बीजिंग। अमेरिका और जापान के साथ आस्ट्रेलिया के भी मालाबार नौसैनिक अभ्यास में हिस्सा लेने की भारत की घोषणा ने चीन की बेचैनी बढ़ा दी है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि चीन ने इस घोषणा का संज्ञान लिया है। उसका मानना है कि सैन्य सहयोग क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व के अनुकूल होना चाहिए। उधर, भारत की ओर से घोषणा के बाद मंगलवार को आस्ट्रेलिया ने इसकी पुष्टि भी कर दी। आस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्री लिंडा रेनॉल्ड और विदेश मंत्री मैरिस पायने ने एक संयुक्त बयान में कहा कि यह भारत के साथ आस्ट्रेलिया के गहरे हो रहे रिश्तों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मालाबार अभ्यास को चीन शंका की दृष्टि से देखता रहा है। उसे लगता है कि यह सालाना युद्धाभ्यास हिद-प्रशांत क्षेत्र में उसके प्रभाव को नियंत्रित करने का प्रयास है। इस बीच, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया ने दक्षिण चीन सागर में त्रिपक्षीय नौसैनिक अभ्यास भी किया है। अमेरिका की सेवेंथ फ्लीट ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
चीन ने किया अपना सैनिक जल्द छोड़ने का अनुरोध-
चीन ने अपना सैनिक जल्द छोड़ने के लिए भारतीय सेना से गुहार लगाई है। भारतीय सेना ने इस चीनी सैनिक को पूर्वी लद्दाख के डेमचोक से सोमवार को पक़़डा था। भारतीय सेना ने एक बयान जारी कर बताया था कि पक़़डे गए सैनिक की पहचान चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के कॉरपोरल वांग या लांग के रूप में हुई है। औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उसे चुशुल-मोल्डो सीमा प्वाइंट पर चीनी सेना के हवाले कर दिया जाएगा। पीएलए की वेस्टर्न थियेटर कमांड के प्रवक्ता सीनियर कर्नल झांग शुइली ने दावा किया कि चीनी सैनिक 18 अक्टूबर की शाम को चीन–भारत सीमा पर उस वक्त लापता हो गया था जब वह स्थानीय लोगों के अनुरोध पर उनके याक को खोजने में मदद कर रहा था। इस घटना के तुरंत बाद पीएलए के सीमा पर तैनात सैनिकों ने इसकी जानकारी भारतीय सेना को दी और उम्मीद जताई कि भारतीय पक्ष उसकी खोज और बचाव में मदद करेगा। भारतीय पक्ष ने लापता सैनिक को खोजकर उसकी मदद करने और लौटाने का वादा किया है। कर्नल झांग ने कहा, भारतीय पक्ष से मिली ताजा जानकारी के मुताबिक लापता चीनी सैनिक को खोज लिया गया है और चिकित्सकीय जांच के बाद उसे चीन के हवाले कर दिया जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि भारतीय पक्ष जल्द से जल्द अपना वादा निभाएगा और दोनों देशों के वरिष्ठ कमांडरों के बीच सातवें दौर की वार्ता में बनी सहमति को लागू करेगा ताकि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनी रहे।
ताइवान से संभावित समझौते का किया विरोध-
ताइवान के मसले पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने भारत से अनुरोध किया कि वह वन चाइना सिद्धांत पर अडिग रहे। उन्होंने कहा, ‘वन चाइना सिद्धांत पर भारत समेत पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सार्वभौमिक सहमति है। चीन के लिए यह अन्य देशों के साथ संबंध विकसित करने का राजनीतिक आधार भी है। इसलिए हम चीन के साथ कूटनीतिक रिश्ते रखने वाले देशों और ताइवान के बीच किसी भी तरह की आधिकारिक वार्ता या किसी तरह के आधिकारिक दस्तावेजों पर हस्ताक्षर का दृ़़ढता से विरोध करते हैं।’
डेस्ट्रो और सांग्ये की मुलाकात पर जताई आपत्ति-
चीन ने बताया कि उसने तिब्बत के लिए स्पेशल कोऑर्डिनेटर पद पर रॉबर्ट डेस्ट्रो की नियुक्ति पर कूटनीतिक आपत्ति दर्ज करा दी है। इसके अलावा उसने डेस्ट्रो और निर्वासित तिब्बती सरकार के मुखिया लोबसेंग सांग्ये के बीच मुलाकात पर भी विरोध दर्ज कराया है।