काठमांडू. नेपाल (Nepal) के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली (Kp Sharma Oli) और पार्टी में उनके विरोधी माने जाने वाले पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ (Pushpa kamal dahal) के बीच मतभेद एक बार फिर सामने आ गए हैं. दहल गुट ने पीएम ओली पर आपसी परामर्श और आम सहमति के बिना एकतरफा फैसले लेने के आरोप लगाए हैं. बताया जा रहा है कि ओली और दहल ने शनिवार को पार्टी की बैठक बुलाई थी इसी दौरान दोनों नेताओं के बीच आपसी तनाव बढ़ गया. इसके बाद दोनों ही नेताओं ने अपने-अपने गुट की अलग-अलग बैठक बुलाई.
एक मुलाकात के बाद नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी में मतभेद फिर से उभर गये हैं और प्रधानमंत्री ने पार्टी में विभाजन का संकेत दिया है. ओली और प्रचंड ने सितंबर में सत्ता साझेदारी के एक समझौते पर पहुंचकर अपने मतभेद सुलझा लिये थे और पार्टी में कई महीने तक चले विवाद को समाप्त कर दिया था. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि ओली ने शनिवार को पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रचंड से मुलाकात के बाद पार्टी में बिखराव होने का संकेत दिया. प्रचंड और ओली की मुलाकात करीब दो सप्ताह के अंतराल के बाद हुई थी जिसमें प्रधानमंत्री ने प्रचंड से कहा, ‘अगर हम साथ नहीं चल सकते तो अपने अपने रास्ते चलना चाहिए.’ बता दें कि दोनों नेताओं के बीच कई मुद्दों पर मतभेद हैं.
दहल ने नेताओं को पार्टी में विभाजन की जानकारी दी-
पीएम ओली ने चेतावनी दी है कि वे किसी भी साजिश के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को बाध्य होंगे. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगर हम एक साथ काम नहीं कर सकते हैं तो हम अलग रास्ता अपनाने के लिए बाध्य हो जाएंगे. इससे नेपाल की सत्तारूढ़ पार्टी में विभाजन की आसार बढ़ने लगे हैं। कम्युनिस्ट पार्टी का नेपाल के 7 में से 6 प्रांतों में बहुमत है. उधर सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के चेयरमैन पुष्प कमल दहल ने रविवार शाम को अपने गुट की बैठक बुलाई. इस दौरान उन्होंने नेताओं को पार्टी में संभावित विभाजन की जानकारी दी है. वहीं, प्रधानमंत्री ओली ने स्पष्ट किया है कि वे पार्टी के सचिवों की बैठक नहीं बुलाएंगे. उन्होंने यह भी कहा है कि वे दो तिहाई बहुमत से दिए गए किसी भी समिति के निर्णय का पालन भी नहीं करेंगे.
क्या है विवाद की वजह- ओली ने अक्टूबर में बिना प्रचंड की सहमति के अपनी कैबिनेट में फेरबदल किया था. उन्होंने पार्टी के अंदर और बाहर की कई समितियों में अन्य नेताओं से बातचीत किए बगैर ही कई लोगों को नियुक्त किया है. दोनों नेताओं के बीच मंत्रिमंडल में पदों के अलावा, राजदूतों और विभिन्न संवैधानिक और अन्य पदों पर नियुक्ति को लेकर दोनों गुटों के बीच सहमति नहीं बनी थी. पीएम ओली अपने कैबिनेट के कुछ नेताओं का पोर्टफोलियो बदलने के साथ उन्हें फिर से मंत्री बनाना चाहते थे, लेकिन प्रचंड इसके सख्त खिलाफ थे. प्रचंड चाहते थे कि देश के गृहमंत्री का पद जनार्दन शर्मा को दिया जाए. इसके अलावा दहल चाहते हैं कि संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय भी उनके किसी खास नेता को सौंपा जाए.