणि असली नहीं है और पुजारी ने एक सामान्य पत्थर में बैटरी फिट कर उसे चमकता दिखाने की कोशिश की।