उत्तराखंड में करीब 75 लाख मतदाता हैं. इन मतदाताओं ने विधानसभा चुनाव में कुल 628 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला किया है. 75,13,547 मतदाताओं के लिए पूरे प्रदेश में कुल 10,685 मतदान केंद्र बनाए गए थे. उत्तराखण्ड की 70 सीटों पर हुए चुनाव में से अब सभी के सभी 70 सीटों के रुझान सामने आ गए है. उत्तराखंड विधानसभा चुनावो के रुझानों में बीजेपी को जीत मिलती नजर आ रही है. अब जब बीजेपी जीत की और अग्रसर है तो अब वहा पर मुख्यमंत्री बनने के लिए माथापच्ची शुरू हो गई है. जी हाँ, सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पता चला है कि, उत्तराखण्ड में बीजेपी की जीत के बाद अब पार्टी के प्रतिष्ठित नेताओं के बीच में सीएम बनने की होड़ भी दिखाई देने लगी है. ये खास इसलिए भी क्योंकि सीएम को लेकर उत्तराखंड का इतिहास थोड़ा अलग ही रहा.
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सरकार कांग्रेस की बने या बीजेपी की, जब सीएम बनने का नंबर आता है, माथापच्ची हर तरफ होती है. हालांकि इस बार कांग्रेस की स्थिति एकदम साफ है. कांग्रेस जीती तो सीएम फिर से हरीश रावत बनेंगे. जबकि बीजेपी की सरकार आती है तो केंद्रीय नेतृत्व के लिए फैसला लेना थोड़ा मुश्किल होगा. पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में शुमार हैं. हालांकि फिलहाल सांसद हैं. लेकिन केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिलने का तोहफा उन्हें सीएम पद के रूप में भी दिया जा सकता है.
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भुवन चंद्र खंडूरी- 2007 में उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार बनी. हालांकि पहले रमेश पोखरियाल निशंक को सीएम बनाया गया. लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरने के बाद उन्हें हटा दिया गया. इसके बाद सेना में रहे खंडूरी सीएम बनाए गए और उनकी साफ छवि के साथ बीजेपी ने 2012 का चुनाव लड़ा. रमेश पोखरियाल निशंक उत्तराखंड के सीएम रह चुके हैं. केंद्रीय नेतृत्व में उनका अच्छा दखल माना जाता है. विजय बहुगुणा भी खुद को मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में मानकर चल रहे हैं. पिछली बार कांग्रेस की सरकार आने पर बहुगुणा सीएम बने थे. अब बहुगुणा बीजेपी में हैं. सतपाल महाराज के सत्संग पूरे देश में देखे-सुने जाते हैं. हालांकि तमाम राजनीतिक करियर कांग्रेस के साथ रहकर गुजरा. 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ थे और सीएम उम्मीदवार की रेस में काफी आगे. फिलहाल बीजेपी के साथ हैं और सीएम बनने के प्रबल दावेदारों में इस बार भी हैं. सतपाल चौबट्टाखाल से चुनाव लड़े हैं.