राजस्थान के कोटा के जेके लोन सरकारी अस्पताल में मासूम बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है। अब तक 107 मासूम दम तोड़ चुके हैं। कोटा के बाद बूंदी में भी यह संक्रमण फैल गया है। जहां 10 मासूम जिंदगी की जंग हार चुके हैं। इसी बीच कोटा मामले में गठित जांच समिति ने दो दिन पहले अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
समिति का कहना है कि अस्पताल में लगभग हर तरह के उपकरण और व्यवस्था में बहुत सारी खामियां हैं। बच्चो की मौत का मुख्य कारण हाइपोथर्मिया बताया गया है। हालांकि सच्चाई यह है कि इससे बच्चों को बचाने के लिए आवश्यक अस्पताल का हर उपकरण खराब है। कोटा के अस्पताल में बीचे 34 दिन में 107 बच्चे काल के गाल में समा चुके हैं।
केंद्रीय जांच दल पहुंचा जेके लोन अस्पताल
केंद्रीय अधिकारियों का दल कोटा के जेकेलोन अस्पताल में जांच के लिए पहुंचा है। इसमें जोधपुर एम्स के बाल चिकित्सा विभागाध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह, मंत्रालय के वरिष्ठ क्षेत्रीय निदेशक डॉ. दीपक सक्सेना, एम्स जोधपुर के निओनेटोलॉजिस्ट डॉ. अरुण सिंह और एनएचएसआरसी सलाहकार डॉ. हिमांशु भूषण शामिल हैं।
विशेषज्ञों का दल राज्य सरकार के साथ मिलकर कोटा मेडिकल कॉलेज में मातृ, नवजात शिशु और बाल चिकित्सा देखभाल सेवाओं की समीक्षा करेगा। साथ ही कमियों के विश्लेषण के आधार पर संयुक्त कार्य योजना भी बनाएगा। ताकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और राज्य चिकित्सा शिक्षा विभाग के जरिए कोटा मेडिकल कॉलेज को वित्तीय सहायता प्रदान की जा सके। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए हर संभव मदद की पेशकश की है।
जेके लोन अस्पताल में लगातार दम तोड़ रहे मासूमों की सुध लेने के लिए आज राज्य के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट आज कोटा पहुंच रहे हैं।
अस्पताल के 71 में से 44 वॉर्मर खराब
नवजात शिशुओं का तापमान 36.5 डिग्री तक होना चाहिए। इसके लिए नर्सरी में वॉर्मर के जरिए उनके तापमान को 28 से 32 डिग्री के बीच रखा जाता है। अस्पाल में मौजूद 71 में से 44 वॉर्मर खराब हैं। जिसके कारण नर्सरी में तापमान गिर गया और बच्चे हाइपोथर्मिया के शिकार हो गए।