दिल्ली हिंसा के मामले में गिरफ्तार जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर खालिद की दिक्कतें बढ़ती ही जा रही हैं. गुरुवार को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक और केस में उमर खालिद को गिरफ्तार कर लिया है. जानकारी के मुताबिक क्राइम ब्रांच ने एफआईआर नंबर 101/20 के मामले में उमर खालिद को गिरफ्तार कर 3 दिन की रिमांड पर लिया है.
बताया जा रहा है कि क्राइम ब्रांच ने ताहिर हुसैन वाले केस में उमर खालिद को गिरफ्तार किया है. इसके पहले दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने दिल्ली हिंसा केस में उमर खालिद को गिरफ्तार किया था. उसे 13 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था और 24 सितंबर तक 10 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था. पुलिस हिरासत की मियाद पूरी होने के बाद कोर्ट ने उमर खालिद को 22 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.
बता दें कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उमर खालिद की गिरफ्तारी गैर कानूनी गतिविधि (निषेध) कानून (यूएपीए) के तहत की थी. खालिद पर दंगा भड़काने, साजिश रचने, लोगों को उकसाने, भड़काऊ भाषण देने के गंभीर आरोप लगे हैं. एफआईआर में दर्ज आरोपों के मुताबिक ट्रंप के दौरे के वक्त उमर खालिद ने लोगों को प्रदर्शन के लिए उकसाया था.
दिल्ली दंगे के सिलसिले में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 2 सितंबर को कुछ घंटे तक उमर से पूछताछ की थी. इससे पहले पुलिस ने दंगे से जुड़े एक अन्य मामले में उमर के खिलाफ यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया था. पुलिस ने उसका मोबाइल फोन भी जब्त कर लिया था.
UAPA कानून देश की संप्रभुता और एकता को खतरे में डालने वाली गतिविधियों को रोकने के लिए 1967 में बनाया गया था. तब से लेकर अब तक इसमें चार बार संशोधन किए जा चुके हैं. 2004, 2008, 2012 और 2019 में इस कानून में बदलाव किए गए. इसके तहत ऐसे किसी भी व्यक्ति या संगठन, जो देश के खिलाफ या फिर भारत की अखंडता और संप्रभुता को भंग करने का प्रयास करे उस पर कार्रवाई की जाती है.
इसके तहत आरोपी को कम से कम 7 साल की सजा हो सकती है. अभी तक इस कानून के तहत कई लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. यूएपीए का इस्तेमाल आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर, लश्कर-ए-तैय्यबा के मुखिया हाफिज सईद, आतंकी जकी-उर-रहमान लखवी और आतंकी दाउद इब्राहिम के खिलाफ किया जा चुका है.
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में इस कानून में बदलाव के लिए संशोधन विधेयक पेश किया था जो संसद के दोनों सदनों से पास हो गया. इस कानून में हुए संशोधन के बाद एनआईए को कई अधिकार मिल गए. इस कानून में अगस्त 2019 में हुए संशोधन के बाद अब इसके तहत संगठनों के साथ-साथ व्यक्तियों को भी आतंकवादी घोषित किया जा सकता है. साथ ही उस व्यक्ति की संपत्ति भी जब्त की जा सकती है.
इस कानून के तहत एनआईए के पास कार्रवाई करने के असीमित अधिकार हैं. यह कानून एनआईए को अधिकार देता है कि वो आतंकी गतिविधियों में शक के आधार पर लोगों को उठा सकती है और उन्हें गिरफ्तार कर सकती है. इसके अलावा संगठनों को आतंकी संगठन घोषित कर उन पर कार्रवाई कर सकती है.