उत्तर भारत में गहरा सकता है बिजली संकट, ये रही वजह

electricity_1457180707हिमाचल में पिछले करीब चार माह से बारिश न होने और ठंड बढ़ने के कारण नदी-नालों का जलस्तर कम होने से बिजली परियोजनाओं में उत्पादन 80 फीसदी तक गिर गया है। आने वाले दिनों में हिमाचल प्रदेश समेत पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली और चंडीगढ़ में बिजली का संकट गहरा सकता है।

 सूबे की सबसे बड़ी 1500 मेगावाट की नाथपा झाकड़ी परियोजना में 36 मिलियन यूनिट के बजाय रोज 7 मिलियन यूनिट उत्पादन ही हो पा रहा है। सतलुज का जलस्तर घटने से इसी नदी पर बने 412 मेगावाट के रामपुर प्रोजेक्ट में भी 80 फीसदी उत्पादन लुढ़क गया है।

रामपुर प्रोजेक्ट में रोजाना 10 मिलियन यूनिट बिजली पैदा होती है जबकि आजकल उत्पादन सिमटकर 2 मिलियन यूनिट रह गई है। गौरतलब है कि हिमाचल के बड़े पावर प्रोजेक्टों से उत्तरी ग्रिड को बिजली दी जाती है जहां से उत्तरी राज्यों को सप्लाई होती है। 126 मेगावाट के लारजी प्रोजेक्ट में गर्मियों में 138 मेगावाट तक बिजली का उत्पादन होता है जो दिसंबर में कम होकर मात्र 25 मेगावाट तक रह गया है।

17 लाख यूनिट से गिरकर 6.560 लाख मेगावाट रह गया उत्पादन

नाहन सर्कल के गिरिनगर बिजली परियोजना का उत्पादन 17 लाख यूनिट से गिरकर 6.560 लाख मेगावाट रह गया है। भावा में अक्तूबर में 46 लाख यूनिट उत्पादन हुआ था जबकि दिसंबर में 25.775 लाख यूनिट बिजली बन रही है। घानवी में 4 लाख यूनिट से 3 लाख यूनिट और बस्सी परियोजना में 10 लाख यूनिट से 6 लाख यूनिट ही बिजली पैदा हो पा रही है।
सूखे के चलते हिमाचल में गेहूं की 70 फीसदी बिजाई लटक गई है। जिन किसानों ने पहले गेहूं बीज दी है बारिश न होने के चलते पीली पड़ गई है। गेहूं की बिजाई की समय निकलता जा रहा है, लेकिन बारिश न होने के कारण किसान बिजाई नहीं कर पा रहे हैं। मौसम विभाग के अनुसार प्रदेश में अगले एक सप्ताह तक बारिश के कोई आसार नहीं हैं।
 
 

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