उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कोरोना वायरस की जांच रिपोर्ट में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है. जांच रिपोर्ट में कालाबाजारी कर के नकली कोविड-19 की निगेटिव रिपोर्ट पेशेंट को दी जाती थी जिसके लिए 500 से 1000 रुपये की वसूली भी की जाती थी.

पीजीआई में इस मामले की जानकारी होते ही हड़कंप मच गया, जिसके बाद पीजीआई की सुरक्षा समिति ने इस मामले की जांच के लिए थाने में एफआईआर दर्ज कराई है. पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है.
जानकारी के मुताबिक, लखनऊ के पीजीआई अस्पताल के प्रोफेसर एसपी अंबेश ने बताया, एक एफआईआर दर्ज करवाई गई है. अस्पताल में इलाज शुरू करने से पहले हर मरीज का कोविड टेस्ट किया जाता है और ऐसे में सैंपल लेने के बाद मरीजों को सेवा संस्थान बिल्डिंग में ठहरने की अनुमति दी जाती है.
इसी दौरान कुछ व्यक्तियों के द्वारा उस सेवा संस्थान बिल्डिंग में ठहरे हुए लोगों से पीजीआई में कोविड-19 की जांच करवाने के लिए 500 से 1 हजार रुपये लेकर कोरोना की हूबहू निगेटिव रिपोर्ट दे दी जाती है.
रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद अस्पताल में मरीज का दूसरी बीमारी का इलाज शुरू हो जाता था. इस बात का खुलासा शुक्रवार को एक पेशेंट के द्वारा लाई गई निगेटिव रिपोर्ट के साथ हुआ जिसमें हूबहू जांच रिपोर्ट जब डॉक्टरों के पास आई तो इसका खुलासा हुआ.
पहले इसकी शिकायत अस्पताल प्रशासन से की गई, जिसके बाद पीजीआई की सुरक्षा समिति की तरफ से पीजीआई थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.
लखनऊ की डीसीपी चारू निगम के अनुसार, यह एक गंभीर मामला है और शिकायत सुरक्षा समिति पीजीआई की तरफ से दी गई है जो अज्ञात लोगों के खिलाफ है. हमें शिकायत में फर्जी रिपोर्ट बनाने की जानकारी दी गई थी. इसके बाद एफआईआर दर्ज की गई और मामले की जांच की जा रही है.
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