पटना। सोमवार से शुरू हुए बिहार की नवगठित 17वीं विधानसभा के पहले सत्र की शुरुआत हंगामेदार हुई। पहले दिन सभी नए विधायकों को शपथ दिलवाई गई। इसी दौरान एआईएमआईएम के एक विधायक ने शपथ लेने के दौरान शपथ पत्र में लिखे ‘हिंदुस्तान’ शब्द को लेकर आपत्ति जाहिर की और इसके बजाए ‘भारत’ पढ़ा। सदन में राजद नेता तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव भी पहुंचे। दूसरी तरफ, वैशाली में एक युवती को जिंदा जलाने वाले मामले को लेकर कांग्रेस ने प्रदर्शन किया। सत्र की शुरुआत पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रोटेम स्पीकर जीतन राम मांझी से मुलाकात की। पांच दिनी यह सत्र 27 नवंबर तक चलेगा।
अख्तरुल इमान ने ‘हिंदुस्तान’ की जगह ‘भारत’ शब्द पढ़ा-
बिहार विधानसभा सत्र के पहले ही दिन एआईएमआईएम के विधायक अख्तरुल इमान ने शपथ पत्र में लिखे ‘हिंदुस्तान’ शब्द को बोलने से इनकार कर दिया। इसकी जगह उन्होंने ‘भारत’ का इस्तेमाल किया। शपथ ग्रहण के दौरान जब एआईएमआईएम विधायक का नाम पुकारा गया, वैसे ही उन्होंने हिंदुस्तान शब्द पर अपनी आपत्ति जाहिर की।
एआईएमआईएम विधायक ने उर्दू भाषा में शपथ लेने के लिए अनुमति मांगी थी, जिस पर उन्हें उर्दू वाली स्क्रिप्ट प्रदान की गई। लेकिन विधायक ने उसमें लिखे हिंदुस्तान शब्द पर आपत्ति जता दी। साथ ही उन्होंने प्रोटेम स्पीकर जीतनराम मांझी से ‘भारत’ शब्द प्रयोग करने की इजाजत मांगी। विधायक अख्तरुल इमान ने कहा कि वह भारत के संविधान की शपथ लेना चाहते हैं, ना कि हिंदुस्तान के संविधान की।
विधानसभा पहुंचे तेजस्वी-तेजप्रताप-
नवगठित बिहार विधानसभा का पहला सत्र सोमवार से आरंभ हो गया। राजद नेता तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव विधानसभा पहुंचे। इस दौरान विधानसभा के बाहर उन्होंने हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन स्वीकार किया।
कांग्रेस का प्रदर्शन-
इस महीने की शुरुआत में वैशाली जिले में एक 20 वर्षीय लड़की की कथित रूप से जलाने की घटना को लेकर कांग्रेस विधायकों ने पटना में विधानसभा परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। लड़की की इलाज के दौरान मौत हो गई थी।
वहीं, कोविड-19 के बीच आयोजित होने वाले इस सत्र में काफी कुछ नयापन देखने को मिल सकता है। वहीं, सत्र की समाप्ति के बाद नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार होने की भी पूरी संभावना है। सूत्रों ने बताया है कि जदूय, भाजपा व अन्य सहयोगी दलों के 17-18 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलवाई जा सकती है।
105 नवनिर्वाचित सदस्य पहली बार लेंगे शपथ-
17वीं विधानसभा के पांच दिवसीय सत्र के पहले दो दिन सदस्यों के लिए काफी महत्वपूर्ण रहने वाले हैं।वहीं, बाकी के तीन दिनों में विधायी कार्यों को निपटाया जाएगा। 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में 43.2 फीसदी अर्थात 105 सदस्य ऐसे हैं, जो पहली बार विधानसभा की सदस्यता की शपथ लेंगे।
वहीं, 16वीं विधानसभा के 98 यानी कि 40.3 फीसदी सदस्य दोबारा चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं। इसके अलावा 40 सदस्य यानी कि 16.46 फीसदी ऐसे सदस्य हैं, जो अंतराल (ब्रेक) के बाद जीतकर फिर से विधानसभा पहुंचे हैं।
दमदार होगा इस बार विपक्ष
बिहार विधानसभा में इस बार विपक्ष की दहाड़ भी सुनने को मिलेगी, क्योंकि 110 की संख्या के साथ विपक्ष की दमदार मौजूदगी सदन में रहेगी। रोजगार से लेकर गरीबी तक के मुद्दे पर विपक्ष सरकार को घेरने में लगा हुआ है। वहीं, सत्तापक्ष इस बार विपक्ष के सवालों की काट के लिए तैयार दिखाई दे रहा है।
प्रोटेम स्पीकर मांझी दिलाएंगे शपथ-
मिली जानकारी के मुताबिक, सबसे पहले उपमुख्यमंत्री शपथ लेंगे। इस बार बिहार में दो उपमुख्यमंत्री हैं। प्रोटेम स्पीकर जीतनराम मांझी तारकिशोर प्रसाद और फिर रेणु देवी को शपथ दिलाएंगे। इसके बाद सुरक्षित दूरी का पालन करते हुए नवनिर्वाचित सदस्यों को बारी-बारी से शपथ दिलवाई जाएगी।
विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव 25 नवंबर को-
25 नवंबर को नए विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा। 26 को सेंट्रल हॉल में राज्यपाल विधानमंडल की बैठक को संबोधित करेंगे। सत्र के आखिरी दिन यानी 27 नवंबर को राज्यपाल के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा और सरकार की ओर से जवाब दिया जाएगा। सत्र शुरू होने से एक दिन पहले जिला प्रशासन की ओर से विधानसभा में मॉक ड्रिल की गई।
पांच भाषाओं में ले सकेंगे शपथ-
नवनिर्वाचित सदस्यों को पांच भाषाओं में से किसी एक में शपथ लेने की छूट रहेगी। ये भाषाएं हैं- हिंदी, अंग्रेजी, मैथिली, उर्दू और संस्कृत। इसके लिए पांचों भाषाओं में शपथ के लिए स्क्रिप्ट तैयार की गई है। मिली जानकारी के मुताबिक, सबसे ज्यादा मांग हिंदी और मैथिली की स्क्रिप्ट के लिए है।
विधानसभा के पहले सत्र के बाद हो सकता है मंत्रिमंडल विस्तार-
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोमवार को नए विधानसभा के पांच दिवसीय उद्घाटन सत्र के बाद अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं। सूत्रों ने बताया है कि मंत्रिमंडल का विस्तार जरूरी है, क्योंकि 14-सदस्यीय मंत्रिमंडल में कई वरिष्ठ मंत्रियों को पांच-पांच विभाग तक आवंटित किए गए हैं, जिससे उन पर भार बढ़ गया है।
एनडीए के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, सत्र के समाप्त होने के बाद मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है। विस्तार 27 नवंबर के बाद या फिर दिसंबर के पहले सप्ताह में किसी भी दिन हो सकता है। उन्होंने कहा कि विस्तार जरूरी है, क्योंकि 16 नवंबर को सरकार के गठन के बाद मंत्रियों को पर कई अतिरिक्त विभागों का भार है।
जदयू के मेवालाल चौधरी के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री सहित मंत्रिमंडल में अब कुल 14 मंत्री हैं। जदयू के पांच मंत्री, भाजपा के सात और वीआईपी और हम के एक-एक सदस्य को 16 नवंबर को शपथ दिलाई गई। सूत्रों ने बताया कि 17-18 नए मंत्रियों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है, जिसमें भाजपा के खाते में 10 मंत्री पद जा सकते हैं। वहीं, जदयू के खाते में सात मंत्री पद आ सकते हैं। दूसरी तरफ, वीआईपी और हम को नया मंत्री पद नहीं मिलने की संभावना है, इन्हें बाद में समायोजित किया जा सकता है।