नई दिल्ली. भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर अमेरिका पहुंचे हैं. गुरुवार को वे अपने समकक्ष एंथनी जे ब्लिंकन से मुलाकात करेंगे. जयशंकर के इस दौरे का सबसे बड़ा एजेंडा कोविड-19 को माना जा सकता है. डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति जो बाइडन के सत्ता संभालने के बाद भारत के उच्च मंत्री का यह पहला दौरा है. इस दौरान कोविड और वैक्सीन के अलावा व्यापार, क्वाड, चीन समेत कई अहम मुद्दों पर चर्चा हो सकती है.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुईं गतिविधियां और क्षेत्रीय राजनीतिक के चलते अमेरिका और भारत पहले से ज्यादा एकमत नजर आ रहे हैं. हालांकि, इस दौरान महामारी और वैक्सीन की तत्काल जरूरत पर चर्चा भारत के लिए अहम है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच संबंध अच्छे नजर आ रहे थे. अब ऐसे में जयशंकर का यह दौरा नए राष्ट्रपति के साथ स्थिति बेहतर करने का काम करेगा.
क्यों हैं वैक्सीन चर्चा का जरूरी विषय
अमेरिका कोविड की जंग को जीतता हुआ नजर आ रहा है. वहीं, भारत बढ़ते मामलों और ऑक्सीजन सिलेंडरों से लेकर मेडिकल वेंटिलेटर्स की कमी का सामना कर रहा है. हालांकि, भारत में स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए अमेरिका ने वैक्सीन का कच्चा माल और अन्य सामान भेजा था.
अमेरिकी कंपनियों फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन की भारत में एंट्री को लेकर चर्चाएं तेज हैं. भारत ने अप्रैल के मध्य में कहा था कि चुने हुए देशों की तरफ से मंजूरी प्राप्त वैक्सीन को भारत में प्रवेश का रास्ता खुला है. हालांकि, कानूनी, नियामक और सप्लाई के स्तर पर रुकावटों के कारण अब तक इन दो वैक्सीन की खरीद पर कोई बड़ी सहमति नहीं बन पाई है.
भारत में अब तक 30 फीसदी से कम जनता को वैक्सीन मिल सकी है. वहीं, अमेरिका ने दोनों डोज प्राप्त करने वाले लोगों की संख्या 39 फीसदी है. ऐसे में अमेरिका से ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के स्टॉक को भारत के साथ साझा करने की बात उठी. वॉशिंगटन ने कहा कि भारत अन्य देशों के साथ साझा की जाने वाले वैक्सीन स्टॉक में से 2 करोड़ डोज ले सकता है. हालांकि, इसे लेकर समयसीमा से जुड़ी जानकारी साफ नहीं हो सकी है.
कहा जा रहा है कि अमेरिका की तरफ से भारत को अब तक 100 मिलियन डॉलर की मदद मिल चुकी है, लेकिन अभी भी अटकी वैक्सीन सप्लाई को शुरू करने को लेकर जयशंकर को कदम उठाने होंगे. केवल आयात ही नहीं भारत लगातार भारत में ही वैक्सीन निर्माण किए जाने की कोशिश में है. यूएस इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्प ने कहा है कि वे जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन समेत हैदराबाद की बायोलॉजिकल ई की 2022 के अंत तक कम से कम 100 करोड़ डोज बनाने के लिए मदद करेगा. अमेरिका ने भारत और दक्षिण अफ्रीका के पेटेंट छूट के प्रस्ताव का भी समर्थन किया है
अन्य अंतरराष्ट्रीय मुद्दे
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ट्रंप की ही तरह राष्ट्रपति बाइडेन भी भारत को चीन की अंतरराष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं के खिलाफ एक प्रमुख हिस्से के रूप में देखते हैं. भारत-चीन संबंधों के दो अहम बिंदु- लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव और क्वाड सदस्यों के बीच नजदीकी का बढ़ना भी जयशंकर की चर्चा का हिस्सा होंगे.
इसके अलावा भारत अफगान शांति वार्ता पर चर्चा करेगा. खास बात है कि हाल ही में अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपनी सेना को पूरी तरह हटा लिया है. ऑस्ट्रेलिया ने इस हफ्ते ‘बढ़ते अनिश्चित सुरक्षा वातावरण’ का हवाला देते हुए अपना दूतावास बंद करने की घोषणा की है. लंदन में हुई बैठक में, ब्लिंकन और जयशंकर ने ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित बहुपक्षीय मंचों में सहयोग को गहरा करने के तरीकों पर भी चर्चा की थी.’ अमेरिका ने यूएन परिषद में भारत की स्थाई हिस्सेदारी के दावे का समर्थन किया है, लेकिन चीन यहां लगातार रुकावट पैदा कर रहा है.