दिल्ली सरकार राजधानी में वाहनों को उसके आयु नहीं बल्कि उसके फिटनेस के आधार पर चलाने की तैयारी में है। इसे लेकर दिल्ली सरकार का परिवहन विभाग 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में जुटी है। राजधानी में वर्तमान में दिल्ली में 30 लाख से अधिक ऐसे पेट्रोल व डीजल वाहन है। आंकड़ों की माने तो इसमें इसमें छह लाख से अधिक निजि चार पहिया वाहन व बाकी दुपहिया शामिल है।

परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय दिशा निर्देशों के मुताबिक देश में आयु पूरी कर चुके वाहनों को दोबारा फिटनेस टेस्ट पास करके दोबारा पंजीकरण कराकर उसे चलाने की मंजूरी है, मगर दिल्ली में यह लागू नहीं होता है, क्योंकि यहां सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर प्रदूषण के चलते ईधन के हिसाब से वाहनों के आयु तय करके पाबंदी लगाई गई है। दिल्ली सरकार अब वाहनों के आयु के बजाए फिटनेस के आधार पर उसे लागू करना चाहती है।
फिटनेस के पास ग्रीन टैक्स देना होगा
परिवहन विभाग के मुताबिक अगर कोई डीजल वाहन 10 साल का समय पूरा कर लेता है तो उसे अपना फिटनेस टेस्ट कराना होगा। अगर वह उसमें पास होता है तो उसे उसपर दोबारा पंजीकरण शुल्क के बजाए ग्रीन टैक्स वसूला जाएगा। उसके आधार पर उसे 15 साल तक चलाने की मंजूरी दी जाएगी। हालांकि यह कितना होगा यह सुप्रीम कोर्ट जाने व मंजूरी के बाद ही तय होगा। ग्रीन टैक्स के राजस्व का का प्रयोग पर्यावरण को बचाने के लिए किया जाएगा।
दिल्ली में अब तक पुराने हो चुके तीन हजार वाहन हो चुके है स्क्रैप
दिल्ली में 10 व 15 साल की आयु पूरी कर चुके कुल वाहनों में महज तीन हजार वाहनों अपना स्क्रैप करा चुके है। दिल्ली सरकार ने चार से अधिक एजेंसियों को इसके लिए अधिकृत किया है। जहां पर पुराने वाहनों को स्क्रैप किया जा सकता है। 31 मई तक दिल्ली में 2879 से अधिक वाहन मालिकों ने अपने वाहन को स्क्रैप कराया है। बीते दिल्ली परिवहन विभाग ने सार्वजनिक सूचना जारी करके ऐसे वाहनों को स्क्रैप कराने की भी अपील की थी।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal