कुछ राज्यों में बढ़ते संक्रमण ने केंद्र की चिंता बढ़ा दी है। केंद्र ने ऐसे राज्यों से ‘परीक्षण, पहचान और उपचार’ की पुरानी रणनीति पर लौटने और ध्यान केंद्रित करने को कहा है, जिसका महामारी की चरम अवस्था के समय अप्रत्याशित लाभ देखने को मिला था। राज्यों से एंटीजेन टेस्ट की जगह आरटी-पीसीआर टेस्ट बढ़ाने आग्रह किया गया है। साथ ही जिन क्षेत्रों में ज्यादा मामले मिल रहे हैं, उनकी निगरानी और कड़े नियंत्रण पर पुनर्विचार करने को भी कहा गया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से जारी बयान के मुताबिक केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण और नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने शनिवार को हरियाणा, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, गोवा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली और चंडीगढ़ के स्वास्थ्य सचिवों और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के प्रबंध निदेशकों के साथ बैठक में उक्त बातें कहीं। बयान के मुताबिक पिछले कुछ दिनों के दौरान इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में संक्रमण के मामले बढ़े हैं।
बैठक में इन राज्यों में बढ़ते संक्रमण से निपटने के लिए की गई तैयारियों की समीक्षा की गई। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से महामारी से निपटने की प्रभावी रणनीति ‘टेस्ट, ट्रैक और ट्रीट’ यानी संभावित मरीजों की जांच, उनके संपर्क में आने वाले कम से कम 20 लोगों की पहचान और संक्रमितों के बेहतर उपचार को फिर अपनाने पर जोर दिया गया। देश में जब कोरोना महामारी अपनी चरम पर थी और रोजाना करीब एक लाख नए मामले सामने आने लगे थे, तब इस रणनीति पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसका अच्छा नतीजा मिला और मामलों में लगातार कमी आती गई।
बैठक के दौरान यह बताया गया कि दिल्ली के नौ, हरियाणा के 15, आंध्र प्रदेश के 10, ओडिशा के 10, हिमाचल प्रदेश के नौ, उत्तराखंड के सात, गोवा के दो और चंडीगढ़ के एक जिले के हालात चिंतित कर रहे हैं, क्योंकि इन जिलों में कुल जांच की संख्या कम हो गई है, साप्ताहिक संक्रमण की दर बढ़ गई है, आरटी-पीसीआर पर निर्भरता कम हुई और संक्रमितों के संपर्क में आने वाले लोगों की पहचान में भी कमी आई है। इन वजहों से पड़ोसी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में भी संक्रमण बढ़ सकता है।
टीकाकरण की तेजी में जोर
स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रभावित राज्यों से टीकाकरण की गति बढ़ाने को कहा है। इस काम में निजी अस्पतालों के सहयोग से कम से कम 15 और अधिकतम 28 दिन के टीकाकरण की समय सारिणी तैयार करने की सलाह दी गई है। वैक्सीन की ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने को भी कहा गया है।
महाराष्ट्र में लापरवाही हो सकती है बढ़ते मामलों की वजह
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक रिपोर्ट में कहा है कि महाराष्ट्र में संक्रमण के बढ़ते मामलों की एक बड़ी वजह लोगों की लापरवाही हो सकती है। हाल के पंचायत चुनावों, शादी-विवाह के मौसम और सार्वजनिक वाहनों में अत्यधिक भीड़ मामलों के बढ़ने की वजह हो सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ते मामलों के सही कारणों का पता नहीं है। लोगों के अंदर महामारी का डर कम हुआ है, जिससे लोग लापरवाह हो गए हैं।